धर्म / ब्यूरो
कहते है भगवान राम ने इस पक्षी के दर्शन के बाद ही रावण पर विजय प्राप्त की थी. विजय दशमी का पर्व जीत का पर्व है. दशहरे पर नीलकण्ठ के दर्शन की परंपरा बरसों पुरानी है. लंका जीत के बाद जब भगवान राम को ब्राह्मण हत्या का पाप लगा था. तब भगवान राम ने अपने भाई लक्ष्मण के साथ मिलकर भगवान शिव की पूजा अर्चना की एवं ब्राह्मण हत्या के पाप से खुद को मुक्त कराया।
भारत में मान्यताओं का लोग विशेष तौर पर ध्यान रखते हैं. खासकर पर्व त्यौहार में कोई चूक न हो जाए इसका खास ध्यान रखा जाता है. वहीं नवरात्र के बाद दशहरा पर्व में एक ऐसा पक्षी जो दिख जाए तो लोगों की किस्मत बन जाती है. जी हां, ये भी मान्यता का ही एक हिस्सा है. दरअसल, दशहरा पर्व में निलकंठ का दर्शन शुभ माना जाता है. कहा जाता है कि ये भगवान शंकर का रूप हैं जो धरती पर अवतरित हुए हैं।
यही कारण है कि दशहरे के दिन हर व्यक्ति इसी आस में छत पर जाकर आकाश को निहारता है कि उन्हें नीलकंठ पक्षी के दर्शन हो जाएं. ताकि साल भर उनके यहां शुभ कार्य का सिलसिला चलता रहे. कहते हैं कि इस दिन नीलकंठ के दर्शन होने से घर के धन-धान्य में वृद्धि होती है. साथ ही घर में मंगल कार्य लगातार होता रहता है.कहते हैं कि दशहरे में सुबह से लेकर शाम तक किसी भी वक्त नीलकंठ दिख जाए तो देखने वाले व्यक्ति के लिए ये शुभ होता है।