संतोष साहू/महाराष्ट्र
मुंबई : सलाम बॉम्बे फाउंडेशन (एसबीएफ) ने वर्ल्ड फोटोग्राफी डे 2021 को उन फ्रंटलाइन वारियर्स के लिये समर्पित किया है, जिन्हें हम फोटो जर्नलिस्ट्स कहते हैं। यह फैसला कोविड के दौरान दुनिया को दी गई उनकी सेवाओं को देखकर लिया गया है। इस अवसर पर एक प्रदर्शनी, वेबिनार और मास्टरक्लास के माध्यम से एक पेशे के तौर पर फोटो जर्नलिज्म की क्षमता पर भी जोर दिया गया।
वर्ल्ड फोटोग्राफी डे से पहले बतौर मेंटर, पाँच मशहूर फोटो जर्नलिस्ट ने सही इमेज लेने के तकनीकी पहलूओं और उसका फोटो एसे बनाने पर वर्कशॉप की एक सीरीज चलाई थी। विभिन्न तकनीकों और फीचर्स पर सबक दिये गये थे, जैसे पोर्ट्रेट्स, स्कायलाइट, लैण्डस्केप और ब्लैक एंड व्हाइट फोटोग्राफी। स्टूडेंट्स को भी फोटोजर्नलिस्ट्स के काम करने के अंदाज से परिचित कराया गया था। इन मेंटर्स में द इकोनॉमिक टाइम्स के नितिन सोनावने, मातृभूमि (मलयालम) के प्रवीण कजरोलकर, असोसिएटेड प्रेस के रजनीश काकाडे, लोकमत के दत्ता खेडेकर और हिन्दुस्तान टाइम्स के प्रफुल गांगुर्दे शामिल थे। स्टूडेंट्स के मोबाइल से क्लिक कर बनाये गये 30 फोटो एसेज (निबंध) के परिणामों को करी रोड स्थित बीएमसी स्कूल बिल्डिंग त्रिवेणी संगम के एज्युकेशन डिपार्टमेंट में फिजिकली डिस्प्ले किया गया था। ‘एक्सपोज्ड: न्यूस्टोरीज थ्रू अ लेंस’ नामक इस आयोजन में बीएमसी एज्युकेशन डिपार्टमेंट के एज्युकेशन ऑफिसर राजा तदवी और बीएमसी की एज्युकेशन कमिटी की चेयरपर्सन संध्या दोशी मुख्य अतिथियों के रूप में मौजूद थे। बीएमसी एज्युकेशन डिपार्टमेंट के आर्ट डिपार्टमेंट के प्रिंसिपल दिनकर पवार ने भी स्टूडेंट्स के हुनर की सराहना की।
19 अगस्त के वेबिनार में दिनकर पवार, बीएमसी एज्युकेशन डिपार्टमेंट के आर्ट डिपार्टमेंट के प्रिंसिपल, मुख्य वक्ता के तौर पर नजर आये। संसाधनों से वंचित युवाओं के लिये बतौर एक कॅरियर, फोटो जर्नलिज्म पर केन्द्रित एक पैनल चर्चा सभी पैनलिस्ट्स का मुख्य विषय थी। यह पैनलिस्ट्स थे जाने-माने फोटोग्राफर रितेश उत्तमचंदानी, सोफिया पॉलीटेक्निक, मुंबई की विजिटिंग फैकल्टी जेरू मुल्लाह और डॉक्युमेंट्री फोटोग्राफर इंद्रजीत खाम्बे। इन सभी ने अपने निजी और पेशेवर अनुभव के बारे में बताया। इस वेबिनार के बाद मिड-डे के मशहूर फोटोग्राफर आशीष राणे ने एक मास्टरक्लास का संचालन किया।
इस पहल के बारे में सलाम बॉम्बे फाउंडेशन में प्रोजेक्ट्स (आर्ट्स एंड मीडिया) की वाइस प्रेसिडेंट राजश्री कदम ने कहा, ‘’कोविड-19 के कारण भले ही आयोजनों, जानकारी बढ़ाने वाले वर्कशॉप और सेमिनारों का आयोजन करने में चुनौती आई है। लेकिन एसबीएफ इसके बावजूद सीखने के लिये अच्छा माहौल बनाने हेतु प्रतिबद्ध है। इस तरह की वर्चुअल प्रदर्शनियों, वर्कशॉप्स और मास्टरक्लास के जरिये हमने थ्योरी और प्रैक्टिस को मिलाया है और अपने स्टूडेंट्स को कुछ न कुछ करते रहने दिया है। ऐसा कोई कारण नहीं है कि वे ज्यादा सुविधा-संपन्न अपने साथियों से पीछे रहें।‘’
मीडिया एकेडमी में म्युनिसिपल स्कूलों के सुविधा से वंचित स्टूडेंट्स पत्रकारिता, फोटोग्राफी, प्रिंट प्रोडक्शन, डिजिटल प्रोडक्शन और क्रियेटिव डिजाइन में प्रशिक्षित किये जाते हैं। इससे उन्हें व्यवहार, लेखन और अंतर्व्यक्तिगत कुशलताएं विकसित करने में मदद मिलती है और उनका आत्मविश्वास तथा आत्म–छवि सुधरती है। यह एकेडमी स्टूडेंट्स को मीडिया से जुड़े कैरियर्स से परिचित भी कराती है और अपनी कुशलताएं दिखाने के लिये सही मंच प्रदान करती है।महामारी के दौरान, मीडिया एकेडमी के इन-क्लास मॉड्यूल्स को डिजिटल फॉर्मेट में बदल दिया गया था, ताकि न्यू नॉर्मल की जरूरतों के अनुसार काम हो सके।