संतोष साहू,
एडवांस्ड इट्राकोनाज़ोल कैप्सूल सुप्रा बायोअवेलेबल 65 और 130 मिलीग्राम लॉन्च की
मुंबई। भारत की एक अग्रणी दवा कंपनी एपेक्स लैबोरेटरीज़ प्राइवेट लिमिटेड ने एडवांस्ड इट्राकोनाज़ोल कैप्सूल सुप्रा बायोअवेलेबल 65 और 130 मिलीग्राम लॉन्च की हैं। चेन्नई में स्थित एपेक्स लैब्स के एडवांस्ड कैप्सूल को फंगल संक्रमण को प्रभावी ढंग से नियंत्रित करने के लिए इलाज के एक प्रभावी विकल्प के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। सुप्रा बायोअवेलबल इट्राकोनाज़ोल कैप्सूल तुलना में कम खुराक में, जैविक प्रणाली को सक्रिय दवा की ज़्यादा खुराक (90%) पहुंचाते हैं। एडवांस्ड कैप्स्युल हर व्यक्ति में उनका प्रभाव अलग-अलग होने की मात्रा को कम करते हैं, इसलिए फंगल संक्रमण के इलाज में इन कैप्सूल के अधिक प्रभावी नतीजें देखे जा सकते हैं।
फंगल संक्रमण पूरी दुनिया में पाए जाते हैं और एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलते हैं, इसलिए हमारी स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली को इनका काफी बड़ा खामियाजा भुगतना पड़ता है। आम तौर पर फंगल संक्रमण के तीन प्रकार माने जाते हैं – सुपरफिशियल, डीप, और सिस्टेमैटिक (पूरे शरीर में फैलने वाला)। त्वचा, बालों और नाखूनों पर सुपरफिशियल संक्रमण से लेकर मस्तिष्क, हृदय, यकृत, फेफड़े, प्लीहा और गुर्दे में फैलने वाले संक्रमण तक कई प्रकार से फंगल संक्रमण होते हैं।
एपेक्स लैबोरेटरीज़ प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक विशगन ने बताया कि फंगल संक्रमण के इलाज के लिए इट्राकोनाज़ोल प्रभावकारी है, लेकिन अध्ययनों से पता चला है कि शरीर में ठीक तरह से अवशोषण न हो पाना और इसके ब्लड कॉन्सेंट्रेशन में दिखाई देने वाले बदलाव जैसी इसकी कई सीमाएं हैं और किसी भी दवा के वांछित क्लीनिकल प्रभाव पाने के लिए शरीर में उसका अवशोषण ज़्यादा से ज़्यादा और हर व्यक्ति में उसके परिणाम अलग-अलग दिखाई देने की मात्रा कम से कम होना ज़रूरी होता है।