एडिटर स्टोरी- सौरभ शर्मा /सजल सिंघई
जबलपुर– जबलपुर मुख्यालय से 40 किलोमीटर दूर है ये हादसो की घाटी, जिसका नाम है बगदरी। यही वो घाटी है जो जबलपुर जिले को दमोह जिले से जोड़ती है यही वो घाटी है जहां आये दिन हादसे होते हैं यही वो घाटी है जहाँ कई लोगों को अपनी जान गवानी पड़ी और यही वो घाटी है जहाँ हादसे रुकने का नाम नही लेते हैं।
बगदरी घाटी जिसका दूसरा नाम है 27 मील की घाटी –
बगदरी घाटी एक ऐसी घाटी है जिसका आधा हिस्सा जबलपुर जिले में है एवं आधा हिस्सा दमोह जिले में है। चूंकि इसका दूसरा नाम 27 की घाटी भी बोला जाता है इसका वैज्ञानिक कारण है कि यहां से जबलपुर 27 मील मतलब 41 किलोमीटर है। इसलिये इसका नाम 27 मील भी पड़ गया। यह घाटी देखने मे अपनी एक मनोरम छटा बिखेरती है घाटी मोड़ो से परिपूर्ण है अर्थात इस घाटी पर अधिकतर अंधे मोड़ है और जैसे जैसे हम ऊंचाई पर चढ़ते जाते हैं वैसे वैसे मोड़ भी बढ़ती जाती है इसलिये अक्सर लापरवाही के कारण यहाँ हादसे होते रहते है घाट के नीचे हिरण नदी का प्रवाह मन मोह लेता है। और घाटी के दूसरी ओर बना है बगदरी वाटर फॉल जो बरसात के मौसम अपनी अद्भुत छवि बिखेरता है और दूर दूर से सैलानी यहां घूमने आते हैं।
अब बात हादसों की-
यदि हम सरकारी रिकॉर्ड उठा कर देखें तो पिछले दो बर्षों में थाना पाटन अंतर्गत बगदरी घाटी में लगभग 10 बड़ी सड़क दुर्घटनाये हुई है जिसमे 46 लोग घायल हुए और 7 लोगों को अपनी जान गवानी पड़ी। वैसे देखा जाए तो इसका मुख्य कारण है इस घाटी के अंधे मोड़ एवं लंबी ढलान, जिस पर अक्सर लोग संभल नही पाते और हादसों का शिकार हो जाते हैं। पिछले कुछ सालों में यहां हादसों की तादात कुछ बड़ी है इसी तरह हम बात करते है बगदरी वाटर फॉल की यहां भी हादसों में कोई कमी नही है 5 अगस्त 2014 को जबलपुर से एक परिवार यहां पिकनिक मनाने आया हुआ था वाटर फॉल में अचानक पानी का बहाव तेज हो गया और परिवार के 11 सदस्य काल के गाल में समा गए, यह एक ऐसा हादसा था जिसने सारे जबलपुर जिले की आंखों को नम कर दिया था क्योंकि उसमें कुछ छोटे बच्चे भी शामिल थे। बगदरी वाटर फॉल एरिया में और 27 मील के जंगल एवं पहाड़ों में कहीं भी बारिश होती है तो बगदरी वाटर फॉल में अचानक जल स्तर बढ़ जाता है और लोग संभल नही पाते, यही कारण उस परिवार के हादसे का था।
स्थानीय किवदंतीयां–
स्थानीय लोगों के अनुसार यहाँ एक और कहानी सामने आई है कि घाट के ऊपर सिद्ध क्षेत्र पंडा बाबा के स्थान पर यदि कोई गलत काम करता है तो उसका इस घाटी से निकलना भी मुश्किल होता हैं। वहीं दूसरी ओर कुछ लोगों का कहना है कि बर्षों पहले इस घाटी पर कोई घटना घटित हुई थी तब से यहाँ कुछ आत्माओं का साया भटकता रहता है जो अक्सर दुर्घटनाएं करवाती हैं और अधिकतर दुर्घटनाएं या तो दोपहर के समय होती हैं या फिर रात के समय। किन्तु आज के वैज्ञानिक दौर में ऐसा मानने वाले बहुत कम लोग हैं। एवं बुन्देली चैनल के अनुसार दुर्घटनायें केवल लापरवाही के कारण ही होती हैं। इसलिए सावधान चलें और सुरक्षित रहें।।