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October 6, 2024
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मध्यप्रदेश

पत्रकारों ने सर्वसम्मति से लिया निर्णय अब पुलिस और प्रशासन की खबरों व प्रेस कॉन्फ्रेंस का करेंगे बहिष्कार

कार्रवाई नहीं हुई तो भाई दूज के बाद पत्रकारों की होगी बड़ी बैठक होगी आर-पार की लड़ाई

पुलिस अधीक्षक सचिन शर्मा के कार्यकाल में पत्रकारों पर हुई कई एफआईआर की हो जांच

सुरेश रजक/शमीम खान

छतरपुर-पुलिस की दमनकारी नीतियों के विरोध में मंगलवार को स्थानीय सर्किट हाउस में पत्रकारों की एक बैठक का आयोजन किया गया था जिसमें विगत रोज मध्यप्रदेश शासन से अधिमान्य पत्रकार धीरज चतुर्वेदी और भूपेंद्र सिंह के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 228 क के तहत जो मामला पंजीबद्ध किया गया था उसका विरोध किया गया। इस बैठक में पत्रकारों ने सर्वसम्मति से कई निर्णय लिया जिसमें सबसे प्रमुख निर्णय पुलिस प्रशासन की खबरों व प्रेसवार्ता के बहिष्कारबलिया गया। इस निर्णय के सभी पत्रकारों ने समर्थन किया साथ ही पत्रकारों द्वारा आंचलिक पत्रकारों के मुद्दों को भी उठाया गया पिछले दिनों कई क्षेत्रों के स्थानीय पत्रकारों पर पुलिस द्वारा सिर्फ इसलिए मामला दर्ज कर दिया जाए क्योंकि उन्होंने उनके भ्रष्टाचार या कानून का उल्लंघन संबंधी खबरों को प्रकाशित या प्रसारित किया था।

भाई दूज के बाद होगी पत्रकारों की बड़ी बैठक

पत्रकारों की बैठक के बाद सभी पत्रकार एकजुट होकर सर्किट हॉउस से पुलिस अधीक्षक कार्यालय पैदल रैली कर पहुचे, इस दौरान पत्रकारों ने पुलिस प्रशासन मुर्दाबाद के नारे भी लगाए, पुलिस अधीक्षक की अनुपस्थिति में एडिशनल एसपी को ज्ञापन देने के बाद सभी पत्रकार कलेक्ट्रेट कार्यालय पहुंचे जहां कलेक्टर की अनुपस्थिति में जिला सीईओ को ज्ञापन सौंपा गया इस दौरान निर्णय लिया गया कि भाई दूज के बाद पत्रकारों की एक विशाल बैठक का आयोजन किया जाएगा जिस मैं आगे की रूपरेखा तैयार की जाएगी।

पत्रकारों के मत:

परिहार गर्जना के संपादक रामबाबू सिंह परिहार,दैनिक वीर दृष्टि से सी ने कहा कि हमें पुलिस और प्रशासन खबरों का पूर्ण रूप से बहिष्कार करना चाहिए।

बरिष्ठ पत्रकार प्रतीक खरे ने कहां की पत्रकारों को हतोत्साहित करने का कार्य पुलिस प्रशासन कर रहा है। हमें हतोत्साहित का होकर ऐसे काम करना पड़ेगा जिससे पुलिस प्रशासन हतोत्साहित हो हमें अपनी एकता को दिखाना पड़ेगा।

इस मौके पर स्वतंत्र बरिष्ठ पत्रकार श्रवण गौरव ने इस मामले मैं पुलिस की खामियां गिनाते हुए कहा कि पुलिस ने पहले ही महिला संबंधी अपराधों पर सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन। सबसे पहले कारवाही तो उन पुलिस अधिकारियों पर होनी चाहिए जिन्होंने इतने बड़े अपराध को संज्ञान में ना लेते हुए पत्रकारों पर कार्रवाई करने में ज्यादा रूचि दिखाएं है।

राज एक्सप्रेस व पेप्टेक टाइम के पत्रकार अंकुर यादव ने कहा कि यह मौका पुलिस में पत्रकारों को दिया है एक होने का हमें इस मौके को भुनाना होगा और इस तरह की कार्रवाइयों का विरोध करना पड़ेगा पुलिस में जानबूझकर केवल दो पत्रकारों पर एफ आई आर दर्ज की है।

स्वराज एक्सप्रेस न्यूज चैनल के ब्यूरो चीफ मनीष खरे ने कहा कि ख़बरों निष्पक्षता से दिखाना पड़ेगा। पुलिस प्रशासन द्वारा भेजे गए प्रेसनोट पर विश्वास न कर वास्तविक स्थिति से लोगों को परिचित कराना पड़ेगा।

आईएनडी 24 चैनल पर ब्यूरो चीफ मनोज सोनी ने कहा की सत्यपरख खबरें छपती रहनी चाहिए। हमें लोगों को भी वास्तविक स्थिति को दिखाना पड़ेगा ना कि पुलिस प्रशासन द्वारा भेजे गए प्रेस नोट को।

दैनिक भास्कर के रिपोर्टर अतुल जैन ने कहा इस मामले में पुलिस ने पत्रकारों के अधिकारों का हनन किया है साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने जो नियम महिला अपराधों से संबंधित है उनका पालन नही किया गया है।

