एक संवाद बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर आचार्य श्री धीरेन्द्र कृष्ण महाराज जी के साथ राष्ट्रीय पत्रकार डॉ रविन्द्र अरजरिया जी
एडिटर डेस्क- समूचे देश मे बुंदेलखंड एक ऐसा नाम है जहां की संस्कृति समूचे विश्व मे अपनी एक अलग ही छवि बनाये हुए है। आस्था का एक ऐसा संगम देखने को मिलता है जिसका दूसरा कोई पर्याय नही। वैदिक काल से आज तक प्रत्येक क्षेत्र में बुंदेलखंड अपनी एक अद्वितीय छवि स्थापित किये हुए है वेद व्यास जी हो चाहे तुलसीदास जी हर साहित्य की जन्म स्थली बुंदेलखंड ही है बुंदेलों की कर्म स्थली बुंदेलखंड में कई अद्वितीय एवं अलौकिक तीर्थ हैं जिनमे विंध्य पर्वत के मध्य जटाशंकर जहाँ भोले भंडारी धूनी रमाये हुए है वहीं बाजना के समीप भीमकुण्ड जिसकी कथा महाभारत काल से जुड़ी हुई है निवाड़ी जिले में रामराज का राज्य ओरछा तो वहीं टीकमगढ़ में नीलकंठ भगवान का कुंडेश्वर धाम जिनकी सब की अलग अलग कथाएं हैं। वहीं बुंदेलखंड में एक धाम है बागेश्वर धाम, जहाँ लगता है एक विशेष दरवार, होती हैं लोगों की मुरादें पूरी, होता है असाध्य रोगों का उपचार, मिलती है कष्टों से मुक्ति। वैसे आध्यात्म के अनुसार आस्था और भक्ति कोई ऐसी वस्तु नहीं जिसे हम बाजार से ला सकें या किताबें पढ़ने से अर्जित कर सकें, यह वो अलंकार है जो ईश्वरीय आशीर्वाद से मनुष्य के अन्तःकरण में स्वयं उत्पन्न होती है और इस आत्मा को परमात्मा से जोड़ती है। ऐसा ही मानना है इस दरबार में आने वाले श्रद्धालुओं का, भक्तों के यहाँ आने मात्र से कष्टों का निवारण हो जाता है और इस बात को कोई नकार भी नही सकता क्योंकि ये भारत भूमि हमेशा से अपनी गौरव गाथा के लिए जानी जाती रही है। ये वो वसुंधरा है जहाँ बड़े बड़े योगी, तपस्वी और सिद्ध पुरुषों ने जन्म लिया है। आध्यात्म के अनुसार इस धरती पर अगर देव हैं तो दानव भी हैं अगर परमात्मा है तो दुरात्मा भी हैं अगर इंसान है तो भूत भी हैं इसी पर एक बिशेष अध्ययन किया नेशनल जर्नालिस्ट डॉ रविन्द्र अरजरिया जी ने बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर पं धीरेन्द्र महाराज जी के साथ..