31.7 C
Madhya Pradesh
April 29, 2024
Bundeli Khabar
Home » भविष्य की आहट / डा. रवीन्द्र अरजरिया
देश

भविष्य की आहट / डा. रवीन्द्र अरजरिया

महामारी की आड में सत्ताधारी दलों की कब्र खोदने में लगे हैं कुछ प्रशासनिक अधिकारी

देश में महामारी और चुनाव एक साथ दस्तक देने की तैयारी में हैं। दुनिया के अनेक राष्ट्रों में तांडव करने वाले वायरस ने हमारे चारों ओर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। मरीजों की संख्या में हो रहे इजाफे को लेकर सरकारों के माथे पर चिंता की लकीरें गहराने लगीं हैं। हालातों की समीक्षा और सूत्रों की मानें तो इसी का फायदा उठाकर सत्ता हथियाने के लालच में लगे लोगों के एक गिरोह ने कुछ प्रभावशाली प्रशासनिक अधिकारियों के साथ सांठगांठ करके दूरगामी योजना का खाका खींच लिया है जिसके तहत महामारी को बहाना बनाकर मनमानी का खेल खेलने की तैयारी लगभग पूरी हो चुकी है। ऐसे अधिकारियों के व्दारा चार चरणों में पूर्व निर्धारित योजनानुसार कार्य शुरू भी किया जा चुका है। बानगी के तौर पर उत्तर प्रदेश को ही ले लें तो वहां पर जातिवादी डंके पर अधिकारियों को स्थानांतरित करने का राग सुनाई देने लगा है। स्थानांतरित होकर पहुंचे अधिकारियों ने सबसे पहले प्रशासनिक कसावट के नाम पर कर्मचारियों को प्रताडित करना शुरू किया। फिर सार्वजनिक स्थानों पर अधीनस्तों के साथ अपशब्दों का प्रयोग, नौकरी से निकलवा देने की धमकी तथा वेतन रोक देने के आदेश जारी करने का क्रम चल निकला है। तीसरे चरण के क्रियांवयन में ढिढुरती ठंड में अलसुबह से ही रिपोर्टिंग का दबाव, देर रात तक परिणामविहीन बैठकों का दौर और खद्दर के सामने नतमस्तक होने का दिखावा करने वाले अधिकारी वास्तव में विपक्ष के साथ मिलकर सत्ताधारी पार्टी की कब्र खोदने में लगे हैं। बुंदेलखण्ड में तो इस तरह के क्रियाकलाप चरम सीमा पर पहुंचते जा रहे हैं। खासतौर पर जहां पहली बार जिला प्रशासन की बागडोर सम्हालने वाले अधिकारियों की पदस्थापना हुई है वहां पर महामारी की आशंका को आड बनाकर स्वास्थ्य विभाग सहित अनेक विभागों के धरातल पर काम करने वालों को प्रताडित करने का अभियान युध्दस्तर पर चल निकला है। उदाहरण के तौर पर खनिज के अवैध उत्खनन के लिए देश में चर्चित एक सीमावर्ती जिले में जब एक अधिकारी ने माफियों पर शिकंजा करने की कोशिश की तो उसे पहले माफियों ने बंधक बनाया, बेइज्जती की और फिर उसे ही स्थानांतरित कर दिया गया। साथ ही उसके दो अधीनस्तों को निलंबित कर जांच बैठा दी गई। इस कार्यवाही के पीछे अवैध वसूली के आरोपों को आधार बनाकर प्रस्तुत किया गया। चौराहों से लेकर चौपालों तक हो रही चर्चाओं में पूरे प्रकरण के पीछे पूर्व निर्धारित योजना के चौथे चरण का प्रयोग बताया जा रहा है जिसमें माफियों को सुरक्षित करने, उनके अवैध धंधों को अप्रत्यक्ष में प्रोत्साहित करने तथा कुछ खद्दरधारियों को लाभ देने की बातें कही-सुनी जा रहीं हैं। ऐसा केवल एक जिले में ही नहीं हो रहा है। पूरे प्रदेश में स्थाई कर्मचारियों के निर्धारित दायित्वों का बोझ संविदाकर्मियों पर लादने, संविदा समाप्त करने की धमकियां देने तथा मनमाने ढंग से कारण बताओ नोटिस जारी करने का क्रम चल निकला है। यह सब इस कारण भी हो रहा है कि निरंतर प्रताडना के फलस्वरूप संविदाकर्मियों के थोक में त्यागपत्र प्राप्त होने लगें और फिर उन पदों पर आउट सोसिंग के लोगों को मनमाने ढंग से तैनात करवाया जाये। यहां यह स्पष्ट करना जरूरी है कि आउट सोसिंग कम्पनियों में ज्यादातर का मालकाना हक किसी सफेदपोश के खास सिपाहसालार के पास ही सुरक्षित है। उत्तर प्रदेश सहित उन सभी राज्यों में सत्ताधारी दलों को आगामी विधानसभा चुनावों में सिंहासन से दूर करने हेतु ऐसे ही संगठित प्रयास चल रहे हैं। गोवा में तो दल-बदल का खेला होने ही लगा है। यह क्रम अन्य राज्यों में भी मान-मनउअल के रूप मेें देखा जा सकता है। ज्यों-ज्यों महामारी का प्रकोप तेज हो रहा है त्यों-त्यों राजनैतिक रंग में अंदर से रंगे अधिकारियों के वास्तविक रंग भी उजागर होते जा रहे हैं। ऐसे अधिकारियों के विरुध्द जनप्रतिनिधि भी गांधारी बने बैठे हैं क्यों कि चुनावी महासमर में जीत-हार का एक पक्ष अधिकारियों के पास भी सुरक्षित रहता है। कब, कहां और किसे लाभ देने का वातावरण बनाना है और किसे धूल चटाने हेतु प्रदूषिण में झौंक देना है, यह सब कुछ अप्रत्यक्ष में जिले के प्रशासनिक मुखिया का विशेषाधिकार है जिसे संविधान में स्वविवेक के रूप मेंप परिभाषित किया गया है। महामारी की निरंतर तीव्र होती गति के साथ आगामी चुनावों की सरगर्मी भरे माहौल ने कदमताल करना शुरू कर दिया है। महामारी से जहां जीवन को सुरक्षित रखने की चुनौती है वहीं संवैधिानिक व्यवस्था को पारदर्शी ढंग से संचालित करते हुए निर्वाचन प्रक्रिया को आरोप विहीन बनाने रखना भी फिलहाल कठिन लग रहा है। चर्चाओं के विश्लेषण के आधार पर यह कहना अतिशयोक्ति न होगा कि सत्ताधारी दलों को पुन: सिंहासन पर पहुंचने से रोकने की कबायत में लगे लोगों को अनेक प्रशासनिक अधिकारियों का साथ मिल चुका है जो निरंतर गतिशील रहने की स्थिति में लक्ष्य प्राप्त करने में सफल हो सकता है। फिलहाल इतना ही। अगले सप्ताह एक नई आहट के साथ फिर मुलाकात होगी।

Related posts

शर्लिन चोपड़ा ने राज कुंद्रा पर यौन शोषण का लगाया आरोप

Bundeli Khabar

बुन्देली ठक्का-ठाई / एडिटर की कलम से

Bundeli Khabar

भारत सागरी सुरक्षेकडे लक्ष देईल: पीएम मोदी

Bundeli Khabar

Leave a Comment

error: Content is protected !!