बंसल न्यूज़ चैनल के जिला ब्यूरो चीफ शिवेंद्र शुक्ला ने कहा कि खबरें पढ़कर अधिकारी अपनी खुन्नस निकाल रहे हैं। यह घटना किसी के भी साथ हो सकती है इसलिए हमें संगठित होकर ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति ना हो उस पर विचार करना पड़ेगा।

एबीपी न्यूज़ चैनल के संवाददाता मनीष कार्यालय तक कि हमें अपने वरिष्ठ और कनिष्ठ पत्रकारों के बीच गैप को कम करना होगा। पत्रकारों के बीच का अंतर है इस तरह की समस्याओं को पैदा करता है जब तक हम एक दूसरे से संवाद नहीं करेंगे इस तरह की समस्याएं होती रहेगी।

स्वतंत्र समय समाचार पत्र के ब्यूरो चीफ मुरसलीन खान ने कहा कि पुलिस की इस तरह की कार्रवाइयों के खिलाफ उग्र आंदोलन होना चाहिए। और यह आंदोलन तब तक चलना चाहिए जब तक की पुलिस इस मामले को लेकर दोषियों पर कार्यवाही नहीं करती।

प्रदेश हेड लाइन से पत्रकार विनोद मिश्रा ने कहा कि हमें तब तक धरने पर बैठना चाहिए जब तक हमारी मांगे नहीं मानी जाती। यह धरना 1 दिन का भी हो सकता है और कई दिनों का इसके लिए हमें तैयार रहना चाहिए समस्या किसी भी पत्रकार के साथ हो सकती है।

तेज न्यूज़ इंडिया के पत्रकार पत्रकार लखन राजपूत ने कहा कि इस तरह की कार्रवाइयों के लिए हमें एक होकर काम करना होगा। किसी भी पत्रकार के साथ कोई फर्जी मुकदमा दर्ज होता है तो हमे उसका साथ देना होगा।

वरिष्ठ पत्रकार रविन्द्र अरजरिया ने कहा कि हमें इस मौके पर एक कीर्तिमान स्थापित करना होगा पुलिस ने उन पत्रकारों के खिलाफ एफ आई आर दर्ज की है जिन पर कभी कोई आरोप नहीं लगाए गए हैं वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को इस मामले में क्षमा मांगनी चाहिए और मामले में खात्मा लगाना चाहिए।

एसीएन भारत न्यूज़ चैनल के संवाददाता अनूप तिवारी ने कहा जिले में आंचलिक पत्रकारों पर भी कई तरह के फर्जी मामले दर्ज किए गए हैं और मामलों पर जांच कर उचित कार्यवाही होनी चाहिए।

दैनिक समाचार पत्र शुभ भारत के समूह संपादक श्याम अग्रवाल ने कहा कि इस तरह के अपराध पंजीबद्ध होने पर हमें सबसे पहले पुलिस प्रशासन की समाचारों, प्रेस वार्ता ओं का बहिष्कार करना होगा। हमें बड़े आंदोलन के लिए तैयार रहना पड़ेगा मैंने भी इस तरह के मामले सामने आए हैं जहां पुलिस प्रशासन द्वारा एक चेक कर पत्रकारों के बीच मतभेद पैदा सर उन्हें थोड़ा हमें सतर्क रहकर अपनी गतिविधियों को अंजाम देना पड़ेगा।

इस मौके पर दबंग मीडिया के संपादक भूपेंद्र सिंह ने कहा कि हम लगातार पुलिस प्रशासन के गलत और जनविरोधी कार्यो को समाचार पत्र के मध्यम से उजागर करते रहे है जब पुलिस प्रशासन का बस नही चला तो इस तरह की एफआईआर दर्ज कराई गई है। पुलिस की इस तरह कार्यवाही से ना हम डरे है ना डरेंगे।

राज्यस्तरीय अधिमान्य पत्रकार धीरज चतुर्वेदी ने कहा कि पुलिस द्वारा जो फर्जी कहानी गलत है एफ आई आर दर्ज की गई है वह यह दर्शा रहा है कि अपने कर्तव्यों का निर्वाहन सही तरीके से नहीं कर रही है जिस खबर को लेकर एफ आई आर दर्ज की गई है वह खबर लगभग छतरपुर जिले से प्रकाशित व प्रसारित होने वाले समाचारों न्यूज़ चैनल सभी पर चली है लेकिन टारगेट सिर्फ दो पत्रकारों को किया गया जो हमेशा सत्य खबरें दिखाते रहे।

भोपाल की जान समाचार पत्र के संपादक विनोद अग्रवाल ने कहा कि छतरपुर पुलिस जिस तरह पत्रकारों के साथ दुर्व्यवहार कर रही है इससे पहले कभी नहीं हुआ सचिन शर्मा के कार्यकाल में ही कई पत्रकारों पर एफ आई आर दर्ज हुई है उसकी जांच होनी चाहिए पत्रकार समाज का वह आईना है जो सत्य को सत्य कहने की ताकत रखता है

बुन्देली खबर के संपादक सौरभ शर्मा के अनुसार यह लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर हमला है किंतु सत्य कभी पराजित नही हो सकता, उक्त मामले में की उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए। साथ ही प्रदेश के सभी पत्रकारों को एक जुट होकर कलम की ताकत को शासन एवं प्रशासन को दिखाना चाहिए।

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