➡️ स्वयं की परवाह न करते हुए लोगों को ज़िंदगी देने वाले ऐसे सभी डॉक्टर्स को प्रणाम
➡️ बीमारी के वक़्त डॉक्टर द्वारा बोले गए दो सकारात्मक शब्द साहस और ढाँढस बंधा देते हैं
सागर / संवाददाता
डॉक्टर, एक ऐसी सेवा, जिसे एक आम व्यक्ति भगवान का दर्जा देता है। बीमारी के वक़्त डॉक्टर द्वारा बोले गए दो सकारात्मक शब्द साहस और ढाँढस बंधा देते हैं। डॉक्टर एक धर्म है न कि व्यवसाय। जिसे सार्थक करने के लिए डॉक्टर को अपने परिवार के साथ साथ अपने कर्म को भी पूरा करने की जवाबदारी रहती है। कोरोना काल में जहां एक ओर परिवार को सुरक्षित रखने का धर्म तो दूसरी ओर मरीजों का इलाज करने के लिए अपना कर्म निभाना होता है।
एक जुलाई को डॉक्टर-डे है। इस अवसर पर उन हजारों डॉक्टरों को सलाम जिन्होंने कोरोना काल की विषम परिस्थितियों में बख़ूबी अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए अपने कर्म के साथ-साथ परिवार को भी सुरक्षित रखा और जिनकी बदौलत आज हम कोरोना संक्रमण से लगभग मुक्त होने की स्थिति में आ गए हैं।
आज हम बात कर रहे हैं सागर के एक निजी चिकित्सालय में पदस्थ छय एवं छाती रोग विशेषज्ञ- एमबीबीएस, एमडी पल्मोनरी मेडीसिन डॉक्टर सौरभ जैन की जिन्होंने अपने वृद्ध माता-पिता और पत्नी को सुरक्षित रखते हुए पूरे मनोयोग से कोरोना संक्रमित मरीजों का इलाज किया। किंतु वे उस समय में पशोपेश में आ गये जब उनका परिवार वृद्ध माता-पिता एवं पत्नी और वे स्वयं कोरोना की चपेट में आ गये। समय कठिन था परंतु कार्य करने की दृढ़ इच्छाशक्ति के कारण उन्होंने न केवल अपने माता-पिता, पत्नी का इलाज किया बल्कि शीघ्र काम पर लौटेते हुए, दस-दस घंटे पीपीई किट पहनकर संक्रमित मरीजों का पूरी ईमानदारी एवं मनोयोग से इलाज किया।
डॉक्टर सौरभ जैन की प्रतिभा की बात करें तो इन्होंने अपने कौशल से ना केवल सामान्य कोरोना संक्रमित व्यक्तियों को स्वस्थ किया बल्कि 104 वर्ष की वृद्ध महिला तक को भी 15 दिवस में पूर्ण स्वस्थ कर अपने घर, अपने पैरों पर चलकर भेजा।
धन्य हैं ऐसे डॉक्टर जिन्होंने अपने वृद्ध माता-पिता के कोरोना संक्रमित होने के बाद भी फोन और वीडियो कॉलिंग के माध्यम से मरीजों का उपचार किया और स्वस्थ होने के बाद लगातार कोरोना संक्रमित व्यक्तियों का इलाज किया एवं अभी भी लगातार अपना कर्तव्य निभा रहे हैं।
डॉक्टर सौरभ जैन से बात करने पर उन्होंने बताया कि, डॉक्टर एक ऐसा प्रोफ़ैशन है जिसे निभाने में सर्वप्रथम अपने मरीजों का इलाज करना प्राथमिकता होती है। अपने परिजनों की चिंता करते हुए मैंने अपने डॉक्टर धर्म का भी पालन किया और पूरी इमानदारी एवं निष्ठा से संक्रमित व्यक्तियों का इलाज किया। उन्होंने बताया कि जब वे कोरोना संक्रमित थे तो उन्होंने घर पर आइसोलेशन में रहकर फोन के माध्यम से कोरोना मरीजों के संपर्क में रहकर उनका इलाज किया।