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May 4, 2024
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मासूमों पर भारी पड रहा है गजवा-ए-हिन्द का गेम जिहाद

भविष्य की आहट / डा. रवीन्द्र अरजरिया

जिहाद के नाम पर धर्मान्तरण का षडयंत्र देश के अंदर तेजी से चल रहा है। विदेशों में बैठे शातिर लोगों का गिरोह अनेक इस्लामिक देशों से वित्तीय सहायता लेकर धर्म को बढाने के नाम पर कभी भोली-भाली नासमझ लडकियों की भावनाओं के साथ खिलवाड करते हैं तो कभी लालची लोगों को धन की चमक दिखाकर बहकाते हैं। कभी बेरोजगारी से तडफते परिवारों को सहानुभूति का मीठा जहर पिलाकर गुमराह करते हैं तो कभी गरीबी की आंखों पर सुविधाओं की पट्टी बांध देते हैं। अभी हाल ही में जिहाद का एक नया रूप सामने आया है जिसमें मासूम बच्चों को गेम के नाम पर धर्मान्तरण के लिए बाध्य किया जा रहा है। आनलाइन मल्टीप्लेयर गेम को माध्यम बनाकर शातिरों की जमात गैर मुस्लिम बच्चों को निरंतर बहका रही है। पुलिस की मानें तो इस गिरोह का सरगना शाहनवाज खान मकसूद उर्फ बद्दो है जो अपने देश-विदेश के सहयोगियों के साथ मिलकर गेम जिहाद को अंजाम दे रहा है। इस केस में गाजियाबाद की जामा मस्जिद के एक मौलाना को भी गिरफ्तार किया गया है। सूत्रों के अनुसार अभी तक गाजियाबाद, फरीदाबाद, लुधियाना तथा चण्डीगढ आदि स्थानों के साथ-साथ गुजरात के लगभग 400 बच्चों के धर्म परिवर्तन कराने की स्थितियां निर्मित की गई है। संजय नगर के सेक्टर 23 की मस्जिद के मौलाना अब्दुल रहमान उर्फ नन्नी तथा मुम्बई के शाहनवाज बद्दो सहित अन्य पर गैर मुस्लिम बच्चों का ब्रेनवाश करके धर्मान्तरण कराने का आरोप है। यह मकडजाल केवल एक गेमिंग एप तक ही सीमित नहीं है बल्कि वालोरान्ट जैसे अनेक एप्स तक इसका विस्तार किया गया है। यह एप ईपिक स्टोर पर खुलेआम उपलब्ध हैं। फोर्टनाइट, डिस्कोर्ड जैसे एप्स पर षडयंत्रकारियों के नुमाइंदे मासूमों को जोडकर कम्युनिटी बनाते हैं फिर आनलाइन मल्टीप्लेयर गेम के जरिये बच्चों को उकसाकर आवेशित करते हैं। इसी मध्य भावनात्मक रिश्ते बनाने में माहिर हैवानों की जमात बच्चों को बरगलाना शुरू कर देती है। उन्हें कलमा पढकर खेलने पर जीतने जैसे झांसे दिये जाते है फिर खतना कराने के बाद दिमाग के ज्यादा तेज चलने की बात कही जाती है। जब मासूम मन पर जिहादियों की बातों का असर दिखने लगता है तो फिर अन्य बच्चों का धर्मान्तरण करवाने पर दुबई की ट्रिप का लालच दिया जाता है। इस तरह के अधिकांश एप्स विदेशी सर्वर पर होने से उनकी ज्यादा जानकारी मिलने में कठिनाई होती है। जाकिर नाइक तथा तारिक जमील से संबंधित मुख्य आरोपी शाहनवाज बद्दो की मुम्बई निवासिनी मां मुमताज खान तथा दो भाई भी इस पूरी कारगुजारी में शामिल बताये जा रहे हैं जो सोलापुर तक साथ रहे फिर एक ने दिल्ली की ओर रुख किया तो दूसरे ने नेपाल का रास्ता पकडा। आरोपियों के तार विदेशी षडयंत्रकारियों से सीधे जुडे है। यूं तो देश के अनेक शहरों में इस गिरोह के सदस्य मौजूद है जो हिन्दू नामों से फर्जी आईडी बनाकर मासूमों को बहकाने में जुटे है। वे मासूमों को मुफ्त दुबई ट्रिप का झांसा लेकर