29.8 C
Madhya Pradesh
May 16, 2024
Bundeli Khabar
Home » बुन्देली ठक्का-ठाई / एडिटर की कलम से
देश

बुन्देली ठक्का-ठाई / एडिटर की कलम से

कानून के बारीकियों का फायदा उठा कर कुर्सी पर जमे हैं दागी अधिकारी

एडिटर डेस्क
शासन- प्रशासन नित नए नियम बना रहा है कि देश से भ्रष्टाचार खत्म हो जाये, कहीं 20-50 फार्मूला से रिटायरमेंट तो कहीं ईओडब्ल्यू, तो कहीं लोकायुक्त जैसे भ्रष्टाचार निवारण बिभाग बनाती है लेकिन कानून की बारीकियों का फायदा उठा कर कुछ अधिकारी साफ निकल जाते हैं, लोकायुक्त द्वारा रंगे हाथों पकड़ने के बाद भी कुर्सी पर डटे रहते हैं और भ्रष्टाचार करते रहते है। और बहाना रहता है कि राज्य शासन द्वारा चालान पास ही नही हुआ तो कहीं फ़ाइल भोपाल में अटकी पड़ी हुई है। और लोकायुक्त द्वारा छापामार कार्यवाही में पकड़ने के बाद भी आलीशान जीवन यापन कर रहे हैं, ये बिना किसी संरक्षण के तो नामुमकिन है क्योंकि पिछले दो सालों में चालान पास कैसे नही हुआ जबकि उसके बाद के लगभग सभी चालान पास हो चुके और पास होना तो दूर की बात बल्कि कई दोषी अधिकारियों को तो सजा भी पड़ चुकी है और वे अपना जीवन जेल में बिता रहे हैं। तो कई बाहर कुर्सियों पर डट कर उसी कृत्य को पुनः अंजाम दे रहे हैं।

क्या है 20-50 फार्मूला-
20-50 फार्मूले का है कि 20 बर्ष की सेवा या 50 बर्ष उम्र, इस फार्मूले के तहत जिस अधिकारी का सर्विस रिकॉर्ड खराब है या जो अधिकारी विभागीय जांचों में फसे हुए है या सिविल सेवा आचरण संहिता के मताबिक दोषी है अथवा भ्रष्टाचार दोषी है तो ऐसे अधिकारियों एवं कर्मचारियों को 20 बर्ष की सेवा पूर्ण होने अथवा 50 बर्ष की उम्र पूरी होने पर सेवानिवृत्त किया जाना, इसी फार्मूले को 20-50 फार्मूला कहते हैं।

भ्रष्टाचारियों के खिलाफ हल्ला बोल-
शासन से अभियोजन की अनुमति न मिलने के कारण जो मामला पिछले 3 बर्षों से अधर में लटका हुआ है अब उसको कुछ लोगों के माध्यम से मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया जा रहा है जिसमे शासन से ये सवाल किए जाएंगे कि, आज दिनांक तक अभियोजन अनुमति न मिलने का कारण जबकि उनके बाद के प्रकरणों की अनुमति प्राप्त हो कर प्रकरण न्यायालय में भी खत्म हो कर सजा हो चुकी है। दूसरी बात ऐसे अधिकारी को कुर्सी पर बैठा कर भ्रष्टाचार को बढ़ावा क्यों दे रहे हैं अब तक निलंबित क्यो नही किया गया।, तीसरा ऐसे अधिकारियों को 20-50 फार्मूला के तहत सेवानिवृत्त क्यों नही किया गया। हालांकि की ऐसे कई पुख्ता सबूतों के साथ लोग मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय का रुख कर रहे हैं।

एक्सपर्ट सलाह-

ऐसे मामलों को सरकार को बिशेष ध्यानाकर्षित करते हुए देखना चहिए ताकि भ्रष्टाचारियों को बढ़ावा न मिल सके, अमूमन तो ऐसे शासकीय सेवक को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया जाता है किंतु बिरले प्रकरणों में देखा गया कि अभियोजन की अनुमति न मिलने से प्रकरण अटक जाए हालांकी इसके खिलाफ व्यक्ति उच्च न्यायालय की शरण मे जा कर दोषी को सजा दिला सकता है।

Related posts

रिश्वतकांड : 10 हजार की रिश्वत लेते धराया गया लिपिक

Bundeli Khabar

बुन्देली खबर मराठी संस्करण:चिपळूण आपदग्रस्तांच्या मदतीला टिटवाळा जात आहे

Bundeli Khabar

अपनी दरियादिली की फिर मिसाल पेश की देश के अनमोल रतन ने

Bundeli Khabar

1 comment

Leave a Comment

error: Content is protected !!