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May 19, 2024
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मध्यप्रदेश

फ्लाइंग सिक्ख अलविदा

सौरभ शर्मा / एडिटर डेस्क

भारत का समूचे विश्व मे परचम लहराने वाले धावक आज हम सबको अलविदा कह कर देवलोक वासी हो गए। फ्लाइंग सिख के नाम से प्रसिद्ध मिलखा सिंह का जन्म 20 नवंबर 1929 गोविन्दपुर (पाकिस्तान) में एक सिख राठौर (राजपूत) परिवार में हुआ था।मिलखा सिंह ने 18 जून, 2021 को आखिरी सांस चंडीगढ़ के पीजीआईएमईआर अस्पताल में अंतिम सांस ली वे एक सिख धावक थे जिन्होंने रोम के 1960 ग्रीष्म ओलंपिक और टोक्यो के 1974 ग्रीष्म ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व किया था। उन्हें “उड़न सिख” उपनाम दिया गया था। वे भारत के सर्वकालिक सर्वश्रेष्ठ एथलीट्स धावक में से एक थे।


.प्रथम सफलता 1958 के एशियाई खेलों में 200मी व 400 मी में स्वर्ण पदक जीते।
.द्वितीय सफलता 1962 के एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीता।
.तृतीय सफलता 1958 के कॉमनवेल्थ खेलों में स्वर्ण पदक जीता।
. भारत देश उनको पद्म श्री से सम्मानित किया।
सेवानिवृत्ति के बाद मिलखा सिंह खेल निर्देशक पंजाब के पद पर थे उनके पुत्र जीव मिलखा सिंह गोल्फ़ के खिलाड़ी हैं।


सामान्य जीवन
भारत के विभाजन के बाद की अफ़रा तफ़री में मिलखा सिंह ने अपने माँ बाप को खो दिया। अंततः वे शरणार्थी बन के ट्रेन द्वारा पाकिस्तान से भारत आए।ऐसे भयानक बचपन के बाद उन्होंने अपने जीवन में कुछ कर गुज़रने की ठानी। एक होनहार धावक के तौर पर ख्याति प्राप्त करने के बाद उन्होंने 200मी और 400मी की दौड़े सफलतापूर्वक की और इस प्रकार भारत के अब तक के सफलतम धावक बने। कुछ समय के लिए वे 400मी के विश्व कीर्तिमान धारक भी रहे।कार्डिफ़, वेल्स, संयुक्त साम्राज्य में 1958 के कॉमनवेल्थ खेलों में स्वर्ण जीतने के बाद सिख होने की वजह से लंबे बालों के साथ पदक स्वीकारने पर पूरा खेल विश्व उन्हें जानने लगा।

पाकिस्तान में भी मिला सम्मान
इसी समय पर उन्हें पाकिस्तान में दौड़ने का न्यौता मिला, लेकिन बचपन की घटनाओं की वजह से वे वहाँ जाने से हिचक रहे थे। लेकिन न जाने पर राजनैतिक उथल पुथल के डर से उन्हें जाने को कहा गया। उन्होंने दौड़ने का न्यौता स्वीकार लिया।दौड़ में मिलखा सिंह ने सरलता से अपने प्रतिद्वन्द्वियों को ध्वस्त कर दिया और आसानी से जीत गए। अधिकांशतः मुस्लिम दर्शक इतने प्रभावित हुए कि पूरी तरह बुर्कानशीन औरतों ने भी इस महान धावक को गुज़रते देखने के लिए अपने नक़ाब उतार लिए थे, तभी से उन्हें फ़्लाइंग सिख की उपाधि मिली।
खेल के बाद
मिलखा सिंह ने बाद में खेल से सन्यास ले लिया और भारत सरकार के साथ खेलकूद के प्रोत्साहन के लिए काम करना शुरू किया। अब वे चंडीगढ़ में रहते हैं।जाने-माने फिल्म निर्माता, निर्देशक और लेखक राकेश ओमप्रकाश मेहरा ने वर्ष 2013 में इनपर भाग मिल्खा भाग नामक फिल्म बनायी। ये फिल्म बहुत चर्चित रही।फ्लाईंग सिख के उपनाम से चर्चित मिलखा सिंह देश में होने वाले विविध तरह के खेल आयोजनों में शिरकत करते हैं। हैदराबाद में 30 नवंबर,2014 को हुए 10 किलोमीटर के जियो मैराथन-2014 को उन्होंने झंड़ा दिखाकर रवाना किया। और 18 जून 2021 को अपने नाम का डंका विदेशों में भी बजाने वाले भारत माँ का लाल हम सबको अलविदा कह कर अमरता का धावक बन गया।
बुन्देली परिवार की ओर से अश्रुपूर्ण श्रद्धांजली

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