41.4 C
Madhya Pradesh
May 19, 2024
Bundeli Khabar
Home » अखिल भारतीय अग्निशिखा मंच के तत्वावधान में एक सौ दसवाँ ऑनलाइन कवि सम्मेलन सम्पन्न
महाराष्ट्र

अखिल भारतीय अग्निशिखा मंच के तत्वावधान में एक सौ दसवाँ ऑनलाइन कवि सम्मेलन सम्पन्न

महाराष्ट्र / संतोष साहू
नवी : मुम्बई। अखिल भारतीय अग्निशिखा मंच लॉकडाउन से सतत अंतरराष्ट्रीय काव्य सम्मेलन का ऑनलाइन आयोजन करती आ रही है। इसी कड़ी में यह एक सौ दसवाँ 110 वॉ कवि सम्मेलन ‘आया बुढ़ापा’ पर रखा गया था। यह काव्य सम्मेलन भी हमेशा की भांति आनंदपूर्वक सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम का संचालन मंच की अध्यक्ष डॉ अलका पाण्डेय, सुरेन्द्र हरड़ें और शोभा रानी तिवारी ने किया। समारोह की अध्यक्षता रामराय ने निभाई तथा मुख्य अतिथि थे डॉ कुँवर वीर सिंह। वहीं विशेष अतिथि आशा जाकड, सुधा चौहान, नागेन्द्र दुबे, जनार्दन सिंह ने अपने उद्बोधन से सभी रचनाकारों का हौसला बढ़ाया।
आभार व्यक्त किया नीरजा ठाकुर ने एवं सरस्वति वंदना वैष्णव खत्री ने कीं। कार्यक्रम शुरु होते ही मंच पर साठ कवियों ने काव्य पाठ किया जो कि बुजुर्गों को समर्पित था।
धीरे धीरे इंसान बूढ़ा होता है और वह क्या सोचता है आदि। हकिकत में देखें तो कोई बुढा नहीं होना चाहता बुढापे की क्या तकलीफे व फायदें है,
आदि बातें रचनाओं में समाहित रही।
यहां प्रस्तुत है साहित्यकारों की श्रेष्ठ रचनाएं :-

  1. नया नया आया बुढापा
    इज़्ज़त पा रहा बुढापा
    मान सम्मान बहुत मिल रहा है
    मुझ को मज़ा दे रहा बुढापा
    कुछ कुछ पुराना हुआ बुढापा
    निराशा से फिर घिरा बुढापा
    कटते नही अब रात और दिन
    मुश्किलें की बरात लाया बुढापा
    फिर ज़र ज़र होने लगा बुढापा
    असहाय सा रहने लगा बुढापा
    दर्द में चलना फिरना दुश्वार हुआ
    दूसरों पर आश्रित लाचार बुढापा
    हुआ कुछ और पुराना बुढापा
    ताने गाली हज़म करता बुढापा
    उपेक्षा, अपमान के घुट पीता है
    पुरानी यादों में गोते खाता बुढापा
    काटना मुश्किल हो गया अब बुढापा
    बे स्वाद बे इलाज वाला ये बुढापा
    दाँतो ने साथ छोड़ा तो नजर भी धुँधलाई,
    किसके सहारे और कैसे कटे बुढापा
    ईश्वर को अब याद करता हुआ बुढापा
    गुनाहों की माफी माँगता हुआ बुढापा
    मोह माया के बंधन अब सब छूट गये
    ईश्वर में आसक्ति जीवन से मुक्ति चाहता है बुढापा
  • डॉ अलका पाण्डेय
  1. आया बुढ़ापा, आया बुढ़ापा,
    पै गया स्यापा,
    बात बात में खो देते,
    हम अपना आपा।
  • रानी अग्रवाल
  1. जब आया बुढ़ापा दिल नहीं मानता और गुनगुनाता अभी तो मैं जवान हूंँ, फिर सोचता मैं बुढ़ापे से इतना डरता क्यों हूंँ, अशक्त हो जाने से, पैसे पास ना होने से, या हसीनाओं के दिल से उतर जाने से
  • नीरजा ठाकुर नीर
  • समय का प्रवाह चलता जाता।
    पलक झपकते समय बीतता
    आ जाती जीवन की संध्या
    ना होना मायूस कभी भी
    है इक़ सुंदर ठौर बुढापा।
    अपनाना इसको भी दिल से
    संग जुड़ी इससे हैं यादे
    बड़े सुहाने अनुभव की
    खुश रहना सबको खुश रखना।
    यही नियामत समझो रब की।।
  • निहारिका झा, खैरागढ़ (छ ग)
  • क्या लेकर आये क्या लेकर जाना
    जग से हँसते हँसते जाना है
    रोते रोते इस दुनिया में आना है
    जग की सुंदर रीत निभाना है
  • अनिता शरद झा
  • यह सोच कर
    क्यों तेरा दिल भर आया है
    बीता बचपन और जवानी
    अब बुढ़ापा आया है
    यह तो सब पड़ाव है
    जीवन सफर के
    हर साल एक द्वार है
    जीवन नगर के
  • नीलम पाण्डेय, गोरखपुर उत्तर प्रदेश
  1. ना जाने क्यों हम
    मानते है बुढ़ापे को अच्छा नही
    कटता सभी का नहीं
    आसानी से बुढ़ापा
    जिन्दादिली से जिओ तो
    खूबसूरत होता है ये बुढ़ापा
  • चन्दा डांगी रेकी ग्रैंडमास्टर
    रामटेकरी, मंदसौर, मध्यप्रदेश
  1. ऐसे हो चाहे वैसे हो
    छोटी हो चाहे बड़ी हो
    यहाँ की हो या वहाँ की हो
    इनके साथ हो या उनके साथ
    कुर्सी मिले मुझे चाहे
    वो हो किसी के साथ
  2. ओम प्रकाश पाण्डेय
  1. मैं 75 वर्ष के हो गए हैं!!
    मैं कभी नहीं कहते हैं, हम बूढ़ा (ओल्ड) हो गए हैं।
    कहते हैं तपकर वरिष्ठ (गोल्ड) हो गए हैं।।
    जिंदादिली से जी के देखो
    पोता-पोती के साथ खेल कर देखो
    विजय के बचपन लौट आया
    मेरे हमउम्र अजमा के देख।।
    बुढ़ापा एक नसीब है इसे संभाल के रखो।
  • विजयेन्द्र मोहन

