पाटन/संवाददाता
जहाँ एक ओर पाटन नगर मे खंड चिकित्सा अधिकारी डॉ. आदर्श विश्नोई के अथक प्रयासों से सामुदायिक स्वास्थ केंद्र पाटन को सिविल अस्पताल का दर्जा प्राप्त हुआ है और करोडो रूपये की बिल्डिंग बन कर खड़ी हो गई है तो वहीं दूसरी ओर खंड चिकित्सा अधिकारी की अनुपस्थिति मे चिकित्सक मरीजों को बाहर का रास्ता दिखलाते हैं।
हाँ जी सिविल अस्पताल पाटन का वर्तमान आलम यह है की यहाँ की महिला चिकित्सक महज कुछ कमीशन के चक्कर में मरीजों का इलाज करने की अपेक्षा प्राइवेट मे भेजना पसंद करती है और अगर इलाज भी करती हैं तो मरीजों से बोल दिया जाता है की आप अपनी रिस्क पर यहाँ इलाज करवाएं, ताज़ा मामला यह है की सिविल अस्पताल पाटन मे सोनोग्राफी मशीन उपलब्ध होने के बाद भी डॉ. रश्मि कुंभारे द्वारा मरीजों को प्राइवेट सोनोग्राफी लिखी जाती है जिसका एक कारण यह भी है की महिला चिकित्सक द्वारा लंच टाइम मे वहाँ प्राइवेट तौर पर प्रेक्टिस की जाती है, जो शासन के नियमों को ताक पर रख कर किया जा रहा है
ज्ञात हो जहाँ शासन प्रशासनिक तंत्र और आम जनता के मध्य सुलभता का मात्र जाप कर रहा है तो वही दूसरी ओर महिला चिकित्सक द्वारा मरीजों से सीधे मुँह बात नहीं की जाती है और अपनी रिस्क पर इलाज कराने की सलाह दी जाती है बोला जाता है की सिविल अस्पताल पाटन मे एनेथिसिया चिकित्सक उपलब्ध नहीं है एवं रात मे यहाँ कोई उपलब्ध नहीं रहता , देखने वाली बात यह है की ज़ब सिविल अस्पताल पाटन मे डॉक्टर आवास बनाये गए है तो चिकित्सक मुख्यालय निवास क्यों नहीं करते ज़ब शासन का स्पष्ट तौर साफ निर्देश हैं की कर्मचारी को मुख्यालय आवश्यक है,ज़ब इस सम्बन्ध मे चिकित्सक से संपर्क करना चाहा गया तब उनके द्वारा फोन रिसीव नहीं किया गया।