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May 11, 2024
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ऑनलाइन गेमिंग उद्योग से स्थिर कराधान व्यवस्था को मिलेगा बल

संतोष साहू,

राजस्व और रोजगार सृजन के लिए संपन्न कौशल – आधारित ऑनलाइन गेमिंग उद्योग महत्वपूर्ण

मुंबई। जीएसटी काउंसिल द्वारा मंत्रियों के समूह (जीओएम) को ऑनलाइन गेमिंग, कैसीनो और रेस कोर्स से संबंधित जीएसटी व्यवस्था के मामलों की पडताल हेतु सौंपे गये कार्य के एक दिन बाद, ऑनलाइन गेमिंग उद्योग ने उद्योग को गिरावट से बचाने के लिए जीएसटी दरों को बढ़ाने के खिलाफ सरकार के सामने ठोस आधार प्रस्तुत किया है। ऑनलाइन गेमिंग उद्योग में निकट भविष्य में राजस्व और रोजगार के अवसर पैदा करने की अपार क्षमता है, और प्लेटफॉर्म शुल्क/सकल गेमिंग राजस्व (जीजीआर) के बजाय 28% प्रवेश शुल्क + 115% अधिभार पर जीएसटी लगाने का कोई भी प्रस्ताव उद्योग को व्यावसायिक रूप से अव्यवहार्य बना देगा।
कई उद्योग विशेषज्ञ रेसिंग, जुआ और सट्टेबाजी के साथ 28% ब्रैकेट में उद्योग के क्लबिंग का जोरदार विरोध करते हुए ऑनलाइन गेमिंग पर 18% जीएसटी को जारी रखने की मांग कर रहे हैं। भारत के सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल जैन ने कहा, “हमने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देखा है कि जिन बाजारों ने जीजीआर के बजाय प्राइज पूल पर कर लगाना शुरू किया था, उन्हें वापस केवल जीजीआर पर कर लगाना पड़ा क्योंकि इसका परिणाम गैर – अनुपालन, राजस्व क्षति और ग्रे बाजार के रूप में सामने आया।” वह संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और जर्मनी जैसे देशों में अंतरराष्ट्रीय ऑनलाइन गेमिंग उद्योग की कर संरचनाओं का उल्लेख कर रहे थे। उन्होंने बताया कि किस तरह से उन देशों ने जीजीआर पर 15 -20 प्रतिशत के बीच की दर से कर लगाया है।

अकेले जीजीआर पर कर लगाने की आवश्यकता का समर्थन करते हुए, ऑनलाइन गेमिंग उद्योग ने कहा है कि प्राइज पूल के बजाय जीजीआर पर कर लगाने से लंबी अवधि में कर राजस्व में वृद्धि हुई है। और अंतरराष्ट्रीय संदर्भों से भी यही संकेत मिलता है, निर्धारित बैठक से पहले जीएसटी काउंसिल को कई सिफारिशें भेजी गई हैं, ताकि व्यापार को ग्रे मार्केट में जाने से बचाकर राजस्व के नुकसान को रोका जा सके और प्रचलित वैश्विक व्यवहार के साथ गैर-अनुपालन को हतोत्साहित किया जा सके। रमीश कैलासम (मुख्य कार्यकारी अधिकारी, IndiaTech.Org) ने कहा कि भारत में ऑनलाइन गेमिंग उद्योग की बढ़ती संभावना का सही तरीके से लाभ लिए जाने की आवश्यकता है। यह आवश्यक है कि कौशल की प्रमुखता वाले गेम पर आदर्श रूप से प्लेटफ़ॉर्म शुल्क पर 18% पर कर लगाया जाए। मंत्री समूह (जीओएम) को उचित तरीके से सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाना चाहिए और आपूर्ति के मूल्य के रूप में प्लेटफॉर्म शुल्क/जीजीआर पर विचार करने की वर्तमान व्य्वस्था को जारी रखने की सिफारिश करनी चाहिए। चूंकि ऑनलाइन कौशल आधारित गेमिंग, जुआ या सट्टेबाजी या दांव नहीं है, इसलिए मुकदमेबाजी को हल करने और उद्योग को राहत प्रदान करने के लिए स्पष्टीकरण जारी किए जाने की आवश्यकता है।

भारतीय मोबाइल गेमिंग बाजार पर बीसीजी और सेकोइया द्वारा 2021 की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय ऑनलाइन गेमिंग उद्योग 2025 तक तिगुना बढ़कर $5Bn + होने की उम्मीद है। गेमिंग, भारत में 1.8 अरब डॉलर का सनराइज क्षेत्र है और अभी भी यह अपेक्षाकृत छोटा (वैश्विक का ~ 1%) है, लेकिन यह तेजी से बढ़ रहा है (~38% सीएजीआर के साथ)। हाल ही में एफआईएफएस – डेलॉइट की रिपोर्ट के अनुसार, ऑनलाइन गेमिंग के विशिष्ट रूप, फैंटेसी स्पोर्ट्स अगले तीन वर्षों में 15,000 करोड़ रुपये का एफडीआई आकर्षित करने की क्षमता रखता है।
वर्तमान अस्पष्टता पर चिंता व्यक्त करते हुए, स्पोर्ट्स लॉ और टैक्सेशन के क्षेत्र में प्रैक्टिस कर रहे अधिवक्ता, एस कृष्णन ने कहा कि कर का अत्यधिक बोझ इस उद्योग को अव्यवहार्य बना देगा, और ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफार्मों ने कई अवसरों पर सरकार से अपील की है कि कौशल आधारित ऑनलाइन गेम को जुआ के रूप में न माना जाए, और साथ ही यह बताया गया है कि किस तरह ऑनलाइन कौशल आधारित खेलों के साथ अलग और तर्कसंगत व्यवहार से गैर-अनुपालन, राजस्व की हानि और ग्रे बाजारों के जोखिम को खत्म करने में मदद मिल सकती है।

विशेषज्ञों का मानना है कि वर्तमान कराधान व्यवस्था में बदलाव होने पर उद्योग को काफी नुकसान होगा। इसके अलावा, ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म पर लेनदेन 100% डिजिटल हैं और उनका “डिजिटल इंडिया” में महत्वपूर्ण योगदान है। यही नहीं, ऑनलाइन गेमिंग उद्योग देश में स्टार्टअप भावना को अगले स्तर तक ले जाने और भारत के एवीजीसी क्षेत्र को और बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। निर्माण में अनिश्चितता और कौशल – आधारित ऑनलाइन गेमिंग के लिए कराधान को जल्द से जल्द हल किया जाए तो यह सभी हितधारकों के लिए लाभदायक स्थिति हो सकती है। ऐसा करने से, इस उद्योग में एफडीआई बढ़ेगा और इसमें वृद्धि होगी, जिससे उपभोक्ता की रूचि के साथ साथ कर राजस्व बढ़ेगा। इससे सरकार को लंबी अवधि में मदद मिलेगी और भारत एवीजीसी में एक प्रमुख वैश्विक शक्ति बन सकेगा।

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