पुरातत्व विभाग ने माना बक्स्वाहा में मिले शैल चित्र पाषाण कालीन, आदिवासियों ने कहा विश्व स्मारक घोषित करो
बक्स्वाहा के जंगल बचाने व शैलचित्रों को विश्व स्मारक घोषित करने जटाशंकर में जुटे सैकड़ों आदिवासी, दी आंदोलन की चेतावनी
पाषाण कालीन शैलचित्रों को गंभीरता से ले पुरातत्व विभाग : अमित भटनागर
बिजावर/सुरेश रजक
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एक तरफ बक्स्वाहा के जंगल बचाने व इन जंगलों में मिले शैलचित्रों के संरक्षण व इन्हें विश्व स्मारक घोषित करने समजिक कार्यकर्ता अमित भटनागर की अगुवाई में जिले भर के सैकड़ों आदिवासियों ने जटाशंकर धाम में बैठक कर सरकार को चेतावनी दी तो दूसरी तरफ जबलपुर हाईकोर्ट में दायर आई पी एल के जबाब में पुरातत्व विभाग ने सौपीं रिपोर्ट में शैलचित्रों के पाषाण कालीन होने पर अपनी मुहर लगा दी है। बक्स्वाहा जंगल बचाओ अभियान के प्रवक्ता व सामाजिक कार्यकर्ता अमित भटनागर का कहना है कि बक्सवाहा मे पाषाणकालीन शैल चित्र की एक पूरी श्रृंखला है, आदिमानव के रहवास उनकी बस्तियाँ मौजूद है, साथ ही कई तालाब, महल, मूर्तियाँ भी है जिसे पुरातत्व विभाग गंभीरता से नहीं ले रहा है। अमित का कहना है कि उनके द्वारा पिछले कुछ समय से ज्ञापन और पेपरों के माध्यम से इन शैल चित्रों के संरक्षण व इन्हें विश्व स्मारक घोषित करने की मांग उठाई जा रही है, जब हाईकोर्ट में उक्त आशय की पीआईएल दाखिल की गई तब पुरातत्व विभाग ने कुछ स्थानों का सर्वेक्षण कर आधी अधूरी रिपोर्ट जबलपुर उच्चन्यालय को सौंपी है, जबकि वास्तविकता में यहां पर कई स्थान हैं अमित का कहना है कि वह यह बात नहीं समझ पा रहे हैं कि दुनिया के सबसे प्राचीन शैल चित्रों को लेकर पुरातत्व विभाग गंभीरता क्यों नहीं दिखा रहा है, साथ ही अमित ने स्थानीय जनप्रतिनिधियों पर भी सवाल खड़े किए कि उनके क्षेत्र में दुनिया के सबसे पुराने शैलचित्र हैं, जो इस क्षेत्र ही नहीं देश के लिए भी दुनिया में गौरव की बात है। यह शैल चित्र इस क्षेत्र को प्रसिद्धि ही नहीं बल्कि बड़ी मात्रा में रोजगार दिलाएंगे, बुंदेलखंड के इस पिछड़े क्षेत्र को पर्यटन हब के रूप में विकसित होने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेंगे।
जटाशंकर धाम मैं जिले के आदिवासी समाज के प्रमुख कहलाने वाले माते व एक सैकड़ा से अधिक अधिक गांव के सैकड़ों आदिवासी सम्मिलित हुए। बिना किसी तैयारी व पूर्व सूचना के इतनी बड़ी संख्या में आदिवासियों के जुटने से एक तरफ जिला प्रशासन सकते में हैं तो दूसरी तरफ आदिवासियों ने इन शैल चित्रों को अपने पूर्वज की धरोहर बताया है। शैल चित्रो पर काली स्याही से लिखने और इन्हें नष्ट किए जाने के प्रयास पर नाराजगी व्यक्त की है व इन्हें तुरंत संरक्षित कर विश्व स्मारक घोषित करने की मांग उठाई है।
