संतोष साहू,
अपनी अक्षमता को मात देकर समाज के लिये अपना योगदान देने वाले दिव्यांगों को किया सम्मानित
मुंबई। इंसानी जज्बे को सलाम करते हुए, डॉ. बत्राज़ ने पॉजिटिव हेल्थ अवॉर्ड्स के 14वें संस्करण का आयोजन किया। इस पुरस्कार समारोह में मृदुल घोष, ज़ैनिका जगसिया, डॉ. जितेंद्र अग्रवाल, डॉ. फातिमा असला, अमीर सिद्दीकी को सम्मानित किया गया। पॉजिटिव हेल्थ अवॉर्ड्स के 14वें संस्करण में बाधाओं को पार करने और समाज में अपना योगदान देने वालों को उनके उल्लेखनीय साहस और इच्छाशक्ति के लिये सम्मानित और पुरस्कृत किया गया। मुंबई के टाटा थिएटर, एनसीपीए यह अवार्ड्स बजाज ऑटो द्वारा प्रस्तुत किए गए।
प्रख्यात जूरी पैनल में राजीव बजाज (एमडी, बजाज ऑटो, पद्म श्री से सम्मानित) और डॉ बत्रा’ज़ ग्रुप ऑफ कंपनीज, संस्थापक, डॉ मुकेश बत्रा, श्रीमती मेनका संजय गांधी, विवेक ओबेरॉय और आर. बाल्की शामिल थे। पैनल के लिये देश भर से आए सैकड़ों आवेदनों में से विजेताओं का चयन करना कठिन काम था।
पद्मश्री से सम्मानित, डॉ. मुकेश बत्रा (फाउंडर-डॉ.बत्रा’ज़ ग्रुप कंपनीज) ने कहा, “पॉजिटिव हेल्थ हीरोज हमें प्रेरित करते हैं, ये जीवन में ज्यादा हासिल करने और समाज में अपना योगदान देने में सक्षम हैं। उनका जीवन वास्तव में प्रेरणादायक है और हम परवाह करने वाले एक ब्रांड के रूप में उनकी अद्भुत कहानियों को पेश कर सम्मानित महसूस कर रहे हैं। हमारे पिछले विजेताओं ने भारत में कई और पुरस्कार जीते हैं और हम आशा करते हैं कि उनका धैर्य और दृढ़ संकल्प उन्हें और अधिक ऊंचाइयों को प्राप्त करने में मदद करेगा। इन रियल-लाइफ नायकों को सम्मानित करने के हमारे प्रयास को लगातार सहयोग देने के लिये हम श्री राजीव बजाज का धन्यवाद करते हैं।”
इस कार्यक्रम में उद्योग जगत के लीडर्स, मेडिकल स्टूडेंट्स और एनजीओ शामिल हुए। दृष्टिबाधित ऑर्केस्ट्रा ‘स्वारंगे’ द्वारा गाए गए गानों और ‘मिरेकल ऑन व्हील्स’ द्वारा व्हीलचेयर पर प्रस्तुत किए गए डांस परफॉर्मेंस को देखकर दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए। इस कार्यक्रम में सिमी गरेवाल, मधु शाह, भरत दाबोलकर, सिद्धार्थ काक, गौरव शर्मा, रूपाली सूरी, सोनल जिंदल, ग्वेन ऐथेड, सिमरन आहूजा, सोमा घोष, मिकी मेहता और दिलीप पीरामल सहित कई अन्य प्रसिद्ध हस्तियों ने भी शिरकत की।
पॉजिटिव हेल्थ अवॉर्ड विजेताओं के बारे में:
मृदुल घोष भारतीय वायुसेना के एक कर्मचारी हैं जिन्हें मैदान में एक दुर्घटना का शिकार होने के कारण, सी5 और सी6 वर्टिबल इंजरीज हो गई। इसकी वजह से वे पूरी तरह से लकवाग्रस्त हो गए, लेकिन उनकी इस परेशानी ने उनका हौसला टूटने नहीं दिया। आगे बढ़ने का जज्बा लिये, मृदुल ने अपने होंठों का इस्तेमाल करते हुए पेंटिंग करना शुरू की और जल्द ही वे माउथ एंड फुट पेंटिंग आर्टिस्ट (एमएफपीए) का हिस्सा बन गए। अब वे दिव्यांग पीआरसी दल को निर्देशित करते हैं और ऐसा करने के लिये उन्होंने कई पुरस्कार भी जीते हैं, जिसमें ‘2020 आर्टिस्ट ऑफ द ईयर’ और ‘एमएफपीए इंडिया एक्सीलेंस अवॉर्ड’, शामिल हैं।
