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May 19, 2024
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महाराष्ट्र

कैंसर पीडित पूर्व छात्र ने चिकित्सा शिक्षा में जीता स्वर्ण पदक

संतोष साहू/महाराष्ट्र
नवी मुंबई : अपोलो इंस्टीट्यूट ऑफ कोलोरेक्टल सर्जरी, चेन्नई में 28 वर्षीय स्नातकोत्तर मेडिकल छात्र डॉ. जेडी (गोपनीयता के लिए नाम बदला गया है) पर लो रेक्टल कैंसर के लिए रोबोटिक कोलोरेक्टल सर्जरी सफलतापूर्वक की गयी और उसके बाद उन्होंने मेडिकल पोस्ट-ग्रेजुएशन पूरा किया और उसमें स्वर्ण पदक जीता। यह घटना तब हुई है जब अपोलो इंस्टीट्यूट ऑफ कोलोरेक्टल सर्जरी ने कोलोरेक्टल रोगों, खास कर कोलोरेक्टल कैंसर के रोगियों के इलाज के लिए अत्याधुनिक सबसे कम इनवेसिव रोबोटिक सर्जिकल तकनीकों और प्रौद्योगिकी प्रस्तुत करने को पांच साल पूरे हुए हैं।

अपोलो इंस्टीट्यूट ऑफ कोलोरेक्टल सर्जरी, चेन्नई के कंसल्टेंट कोलोरेक्टल एंड रोबोटिक सर्जन, डॉ. वेंकटेश मुनिकृष्णन ने कहा, डॉ. जेडी को 2017 में जब वह 24 साल की थी, तब लो रेक्टल कैंसर का पता चला, ठीक उसी समय उनके मेडिकल पोस्ट-ग्रेजुएशन की शुरूआत होने वाली थी। यह उनके लिए एक सदमा था क्योंकि उन्हें लगा कि इलाज के बाद भी, मेडिकल शिक्षा के उनके सपने टूट जाएंगे। उन्हें ऐसा इसलिए लगा क्योंकि कोलोरेक्टल कैंसर में पारंपरिक सर्जरी रोगियों में कोलोस्टॉमी छोड़ देती है, यानी शरीर में एक सर्जरी द्वारा बनाया गया ओपनिंग जो बॉवेल वेस्ट को एक बाहरी कोलोस्टॉमी बैग में ले जाता है। उन्होंने इस उम्मीद के साथ हमसे संपर्क किया कि हम उन्हें एक ऐसा समाधान दे सकते हैं जिससे वह अपनी पढ़ाई जारी रखते हुए सामान्य जीवन जी सकें। हमने उन्हें निराश नहीं किया।

डॉ. मुनिकृष्णन ने रोबोटिक प्रक्रिया के बारे में अधिक जानकारी देते हुए कहा, रोबोटिक कोलोरेक्टल सर्जरी से, हम कैंसर को हटाने और कोलन को रेक्टल / अनल कनेक्शन के पुनर्निर्माण के लिए जटिल सर्जरी करने में सक्षम हुए, इस तरह से स्थायी कोलोस्टॉमी को टाला गया। वह असामान्य रूप से ठीक हो गई, उन्होंने अपना कोर्स पूरा किया और उसमें उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हुए स्वर्ण पदक प्राप्त किया। रोबोटिक सर्जरी के कई अल्पकालिक लाभ भी हैं जैसे खून कम बहना, मरीज़ का जल्दी ठीक होना और सामान्य शारीरिक क्रियाएं बेहतर तरीकों से कर पाना। पिछले दो दशकों में युवा वयस्कों में उनकी 20 से 40 तक की आयु में कोलोरेक्टल कैंसर की दर बढ़ रही है। यह उम्र का वो दौर होता है जब लोग काफी ज़्यादा सक्रिय होते हैं, परिवारों और करियर का निर्माण करते हैं और इसीलिए उपचार के बाद इन रोगियों के लिए जीवन की अच्छी गुणवत्ता सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है। हालांकि, कोलोरेक्टल कैंसर की अगर शुरुआती अवस्था में पहचान कर ली जाए तो इसे पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है और रोबोटिक कोलोरेक्टल सर्जरी मरीजों को कोलोस्टॉमी से बचने और सामान्य जीवन जीने में मदद करती है।

दुनिया भर में कोलोरेक्टल कैंसर एक आम कैंसर है, लेकिन भारत में इसकी रिपोर्टेड केसेस कम हैं, ग्लोबोकैन 2018 रैंकिंग में मामलों की संख्या के आधार पर कोलन कैंसर 13 वें स्थान पर है, हर साल इसके 27,605 नए मामले आते हैं और सालाना 19,548 मौतें होती हैं। 2018 से, पूरे भारत में 27,605 नए मामले दर्ज किए गए हैं और भारत में इस बीमारी से पीड़ित रोगियों की कुल संख्या लगभग 53,700 होने का अनुमान है। खास कर युवा एशियाई पुरुषों में यह बीमारी बढ़ती हुई नज़र आ रही है, उनकी अस्वस्थ जीवन शैली इसके प्रमुख कारणों में से एक है।

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