महाराष्ट्र / आर्चिस पाटील
मुंबई : हाल ही में उल्हासनगर महानगरपालिका आयुक्त डॉक्टर राजा दयानिधि द्वारा आदेशित किया गया है, की जनसंपर्क अधिकारी युवराज भदाने अब अपने नाम के आगे डॉक्टर नहीं लगा सकते।
पिछले 3 वर्षों से उल्हासनगर महानगरपालिका के जनसंपर्क अधिकारी युवराज भदाने कई विवादों में घिरे हैं। अनेकों सबूत होने के बाद भी कोई कार्यवाही नहीं हो रही है। इसी बात की लड़ाई लड़ रहे पूर्व शिवसेना नगरसेवक एवं वरिष्ठ पत्रकार दिलीप मालवणकर व उनके सहयोगी रामेश्वर गवई 9 अगस्त क्रांति दिवस के दिन मुंबई के आजाद मैदान पर भूख हड़ताल करेंगे।
युवराज भदाणे द्वारा उल्हासनगर महानगर पालिका में प्रस्तुत पीएचडी पदवी अवैध है। ऐसा आरोप उनपर लगाया जा रहा है।
उल्हासनगर महानगर पालिका में कार्यरत जनसंपर्क अधिकारी युवराज भदाणे के भ्रष्टाचार के खिलाफ पिछले 3 वर्षों से लड़ाई लड़ रहे मालवणकर जी के अनुसार भदाणे की डॉक्टरेट उपाधि फर्जी है। उन्होंने उल्हासनगर महानगर पालिका में नौकरी से जुड़ने के लिए आरकेटी कॉलेज का एक प्रमाण पत्र जारी किया था। आज उसी प्रमाण पत्र के ऊपर कई सवाल उठाए जा रहे हैं। मालवणकर जी का कहना है कि स्व:हस्ताक्षर से बनाया गया इस प्रमाणपत्र में उम्र का साल बदल कर 70 से 72 कर दिया है। जानकारी मांगने पर उल्हासनगर स्थित आरकेटी कॉलेज ने लिखित रूप में दिया है, कि ” यह प्रमाण पत्र हमारा नहीं है। हमारे पास जो प्रमाण पत्र है उसका रजिस्टर्ड नंबर 2254 है और उसमें जन्म तारीख 1/6/70 है। “
भदाणे के खिलाफ कई मुकदमे न्यायालय में लंबित है। जैसे कि प्रमोद ताले द्वारा दायर जनहित याचिका, जिसमें आरोप है, भदाणे ने फर्जी प्रमाण पत्र व फर्जी मोहर बनवाकर लोगों को गुमराह किया इसी तरह दयाराम ढोंबले को आत्महत्या के लिए प्रेरित करने के साथ ही एट्रोसिटी मामला दर्ज है। एवं विनयभंग के दो मामले है बनावटी तौर से कार के साथ महत्वपूर्ण फाइलों को जलाकर सबूत नष्ट करने के मामले को अमृतपाल सिंह खालसा लड़ रहे हैं। उमनपा मालमत्ता कर घोटाले के अलावा फर्जी अनुभव दाखिला देने का आरोप भी इन पर है। इतने आरोपों के बाद भी भदाणे जनसंपर्क अधिकारी कैसे बने ? यही एक सवाल उठता है।