पाटन/संवाददाता
विचारों की अभिव्यक्ति का दूसरा नाम है गोष्ठी, पाटन क्षेत्र में विभिन्न स्थानों पर प्रतिमाह मानस गोष्ठी का आयोजन किया जाता है, जिसमें नगर एवं ग्रामीण क्षेत्रों से प्रबुध्द लोग अपना वक्तव्य प्रस्तुत करते हैं इसी क्रम में तुलसीदास जी की जयंती के उपलक्ष्य में पाटन नगर में मानस गोष्ठी का आयोजन किया गया।
परमात्मा का अवतार किसी विशेष प्रयोजन से होता है,. उनके स्वधाम गमन के बाद उनके प्रयोजन की सिद्धि का कार्य गोस्वामी तुलसी दास जी जैसे सच्चे संत करते हैं. गोस्वामी जी लोकमांगल के निमित्त ही धरा -धाम पर जन्मे थे. उनका जन्म, पूरा जीवनवृत और साहित्य सब कुछ विलक्षण हैं. वे समय के थपड़े सहकर ही जीवन कसौटी पर खरे उतरे हैं उनके ग्रंथों की उपयोगिता किसी समय विशेष की सीमा में बंधी नहीं है. वे हर युग में सार्थक रहे हैं और आज के भौतिक चकाचौध के समय में भी उतने ही उपादेय बने हुए हैं. सनातन धर्म के अनुयायी संस्कृति रक्षक गोस्वामी जी के ऋण से कभी उऋण नहीं हो सकते उक्त आशय के उदगार मानस सत्संग परिवार पाटन के द्वारा नृत्य गोपाल मंदिर में “रजत जयंती मानस गोष्टी ” में बोलते हुए देवेंद्र गोंटिया देवराज, नारायण सिंह, दामोदर पटेल,बेनी कवि,सुखचैन विश्वकर्मा, संतोष चौबे,रामकुमार पटेल, अरविन्द गोंटिया, श्रीराम दिघर्रा, दयाल गुमास्ता, डॉ जी एस ठाकुर आदी ने व्यक्त किये. सत्संग परिवार संयोजक ठाकुर रणधीर सिंह ने गोष्ठी की 25 वर्षीय यात्रा को जन जागृति का प्रभावी माध्यम बताते हुए रजत जयंती पर पत्रिका प्रकाशन की घोषणा की राघवेन्द्र शुक्ल, डॉ विष्णु पाठक व हरिनारायण कुररिया ने सबका स्वागत किया,गोष्ठी में देवदत्त बबेले, डॉ राजरतन सिंह, मुरलीमनोहर पचौरी, सुशील भुर्रक, मदन दुबे, सहित क्षेत्र के सैकड़ों गणमान्य जन व मानस प्रेमी उपस्थित थे।