मानव तस्करी व्दारा उन्हें विदेश पहुंचाने की फिराक में भी रहते हैं ताकि वहां पर उन्हें कट्टरता का फिदाइनी पाठ पढाया जा सके। पाकिस्तान से संचालित यूथ क्लब नाम के यूट्यूब चैनल जैसे अनेक चैनलों के माध्यम से भी इस तरह के गेम जेहाद को निरंतर चलाया जा रहा है। चार चरणों में सम्पन्न होने वाले इस जिहाद में षडयंत्रकारियों का गिरोह सबसे पहले सोशल मीडिया, इंटरनेट, आन लाइन गेम, यूट्यूब आदि पर ज्यादा समय देने वाले कम उम्र के बच्चों को ढूंढकर उनसे हिन्दू नाम की फर्जी आईडी से संपर्क करता है। कम्युनिटी बनाकर खास एप पर आकर गेम खेलने के लिए प्रेरित करता है। आनलाइन मल्टीप्लेयर गेम में जीत-हार के रोमांच के मध्य कलमा, आयत पढकर खेलने पर जीतने का आवेश उत्पन्न कराता है। मासूम के व्दारा आयत पढते ही उसे जीत दिलाकर इस्लाम की ताकत का अहसास करवाया जाता है। बाद में निरंतर आयतों को पढने के लिए उकसाया जाता है। यूट्यूब के चैनलों पर पहले से डाले गये भडकाऊ कट्टरपंथी वीडियो दिखाये जाते हैं। मनगढन्त कहानियां सुनाकर स्वयं के गैर मुस्लिम होने की दु:खद स्थिति और फिर इस्लाम कुबूल करने के बाद की शानदार जिन्दगी की दुहाई दी जाती है। आयतों पर नियमित होते ही मासूमों को नजदीकी मस्जिद में जाकर पांचों वक्त की नमाज अदा करने के लिए भेजा जाता है जहां के मौलवी-मौलानाओं को षडयंत्रकारी पहले से ही मासूम के आने की जानकारी देकर आगे का प्रोग्राम निर्धारित करते हैं। इसी मध्य मासूम से अपनी मर्जी से इस्लाम कुबूल करने का हलफनामा भी बनवा लिया जाता है जो बाद में देश के कानून के लचीलेपन पर भारी पड सके। इस दिशा में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग तथा केन्द्र सरकार के इलैक्ट्रानिक एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय को ज्यादा सचेत होने की आवश्यकता है तभी उनका वास्तविक व्यवहारिक औचित्य जनहित में परिलक्ष्ति हो सकेगा। देश के संविधान के अन्तर्गत सभी नागरिकों को धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार दिया गया है जिसके तहत वे अपनी इच्छा से कोई भी धर्म अपना सकते हैं किन्तु जबरन धर्मान्तरण करवाना एक अपराध है। यद्यपि राष्ट्रीय स्तर पर इस दिशा में कोई भी स्पष्ट कानून व्यवहार में नहीं है। अनेक राज्यों ने अपने-अपने स्तर पर नियम बना रखे हैं। उत्तर प्रदेश में योगी सरकार ने 2020 में जबरन धर्मान्तरण को रोकने के लिए कानून बनाया था जिसके तहत बहला-फुसलाकर, जबरन, झूठ बोलकर, डरा-धमकाकर किसी का भी धर्मान्तरण करवाने का दोषी पाये जाने पर पांच वर्ष तक की कैद तथा 15 हजार रुपये तक का जुर्माने की सजा का प्राविधान है। एससी-एसटी के मामलों में 10 वर्ष तक का सजा तथा 25 हजार तक का जुर्माना निर्धारित किया गया है। अभी भी अनेक राज्यों में धर्मान्तरण जैसे संवेदनशील मुद्दे पर कानून खामोश है। ऐसे में मासूमों पर भारी पड रहा है गजवा-ए-हिन्द का गेम जिहाद जिसे विदेशों में बैठे षडयंत्रकारियों की जमातें अमली जामा पहने में जुटीं हैं। इस बार बस इतना ही। अगले सप्ताह एक नयी आहट के साथ फिर मुलाकात होगी।

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