बिजावर तहसील कुपिया के पूर्व सरपंच बहादुर आदिवासी, छतरपुर तहसील हतनाई के किशनदयाल आदिवासी, बड़ामलहरा के महराजगंज के पांचू आदिवासी, देवीदीन आदिवासी किशनगढ़, तुलसी आदिवासी दौड़न आदि आदिवासी समाज के मुखिया माते का कहना है एक तरफ सरकार ने समाज के सबसे वंचित तबके को पूरी तरह उपेक्षित कर रखा है उनकी शिक्षा, स्वास्थ्य, पीने के पानी, बिजली और सड़क आदि किसी भी बुनियादी जरूरत पर ध्यान नहीं दिया जाता, कहने को तो बहुत सी योजनाएं आदिवासियों के लिए चल रही हैं, पर यह सारी योजनाएं सरकारी कर्मचारियों और जनप्रतिनिधियों के पेट ही भर रही हैं, किसी तरह से आदिवासी परिवार अपने जंगलों में रह कर किसी तरह से गुजारा कर रहा है तो इन जंगलों को भी काटा जा रहा है और उसकी आवाज को दबाया जा रहा है। आदिवासी समाज ने चेतावनी दी कि अगर सरकार ने उनके जंगलों को काटा और उनके पूर्वजों की निशानी इन शैल चित्रों को नष्ट होने से नहीं बचाया और इन्हें विश्व स्मारक घोषित नहीं किया तो आदिवासी समाज मजबूरी में सड़कों पर उतरेगा और जोरदार आंदोलन करने को मजबूर होगा।
बैठक में बिजावर तहसील के हटनाई ग्राम से समाजसेवी अध्यक्ष किशनदयाल आदिवासी, दयाल आदिवासी माते संकरोबरा, गिनना आदिवासी कुपिया ,संतोष आदिवासी अनगौर, रामू आदिवासी अमरपुरा, बिहारी आदिवासी अतरार, रंजीता आदिवासी मझगवां गुलगंज, लखन आदिवासी मानपुरा छतरपुर, पप्पू आदिवासी पिपौरा, नत्थू आदिवासी माते परापट्टी, पंचू आदिवासी महराजगंज बड़ामलहरा, रतनदयाल आदिवासी गंगवहा राजनगर, रामदयाल आदिवासी नदौरा राजनगर, पूरन आदिवासी पुनगुवां, बिंदा आदिवासी माते जैतपुर, बिहारी आदिवासी, दीना आदिवासी माते अमरपुरा, रामदास आदिवासी बेरखेरी, नन्हेभाई आदिवासी रनगुवां छतरपुर, लक्षमण चन्देले छतरपुर, तिज्वा आदिवासी गोची छतरपुर, पुन्न आदिवासी जटयारी, खननू आदिवासी बघवार राजनगर आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किये।
बक्स्वाहा के जंगल बचाने 26 जुलाई से पांच दिवसीय साईकिल यात्रा, तैयारी बैठक आज
बक्स्वाहा जंगल बचाओ आंदोलन के प्रवक्ता अमित भटनागर, आशीष सागर व भगतराम तिवारी ने बताया कि बक्सवाहा के जंगलों को बचाने व बक्सवाहा के जंगलों में मिले पाषाण कालीन शैल चित्रो को तुरंत संरक्षित कर इन्हें विश्व स्मारक घोषित कराने के लिए लिए 26 जुलाई से 30 जुलाई पांच दिवसीय साईकिल यात्रा निकाली जा रही है, जिस हेतु 25 जुलाई को बक्स्वाहा जंगल बचाओ आंदोलन के छत्रशाल चौराहे स्थित कार्यालय में बैठक रखी गई है। 26 जुलाई को गांधी आश्रम में गांधी जी की प्रतिमा का माल्यर्पण कर सटई, बिजावर, भीमकुण्ड होते हुए यात्रा बक्स्वाहा पहुँचेगी।