पॉजिटिव हेल्थ अवॉर्ड की दूसरी विजेता ज़ैनिका, मुंबई की रहने वाली एक मॉडल हैं, जोकि डाउन सिंड्रोम से पीड़ित हैं, जिन्होंने समाज द्वारा परिभाषित सुंदरता को तोड़ा और बड़े पैमाने पर अपनी कम्युनिटी का प्रतिनिधित्व किया। मॉडलिंग के अपने जुनून के कारण, उन्हें गजरा गैंग, कॉटन वर्ल्ड और नायका जैसे ब्रांड में बेहतरीन मौके मिले। वो मारिका मैगजीन में भी नजर आई थीं। उन्होंने पढ़ाई में भी बेहतरीन ग्रेड हासिल किए।
मैक्यूलर डिजेनरेशन की वजह से अपने आंखों की रोशनी गंवा चुके, डॉ. जितेंद्र अग्रवाल को डेंटल सर्जन के रूप में 6 साल की अपनी प्रैक्टिस को पीछे छोड़ना पड़ा। अपनी रिकवरी के उन सालों के दौरान, उन्हें पता चला कि अक्षमता के साथ एक व्यक्ति विकलांगता से भी वीभत्स चीज का सामना करता है और वो है किसी पर निर्भर होने का एहसास। इसलिए, इस समस्या को दूर करने के लिये उन्होंने ‘सार्थक’ की स्थापना की। सार्थक ने शुरूआती कदम उठाकार और समावेशी शिक्षा पहल के माध्यम से 314 विकलांग बच्चों का पुनर्वास किया है, 4550 पीडब्ल्यूडी उम्मीदवारों को प्रशिक्षित किया है, 100 से अधिक रोजगार मेले आयोजित किए और 7250 पीडब्ल्यूडी को नौकरी दिलाई है।
ओस्टोजेनेसिस इम्परफेक्टा, जिसे भंगुर हड्डी रोग के रूप में भी जाना जाता है, से पीड़ित, डॉ. फातिमा की छह सर्जरी हुई। अपना अधिकांश जीवन डॉक्टरों और अस्पतालों में बिताने के बाद, वह इस बात से हैरान रह गईं कि वे मरीजों की देखभाल कैसे करते हैं। इसलिए, अपने जैसे लोगों की मदद करने के लिये, उन्होंने मेडिसिन की पढ़ाई करने का फैसला किया। उन्होंने एनएसएस होमियो मेडिकल कॉलेज, कोट्टायम में अपना (बीएचएमएस) पूरा किया और एएनएसएस होमियो मेडिकल कॉलेज अस्पताल में एक हाउस सर्जन के रूप में प्रैक्टिस करती हैं।
उत्तरप्रदेश के फतेहपुर जिले के रहने वाले, अमीर सिद्दीकी, पोलियो ग्रसित हो गए, जब वे सिर्फ 18 महीने के थे। अमीर का बचपन काफी मुश्किलों से भरा रहा है। उनके साथ ना केवल उनके स्कूल के साथियों ने भेदभाव किया और उनका मजाक उड़ाया, बल्कि उनके अपने रिश्तेदारों ने भी ऐसा ही किया। जिन्होंने उन्हें बहिष्कृत कर दिया था। लेकिन, उन्होंने ठान लिया कि वे हिम्मत नहीं हारेंगे। उन्होंने दिव्यांगों के प्रति लोगों की सोच को अपनी हिम्मत और शिक्षा से चुनौती दी। आज उनके पास 3 मास्टर्स डिग्रियां हैं और फिलहाल वे अपनी पीएचडी पूरी कर रहे हैं। उनका एनजीओ- ‘ईगल स्पेश्यिली एबल्ड राइडर’, जिनके 500 से ज्यादा पैरा-राइडर्स भारतभर में मोटरसाइकिल रैलियों का आयोजन करते हैं ताकि शिक्षा, रेप-मुक्त भारत जैसे सामाजिक मुद्दों को लेकर जागरूक कर सकें।