भोपाल / ब्यूरो
मध्यप्रदेश देश का ऐसा पहला राज्य हैं, जहां मासूमों से दरिंदगी के दोषी को फांसी तक की सजा का प्रावधान किया है. इसके बाद भी इस तरह की घिनौनी घटनाओं में कमी नहीं आ रही है. राज्य में पिछले चार साल में मासूमों से ज्यादती की घटनाओं में 400 % की बढ़ोतरी हुई है. साल 2017 में जहां इस तरह की 964 घटनाएं हुई थीं, वहीं साल 2020 में ऐसी 3259 घटनाओं ने समाज को शर्मसार किया।, मध्यप्रदेश में सिर्फ उज्जैन ऐसा जिला है, जहां मासूमों के साथ दरिंदगी की एक भी घटना दर्ज नहीं हुई. जबकि इंदौर इस मामले में सबसे अव्वल है. यहां औसतम हर दो दिन में तीन मासूस बच्चियां दरिंदों का शिकार हो रही हैं. मध्यप्रदेश में पिछले चार सालों में बच्चियों से दरिंदगी के मामलों में करीब चार गुना बढ़ोतरी हुई है. इनमें 96 फीसदी मामलों में आरोपी परिचित ही निकले हैं. करीब 40 फीसदी मामलों में आरोपी फेमिली फ्रेंड या पड़ोसी ही निकलते हैं।
बच्चियों से दरिंदगी के मामले टाॅप 10 जिले
मध्यप्रदेश में साल 2020 में बच्चियों से दरिंदगी की 3259 घटनाएं हुई हैं. यानि हर रोज 8 से ज्यादा बच्चियों से दुराचार की घटनाएं हो रही हैं. एनसीआरबी और पुलिस मुख्यालय के मुताबिक सबसे ज्यादा 165 घटनाएं इंदौर में सामने आई हैं. यानि इंदौर में हर दो दिन में तीन मासूम के साथ दुराचार हुआ. प्रदेश के बड़े शहरों की अपेक्षा राजधानी से सटे छोटे जिलों सीहोर, रायसेन में भी ऐसी घटनाएं बड़ी संख्या में हुई हैं. आदिवासी जिला धार में एक साल में 128 और खरगौन में बच्चियों से दुराचार की 136 घटनाएं सामने आई हैं।
उज्जैन में एक साल में बच्चियां सबसे ज्यादा सेफ, प्रदेश का उज्जैन जिला ऐसा है, जहां पिछले एक साल में बच्चियों से दरिंदगी की एक भी घटना दर्ज नहीं हुई है. प्रदेश के बाकी सभी जिलों में इस तरह की एक दर्जन से ज्यादा घटनाएं सामने आई हैं ।