ब्यूरो डेस्क/सौरभ शर्मा
साल 1937 में जन्मे रतन टाटा का पालन-पोषण 1948 में उनके माता-पिता के अलग होने के बाद उनकी दादी नवाजबाई टाटा ने किया था. रतन टाटा साल 1962 में कॉर्नेल यूनिवर्सिटी से बी. आर्क की डिग्री प्राप्त की थी. 1962 के अंत में भारत लौटने से पहले उन्होंने लॉस एंजिल्स में जोन्स और इमन्स के साथ कुछ समय काम किया।
उद्योग जगत के महानायक रतन टाटा का निधन देश के लिए एक अपूरणीय क्षति है. उन्होंने न सिर्फ टाटा समूह को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया, बल्कि भारतीय उद्योग को वैश्विक मंच पर प्रतिष्ठा दिलाई. उनके नेतृत्व में टाटा समूह ने कई ऐतिहासिक अधिग्रहण किए और समाज कल्याण में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया. रतन टाटा की विरासत हमेशा प्रेरणादायक रहेगी, और उनका जाना देश को गहरे शोक में डाल गया है. बता दें कि वर्तमान में टाटा ग्रुप की कमान एन चंद्रशेखरन के हाथों में है।
महान दानी टाटा :
रतन टाटा एक ऐसे महान पुरुष हैं जो सदैव दूसरों की खुशी के लिए जीते हैं। शायद ही आप लोगों को पता होगा कि रतन टाटा अपनी कंपनी की बचत का 66% परसेंट हिस्सा चैरिटेबल ट्रस्ट में दे देते हैं। और किसी को पता तक नहीं चलता वरना यहाँ तो लोग किसी को एक रूपया भी दान देते हैं तो उसका ऐसा प्रचार करते हैं जैसे की लाखों रुपये दान कर दिए हों। यही कारण है कि रतन टाटा की गिनती देश के टॉप अमीरों में नहीं होती जबकि टाटा से बड़ा बिज़नेस शायद ही किसी का होगा।
देश भक्त टाटा :
मुम्बई अटैक के बाद ताज होटल को ठीक करने के लिए रतन टाटा ने टेंडर निकाला जिसमें दुनिया भर से लोगों ने अप्लाई किया तभी पाकिस्तान के भी कुछ लोग नो टेंडर के लिए अप्लाई किया और वह टाटा से मिलने के लिए आए, जब रतन टाटा को पता चला कि कुछ लोग पाकिस्तान से उनसे मिलने के लिए आये हैं , तो उन्होंने उनसे मिलने को सीधे मना कर दिया, क्योंकि आतंकवादी (अजमल कसाब) जिसने ताज होटल मुंबई पर हमला किया था, वह भी पाकिस्तान का ही था, जब रतन टाटा ने उनसे मिलने से मना कर दिया तब वह दोनों दिल्ली गए और उस समय एक कैबिनेट मिनिस्टर से मिले, उन्होंने मिनिस्टर से टेंडर के लिए रतन टाटा से सिफारिस करवाई, किन्तु रतन टाटा ने कहा कि मैं अपने देश के साथ गद्दारी नहीं कर सकता और टेंडर देने से सीधे मना कर दिया।