इस ऑनलाइन कार्यक्रम में प्रतिभागी रचनाकार आशा जाकड, सुधा चौहान, कुँवर वीर सिंह मार्तण्ड, रामू भैया (कोटा), जनार्दन सिंह, नागेन्द्र दुबे, नीरजा ठाकुर, शोभारानी तिवारी, सुरेन्द्र हरड़ें, बृज किशोरी त्रिपाठी, डॉ अंसूल कंसल, चंदा डागी, रागिनी मित्तल (कटनी, मध्य प्रदेश), सुनीता अग्रवाल, सरोज दुगड, वीना अचतानी (जोधपुर), विजयेन्द्र मोहन (बोकारो, झारखंड), रानी अग्रवाल, वैष्णव खत्री, मीना कुमारी परिहार, रामेश्वर गुप्ता, सुषमा शुक्ला, लीला दीवान, ऐश्वर्या कापरे जोशी (पुणे), हेमा जैन, रविशंकर कोलते (नागपुर), अंशु तिवारी (पटना), तारा प्रजापत “प्रीत” (जोधपुर), पद्माक्षि शुक्ल (पुणे), रजनी अग्रवाल (जोधपुर), ओम प्रकाश पांडे, रानी नारंग, मुन्नी गर्ग, अनीता शरद झा, डॉ ब्रजेन्द्र नारायण द्विवेदी, वीना आडवानी तन्वी, साधना तोमर, मीना त्रिपाठी, पुष्पा गुप्ता, सरोजा मेटी लोडाय, द्रोपद्री साहू सरसिज, स्नेह लता पाण्डेय, नीलम पाण्डेय, श्री वल्लभ अंबर, वंदना शर्मा, हिरा सिंह कौशल (हिमाचल), अलका पाण्डेय, जनार्दन शर्मा (इंदौर), कुमकुम वेद सेन, निहारिका झा, अंजली तिवारी, स्मिता धिरासरिया, कुमारी चन्दा ने अपनी प्रस्तुति दी।
अंत में संस्था की अध्यक्ष डॉ अलका पांडेय ने सबका आभार जताया

Related posts

संत जगनाडे महाराज जयंती महानगरपालिकेत साजरी

Bundeli Khabar

मैदान वाचवण्यासाठी नागरिक सुप्रिया सुळेंच्या दारी

Bundeli Khabar

ऑडी इंडियाने आकर्षक रूपातील ‘ऑडी क्यू५’ लॉन्च केली

Bundeli Khabar

Leave a Comment

error: Content is protected !!