बिजावर/शमीम खान
कोरोना वैश्विक महामारी काल में इन्सानो को ऑक्सिजन की महत्ता मालूम पड़ गई कि सारा शासन प्रशासन, फैक्ट्रियाँ, प्लांट आदि मिल कर भी ऑक्सीजन की आपूर्ति नही कर पाए और कई लोगों को अपनी जान गवांनी पड़ी किन्तु आज भी लोगों को यह समझ नही आ रहा है कि जंगल का नाश करना समूची मानव जाति का नाश करना होगा, और दिन प्रतिदिन पेडों का सफाया करते जा रहे हैं किंतु वन बिभाग मौन रहकर तमाशबीन बना हुआ है और लकड़ी चोरों के खिलाफ कोई सख्त कदम नही उठाता है अब इससे एक बात तो साफ़ जाहिर होती है कि या तो वन विभाग बिल्कुल ही उदासीन हो गया है या फिर कोई निजी फायदा है।
क्या है मामला:
बिजावर का सारा अस्तित्व एवं सुंदरता वनों के ऊपर ही आधारित है विंध्य पर्वत श्रृंखला होने के कारण यहाँ घने वन देखने को मिलते हैं किंतु इन जीवन दायक वनों पर लकड़ी माफ़ियायों एवं लड़की चोरों की नज़र गड़ी हुई है जिससे दिन प्रतिदिन बड़ी दबंगी से जंगलों का सफाया कर रहे हैं, जिनको रोकने वाला शायद कोई नही है अब चाहे वो गुलाट हो या नयाताल या फिर पठार का तालाब हो या बिजावर बीत हर जगह लकड़ी चोरों का आतंक अपनी चरम सीमा पर है किंतु वन विभाग चिरनिद्रा में लीन है हर तरफ लकड़ी चोर सक्रिय हैं कई स्थान तो ऐसे भी हैं जहाँ पेड़ो का सफाया कर के खेत बना दिये गए हैं हालांकि यह काम एक रात में तो किया नही जा सकता है कि कई एकड़ का जंगल साफ कर के खेत बना दिये जायें, लेकिन वन विभाग की उदासीनता के चलते यह सब संभव हो गया। और घने जंगल खेतों में तब्दील हो गए एवं वन विभाग तमाशबीन बन कर तमाशा देखता रहा अब इसे उदासीनता नही तो क्या कहेंगे। आप स्वयं विचार करें।
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