पाटन/संवाददाता
नगरीय निकाय चुनाव के बाद अब पाटन नगर परिषद के दो वार्डों के पुनर्मतदान के लिए म.प्र. उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की जा रही है जिसमे दो वार्डों में पुनर्मतदान के साथ-साथ आदर्श आचार संहिता के उलंघन के दोषियों को कार्यवाही की मांग भी की गई है।
उक्त याचिका की पैरवी पाँच सदस्यीय अधिवक्ता टीम कर रही है, याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अंकित चौरसिया जी ने बताया कि नगर परिषद के मतदान के दौरान स्थानीय प्रशासन द्वारा काफी अनियमितताएं की गई हैं जिसके संबंध न्यायालय में एक याचिका दायर की जा रही है उन्होंने स्थानीय प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाते हूए बताया कि वार्ड क्रमांक 07 एवं 08 में फर्जी मतदान किया गया है कुछ मतदाताओं ने दो-दो वार्डों में मतदान किया है।
याचिकाकर्ता एवं याचिकाकर्ता के अधिवक्ता द्वारा बताया गया कि पोलिंग बूथ पर ईवीएम को सील करते समय ईवीएम मशीन क्रमांक की जो रशीद प्रत्याशी को दी गई थी मतगणना स्थल पर उस ईवीएम मशीन का सीरियल क्रमांक मेल नही खा रहा था मतलब वहाँ दूसरे सीरियल क्रमांक की मशीन उपलब्ध थी, एवं बरिष्ठ अधिकारियों को इसकी सूचना देने पर उन्होंने डांट कर मामले को दबा दिया चूंकि मतगणना स्थल पर मोबाईल फोन वर्जित कर दिया गया था जिससे कि उस समय कलेक्टर महोदय तक सूचना नही दे पाए। किंतु बाद में जब आज अनुविभागीय अधिकारी महोदय को उक्त संबंध का आवेदन दिया गया तो उन्होंने साफ शब्दों में लेने से इनकार कर दिया।
वहीं दूसरी ओर नगर परिषद के अधिकारियों पर आचार संहिता उलंघन एवं प्रत्याशियों का आंतरिक समर्थन का आरोप लगाया है क्योंकि नगर परिषद के सीएमओ एवं इंजीनियर द्वारा आचार संहिता के दौरान वार्ड क्रमांक 07/08 एवं 09 में मुरम सड़क का कार्य कराया गया, एवं उक्त कार्य करवाते समय एक प्रत्याशी को साथ लिए रहे तथा उसी को कार्य सौंप कर चले गए थे तथा उसी के माध्यम से मुरम, डस्ट व जेसीबी मशीन बुलाई गई ताकि वार्ड के नागरिकों में यह संदेश पहुँच सके कि सड़क उक्त प्रत्याशी के कारण बन सकी, जिससे कि प्रत्याशी का प्रचार हो सके और लोग उसी को अपना मत प्रदान करें, बाद में उसी प्रत्याशी ने अपना समर्थन दुसरे प्रत्याशी को प्रदान कर दिया और समर्थित प्रत्याशी की जीत हो गई जो नगर परिषद के अधिकारियों की एक सोची समझी साजिश थी एवं स्पष्ट आदर्श आचार संहिता का उलंघन था क्योंकि वैसे भी आचार संहिता के दौरान ऐसे कार्य बंद रहते हैं। एवम नगर परिषद पाटन से उक्त कार्य के संबंध में सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगी गई जो आज दिनाँक तक कार्यालय द्वारा प्रेषित नही की गई है।

