संतोष साहू/महाराष्ट्र
मुंबई : टेक्नोलॉजी की मदद से पढ़ाई कर रहे बच्चों को मदद करने के लिए भारतीय पैरेंट्स के विकसित होते नजरिए को समझने के उद्देश्य से दुनिया के सबसे बड़े ऑनलाइन लर्निंग प्लेटफॉर्म ब्रेनली ने एक सर्वेक्षण आयोजन किया था। यह पूछे जाने पर कि क्या उनके पैरेंट्स शिक्षा के हाइब्रिड मॉडल को लेकर सहज हैं, सर्वे में शामिल 64% छात्रों ने सकारात्मक उत्तर दिया। इस मॉडल में ऑनलाइन लर्निंग रिसोर्सेस से वर्चुअल निर्देश और सहयोग शामिल है।
महामारी के बाद के युग में शिक्षा को सुविधाजनक बनाने में टेक्नोलॉजी की बढ़ती भूमिका के साथ भारतीय पैरेंट्स की संवेदनशीलता में बदलाव का प्रतीक है। पहले माना जाता था कि बच्चे स्मार्टफोन और इंटरनेट पर मनोरंजन के लिए समय बिताते हैं। नए ट्रेंड से पता चलता है कि भारतीय पैरेंट्स अब इस तथ्य से अधिक सहज हैं कि उनके बच्चे मनोरंजक गतिविधियों में शामिल होने के अलावा डिजिटल डिवाइस और इंटरनेट का उपयोग सीखने और अपने दिमाग को तेज करने के लिए कर रहे हैं।
सर्वे में शामिल छात्रों में से अधिकांश (60%) ने वायरल के प्रकोप के बाद अपनी शिक्षा में अपने पैरेंट्स की भागीदारी को स्वीकार किया है। खासकर ऐसे समय में जब स्कूली शिक्षा के मॉडल ने छात्रों तक डिजिटल रूप से पहुंचने के लिए एक बड़ा बदलाव किया है। सर्वे के नतीजे से पता चलता है कि पैरेंट्स महामारी के बाद तेजी से बदले परिदृश्य में तीन-तीन भूमिकाएं निभा रहे हैं। अपनी पेशेवर और घरेलू जिम्मेदारियों के प्रबंधन के अलावा वर्क-फ्रॉम-होम (डब्ल्यूएफएच) माता-पिता अपने बच्चों को उनकी सीखने की यात्रा में अलग-अलग तरीकों से मदद करने के लिए समय निकाल रहे हैं। वे ऑनलाइन कक्षाओं (31%) के दौरान बच्चों की मदद कर रहे हैं, वे (22%) होमवर्क और असाइनमेंट में मदद कर रहे हैं, या वे (16%) छात्रों को अनुभवात्मक रूप से सीखने में मदद कर रहे हैं।
8% छात्रों ने कहा कि उनके पैरेंट्स अन्य तरीकों से उनकी मदद कर रहे हैं जैसे कि उन्हें और चीजों का पता लगाने के लिए प्रोत्साहित कर, मानसिक और भावनात्मक समर्थन देकर, संदेह दूर करने और प्रश्नों का जवाब देने में, गतिविधियों में मदद या ट्यूशन या कोचिंग कोर्स की तलाश करना।
जिन टॉप 3 विषयों में छात्रों को अपने पैरेंट्स से मदद की आवश्यकता होती है उनमें गणित (35%), अंग्रेजी (19%) और विज्ञान (17%) शामिल हैं। 13% के साथ सामाजिक विज्ञान (इतिहास, नागरिक शास्त्र, और भूगोल) इन विषयों के पीछे है। दिलचस्प बात यह है कि सर्वे में यह भी पाया गया कि भारतीय पैरेंट्स (57%) अपने बच्चों की सीखने की यात्रा में सहायता के लिए ऑनलाइन लर्निंग प्लेटफॉर्मों की मदद ले रहे हैं।
ब्रेनली के चीफ प्रोडक्ट ऑफिसर राजेश बिसानी ने कहा कि पहले, पैरेंट्स अपने बच्चों की ताकत और कमजोरियों के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए सालान या अर्धवाषिक पैरेंट-टीचर मीटिंग पर निर्भर थे। हालांकि, जब से घर से सीखना शुरू हुआ है, मैं अपने बच्चे की सीखने की यात्रा को करीब से देख पा रहा हूं। इस पृष्ठभूमि में ऑनलाइन लर्निंग प्लेटफॉर्म छात्रों को उन विषयों और टॉपिंग के बारे में समझ बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण साधन के तौर पर उभरे हैं।
खासकर उन टॉपिक्स को लेकर, जिनमें वे या तो संघर्ष करते हैं या जिनके बारे में उत्सुक रहते हैं। अधिक से अधिक माता-पिता अपने बच्चों को बेहतर ढंग से पढ़ाने के लिए तथ्य देखने, आवश्यक जानकारी हासिल करने या याद करने के लिए ऑनलाइन टूल और सर्विसेस का उपयोग कर रहे हैं।