छतरपुर ब्यूरो/ सुरेश रजक
बुंदेलखंड के जाने माने लोक गायक एवं लोकगीत सम्राट के नाम से अपनी अमित छवि स्थापित करने वाले कलाकार स्व. पं. श्री देशराज पटैरिया जी के लिए बुन्देलीजनो ने मरणोपरांत पद्म श्री सम्मान की माँग की है हालांकि आप के लिए सम्मान की माँग क्षेत्रीय जनता के साथ बुन्देली शैली में गीत गाने वालों कलाकारों ने भी अपनी सहमति प्रदान की है।
छतरपुर जिले से पं. देशराज पटैरिया जी के बुन्देली लोकगायन की प्रथा को आगे ले जाने वाले बुंदेलखंड के चर्चित कलाकार जयप्रकाश पटैरिया ने बताया कि हम समूचे मध्यप्रदेश वासियों के लिए यह एक गौरव की बात है की पं. देशराज पटैरिया जैसी सख्सियत का जन्म छतरपुर जिले में हुआ, जिन्होंने अपनी लोकगायन की शैली से मध्यप्रदेश ही नही बल्कि देश विदेशों में भी बुन्देली भाषा का परचम लहराया है साथ लोकगीत का अगर कोई पर्याय शब्द तलाशा जाए तो केवल वह है पं. देशराज पटैरिया, इसलिए हम समस्त बुंदेलखंड वासी पंडित जी के पद्मश्री सम्मान की माँग करते है ताकि बुन्देली लोकसंगीत में उनके योगदान को अमरता प्रदान की जा सके।
एक नजर :लोकगीत सम्राट स्व.पं. श्री देशराज पटैरिया
बुंदेलखंड में लोकगायन कि कई विधाएं है जिसमे कछियाई, ढिमरयाई, लमटेरा, दादरे, सोहरे, विदाई,गारी, टपका, झूला, राई आदि सभी विधाओं को जिस गीत में संजोते हैं उनको लोकगीत कहते हैं, और उन लोकगीतों को सम्राट के तौर पर जन-जन तक पहुंचाने का काम जिस सख्सियत ने किया उसका नाम है पं. देशराज पटैरिया।आपने अपने गायन का सफर मात्र 20 बर्ष की उम्र से शुरू किया था तब लोगों के मनोरंजन का एक मात्र साधन था रेडियो, पटेरिया जी ने रेडियो से अपना सफर शुरू करते हुए टेलीविजन पर भी अपनी लोकगायकी का लोहा मनवाया, मध्यप्रदेश से लेकर दिल्ली उत्तरप्रदेश तक के लोग पटेरिया जी की एक झलक और उनके लोकगीत सुनने के लिए घंटों इंतजार करते थे, पाँच दशकों से ज्यादा उन्होंने बुंदेलखंड की जनता के दिलों पर राज किया और 05 सितंबर को पटैरिया जी संसार को छोड़कर चिर निद्रा में लीन हो गए।