सौरभ शर्मा/एडिटर इन चीफ
त्री-स्तरीय पंचायत चुनाव को ले कर माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद लोगों में असमंजस की स्थिति बनी हुई है, आम नागरिकों को यह स्पष्ट नही हो पा रहा है कि आखिर चुनाव होंगे या नही, क्योकि प्रत्येक ग्राम पंचायत, जनपद पंचायत एवं जिला पंचायत में काफी शीटें अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित रखी गई थीं किंतु अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद नागरिकों में यह असमंजस बना हुआ है कि चुनाव कैसे होंगे क्योंकि आधी शीटों पर अगर चुनाव होते हैं तो आधी शीटें रुक जाएगी, दूसरी ओर नामांकन प्रक्रिया की तारीख भी निकल रही है मतलब साफ है कि आम नागरिकों से लेकर प्रत्यशियों तक में गोलमोल स्थिति निर्मित हो रही है।
सचिव राज्य निर्वाचन आयोग बी. एस.जामोद ने जानकारी दी है कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश के पालन में मध्य प्रदेश राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा त्रिस्तरीय पंचायतों के आम निर्वाचन वर्ष 2021-22 के लिए जारी कार्यक्रम के अंतर्गत अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित पंच ,सरपंच, जनपद पंचायत एवं जिला पंचायत सदस्य के पदों की निर्वाचन प्रक्रिया स्थगित कर दी गई है। राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा इस संबंध में कार्यवाही के लिए सभी कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारियों को आदेश जारी कर दिए गए हैं।
ज्ञात हो कि कल सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को मध्य प्रदेश सरकार और राज्य निर्वाचन आयोग को संविधान के अनुसार ग्राम पंचायत और नगर निगम नगर पालिका के चुनाव करने के लिए निर्देश दिए है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर चुनाव संविधान के हिसाब से हैं तो चुनाव कंटिन्यू रखें और संविधान के खिलाफ है तो चुनाव रद्द करें यह निर्णय राज्य निर्वाचन आयोग स्वयं ले।वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक तन्खा के मुताबिक राज्य निर्वाचन आयोग को निर्देश दिए कि चुनाव संविधान के हिसाब से हो तो ही कराइए।सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र केस को बेस बनाकर रोक लगाई है और ओबीसी आरक्षण को आधार बनाकर फैसला लिया है।