एक ऐसा भी विकलांग अध्यापक, जिसने माफ की 650 छात्रों के पूरे साल की फीस (होली मदर हाई स्कूल).
महाराष्ट्र / ब्यूरो
मुंबई : कोविड-19 के प्रकोप से संपूर्ण मानव जाति त्रस्त हुई है। घातक बीमारी से लाखों लोग जान गवां चुके हैं। प्रकोप से लोगों को बचाने के लिए सरकार को लॉकडाउन लगाना पड़ा । इससे धार्मिक, व्यवसायिक, साहित्यिक , राजनीतिक,व शैक्षणिक गतिविधियां करीब-करीब बंद हो गई ।करोड़ों लोग बेरोजगार हो गए। यहीं से “वर्क फ्राम होम” का आविष्कार हुआ। ऑनलाइन कारोबार शुरू हो गया। स्कूल क्यों पीछे रहते। ऑनलाइन क्लासेज शुरू कर दिए गए। ऑनलाइन क्लासेज से छात्र कितना शिक्षित हुए कहीं से कोई आंकलन उपलब्ध नहीं है। पर स्कूलों ने अभिभावकों से पूरी फीस वसूल की। इस बात की व्यापक शिकायतें शिक्षा विभाग तक पहुंची हैं। मामूली रियायत भी स्कूल देने को तैयार नहीं है ।वहीं एक ऐसा भी स्कूल है, जिसने अपने स्कूल के 650 से अधिक छात्रों की 35 लाख रुपए से ज्यादा पूरे वर्ष की फीस माफ करके एक उदाहरण पेश किया है।यही नहीं लॉकडाउन के दौरान स्कूल संचालक ने पत्नी के गहने बेचकर मिली राशि से स्कूल के शिक्षकों का वेतन प्रदान किया। स्लम क्षेत्र के इस स्कूल का नाम है “होली मदर हाई स्कूल”।
स्कूल के संचालक रफीक सिद्दीकी स्वयं विकलांग हैं। उच्वशिक्षा प्राप्त रफीक सिद्दीकी ने वर्ष 2005 में पुश्तैनी मकान बेचकर स्कूल शु्रू किया था।100 से अधिक निर्धन छात्र स्कूल में नि:शुल्क शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं।दो दौर के लाक डाउन के दौरान विभिन्न संस्थाओं की मदद से रफीक सिद्दीकी ने 35 टन से अधिक राशन जरूरतमंद लोगों को वितरित किया है।संभवत वे ऐसे पहले व्यक्ति भी हैं जिन्होंने अनुदान में दी गई हर किट के साथ 500 रुपए नगद भी दिए ताकि दुधमुंहे बच्चों के दूध के साथ अन्य जरूरत का सामान भी खरीदा जा सके।