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April 28, 2024
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वट-सावित्री व्रत में भूल कर भी न करें ये गलतियाँ

वट सावित्री व्रत पतिव्रता स्त्री सावित्री को समर्पित व्रत माना जाता है क्योंकि इस दिन देवी सावित्री ने अपने पति सत्यवान के प्राण यमपाश से बचाये थे। वट सावित्री व्रत रखने वाली महिलाएं स्नान के बाद वट वृक्ष के नीचे सावित्री और सत्यवान की मूर्ति रखकर विधि-विधान से पूजा करें। इसके बाद वट वृक्ष पर जल चढ़ाएं। कच्चे सूत से वट के वृक्ष में सात बार परिक्रमा करते हुए बांध दें। अब महिलाएं सावित्री-सत्यवान के प्रतिमा के सामने पूजा का सामान अर्पित करें।

वट सावित्री व्रत पर क्या करें क्या न करें :
. वट सावित्री का व्रत रखने वाली महिला को इस दिन नीले, काले या सफेद रंग के कपड़े गलती से भी नहीं पहनने चाहिए।
. इस दिन महिलाओं को काली, सफेद या नीली रंग की चूढ़ियां भी नहीं पहननी चाहिए।
.माना जाता है कि जो महिला पहली बार यह व्रत रख रही हो उसे इस व्रत की शुरूआत अपने मायके से करनी चाहिए।
.कहा जाता है कि जो महिलाएं यह व्रत पहली बार कर रही हैं उन्‍हें सुहाग की सामग्री मायके की ही इस्तेमाल करनी चाहिए।

कैसे रखें वट-सावित्री व्रत:
.वट सावित्री व्रत तीज और करवाचौथ के व्रत की ही तरह होता है. माना जाता है कि इसे आप दो तरीकों से उठा सकती हैं. इसका पहला तरीका यह है कि आप इसे फल लेकर भी उठा सकती हैं मतलब आप पूजा के बाद फल का सेवन कर सकती हैं।
.जबकि इसका दूसरा तरीका ये है कि आप वट वृक्ष पर चढ़ाई जाने वाली सभी चीजों का सेवन पूजा के बाद कर सकते हैं. यानी आप अन्न खा सकती हैं।
.एक बात का ख्याल रखें कि अगर आप पूजा के बाद अन्न का सेवन करती हैं तो वह सात्विक होना चाहिए, मतलब उसमें प्याज, लहसुन का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए।

क्यों होती है बरगद की पूजा:
पौराणिक मान्यता के अनुसार, सावित्री ने बरगद के पेड़ के नीचे अपने मृत पति के जीवन को वापस लाया। यमराज को अपने पुण्य धर्म से प्रसन्न करके आशीर्वाद प्राप्त किया था। यही कारण है कि वट सावित्री व्रत पर महिलाएं वट वृक्ष की पूजा करती हैं। इसके अलावा संतान प्राप्ति के लिए भी यह व्रत लाभकारी माना जाता है।

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