मलहरा/शमीम खान
वन मंडल के अधिकारियों को अपने कार्यक्षेत्र में आने वाले ग्रामीण क्षेत्रों की जानकारी पूरी तरह नही है तो अब देखने वाली बात यह है कि जब अधिकारी को अपने क्षेत्र का ज्ञान नही है और ये भी नही मालूम है कि कौन कौन से गाँव परिक्षेत्र के अंतर्गत आते हैं तो वनों की रखवाली कैसे करेंगे, गौरतलब है कि खोवा नागौरी जैसे कई गांव जोकि जंगलों में बसे हुए हैं वन परी क्षेत्र बाजना के अंतर्गत आते हैं किंतु क्षेत्राधिकारी बाजना को यह भी नहीं मालूम है की यह गांव इस बीट और मेरे परी क्षेत्र मैं आते हैं रेंजर महोदय द्वारा पूछे जाने पर उनके द्वारा सफाई देते हुए यह कहा गया की वह गांव बहुत ही इंटीरियल एरिया में आते हैं जबकि सोचने वाली बात यह है कि वनों का विस्तार केवल इंटीरियल में ही होता है और वनों का विस्तार शहरों में कभी नहीं देखा जाता है एवं समस्त वन विभाग को शासन द्वारा दूरस्थ वन एवं वृक्षों की सुरक्षा के लिए ही रखा गया है और उनको अपना ही क्षेत्र मालूम नही है इससे बड़ी बात और क्या हो सकती है, चूंकि वन परिक्षेत्र बाजना के अंतर्गत लकड़ी चोर आतंक किये हुए हैं और दूरस्थ इलाकों से सागौन के पेड़ों का सफाया कर रहे है किंतु वन विभाग अनभिज्ञ बना हुआ है इसी संबंध में वन परिक्षेत्र अधिकारी बाजना से फोन पर बात की गई थी।
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