पाटन / सजल सिंघई
प्रशासन की नजरंदाजी के कारण प्राचीन नागतालाब सूखा पड़ा हुआ है, पाटन नगर मध्य स्थित यह तालाब सुंदरता और धार्मिक मान्यताओं के साथ साथ पशु पक्षियों की प्यास भी बुझाता है। किंतु आज अपनी दुर्दशा पर रो रहा है जिसका मुख्य कारण प्रशासन का ध्यान न देना। प्राप्त जानकारी के अनुसार नगर की प्राचीन विरासत नाग तालाब सूख गया है जिस कारण पशु पक्षियों के जल का स्रोत खत्म हो गया है, अभी वर्तमान में हम देख रहे हैं कि गर्मी और धूप अपना विकराल रूप दिखा रही है एवं बारिश का कोई ठिकाना समझ नही आरहा है। फिर भी नाग तालाब को लेकर प्रशासन की उदासीनता लोगों के पल्ले नही पड़ रही है

गैर तलब है कि गर्मी आने पर बरगी नहर द्वारा नाग तालाब को भर दिया जाता था जिससे पानी की कमी महसूस न हो किन्तु इस बर्ष बरगी नहर को चालू नही किया गया, जिस संबंध में स्थानीय लोगों ने अनुविभागीय अधिकारी पाटन को ज्ञापन दिया गया किन्तु उक्त संबंध प्रशासन द्वारा आज तक इस मामले को संज्ञान में नही लिया, केवल आश्वासन मात्र ही दिया गया।

यदि स्थानिय लोगों की मानें तो जून माह में बरगी नहर में पानी छोड़ दिया जाता था जो पशु पक्षियों के साथ साथ किसानों के हित में भी होता था किंतु जहां कोरोना काल मे लोग कई परेशानियों से जुझ रहे हैं ऐसे में लोगों को एक नई दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। वहीं दूसरी ओर नगर परिषद द्वारा तालाब के चारों ओर बंधान पर हरित पेड़ उद्यान लगाया है किंतु पानी की कमी के कारण वो भी सुखना प्रारंभ हो गए है और बूँद बूँद पानी को तरस रहे हैं शासन प्रशासन की यह नीति लोगों के समझ के परे है कि एक ओर तो पेड़- पौधे लगाने की बात करते है वहीं दूसरी ओर उनको बूँद बूँद पानी को तरसने पर मजबूर करते हैं।
