संतोष साहू,
नवी मुम्बई। आंखों के इलाज की तकनीक हर गुजरते दिन के साथ उन्नत होती जा रही है। वह दिन बीत गए, जब लोग फैशन के लिए या अपने को संजीदा या गंभीर दिखाने के लिए नजर का चश्मा लगाया करते थे। खासतौर से बात जब शादी की हो या फिर सैन्य क्षेत्र में नौकरी के लिए आवेदन करने की, तो आंखों का स्वस्थ होना बहुत जरूरी हो जाता है। लेजर असिस्टेड इन सीटू केरोटोमाइल्यूसिस (लेसिक) आई सर्जरी या कॉन्ट्यूरा विजन आई सर्जरी उन लोगों के लिए उम्मीद बन गई है, जो आंखों पर नजर के चश्मे लगाना जल्द छोड़ना चाहते हैं। कॉन्ट्यूरा विजन लेसिक सर्जरी का उन्नत वर्जन है। आंख के कॉर्निया में गड़बड़ी होने के कारण जो लोग लेसिक सर्जरी का चुनाव नहीं कर सकते, वह भी इस तकनीक से अच्छे नतीजे हासिल कर सकते हैं। यह काफी आसान है। इसमें बहुत कम समय लगता है क्योंकि इसे एडवांस्ड लेजर मशीनों पर किया जाता है।
श्री रामकृष्ण नेत्रालय की डॉ. प्राजक्ता देशपांडे ने कहा कि यह लेजर तकनीक के द्वारा नजर में सुधार करने की नई तकनीक है। इसे टोपोग्राफी के मार्गदर्शन से की गई लेजर सर्जरी भी कहा जाता है। लेजिक और स्माइल प्रक्रिया सिर्फ आंखों के चश्मे की पावर को करेक्ट करती है। कॉन्ट्यूरा विजुअल एक्सिस पर काम करते हुए कोर्निया की गड़बड़ियों को भी ठीक करती है। कॉन्ट्यूरा ट्रीटमेंट से दृश्यता के संदर्भ में काफी अच्छे नतीज मिलते हैं, जो लेसिक और स्माइल तकनीक से असंभव है। यह तकनीक ठाणे, मुलुंड, वाशी और सीवुड के श्री रामकृष्ण नेत्रालय केंद्रों पर उपलब्ध है।
उन्होंने विस्तार से बताते हुए कहा कि लेसिक सर्जरी और कॉन्ट्यूरा प्रक्रिया के नतीजे समान होते हैं। दोनों ही तकनीक से पास की नजर कमजोर होने, दूर की नजर धुंधली होने और देखने की विषमता में सुधार के लिए मरीजों का इलाज किया जाता है। हालांकि लेसिक सर्जरी से चश्मों और कॉन्टेक्ट लेंस की जरूरत नहीं रहती। कॉन्ट्यूरा विजन का अच्छे नतीजे देने का प्रतिशत लेजिक की तुलना में ज्यादा बेहतर है। कंप्यूटर की मदद से टोपोग्राफिक मैपिंग की प्रक्रिया होने के नाते कॉन्ट्यूरा आंखों के सांमने के हिस्से, कार्निया में सूक्ष्म कॉन्ट्यूर्स की मैपिंग करता है। कॉन्ट्यूरा से पूरी तरह कॉर्निया की वक्रता के साथ आंखों से नजर के चश्मों को हटाने का भी इलाज होता है। यह इलाज पूरी तरह से आंख की दृश्यता की धुरी (विजुअल ऐक्सिस) पर आधारित है, जबकि दूसरी लेसिक प्रक्रियाएं आईबॉल पर आधारित हैं।
इसकी उपचार योजना अलग है और यह हर मामले में अलग-अलग होती है। कॉर्निया के कॉन्ट्यूर आधुनिक कंप्यूटर विश्लेषण की तकनीक से जेनरेट होते हैं। इनकी प्रोग्रामिंग विशेष तौर पर डिजाइन किए लेजर में की जाती है। इस तकनीक के माध्यम से कोर्निया के 22 हजार पॉइंट्स की मैपिंग की जाती है। इसके विश्लेषण के बाद नेत्र रोग विशेषज्ञ हर मरीज के आंखों के इलाज के लिए अलग ट्रीटमेंट प्लान बनाता है।
कॉन्ट्यूरा विजन कॉर्निया की गड़बड़ियों को ठीक करता है। इसके माध्यम से आपकी नजर की बेहतर गुणवत्ता बरकरार रहती है, जिससे प्रकाश आसानी से आपकी आंख में प्रवेश कर सकता है। यह आपकी नजर को स्पष्ट और पैना बनाने में मदद करती है। अपने मरीजों में इस ट्रीटमेंट के नतीजे के बारे में बताते हुए कहा कि इस तकनीक से इलाज करने पर 60 फीसदी से ज्यादा लोगों के विजन में 6/6 का सुधार आया। ऊतकों का नुकसान काफी कम हुआ और मरीज काफी तेजी से ठीक हुआ। कुछ मामलों में जो लोग पहले अपनी लेजर सर्जरी से खुश नहीं थे, उन्होंने कॉन्ट्यूरा ट्रीटमेंट को अपनाया।
कॉन्ट्यूरा पद्धति की तकनीक को अमेरिका के एफडीए से मंजूरी मिली है। यह लेसिक और स्माइल की तुलना में बेहतर नतीजे देती है। मरीजों को कॉन्ट्यूरा प्रक्रिया का लाभ उठाने के लिए नियम और शर्ते यह है कि मरीज को 18 साल से ज्यादा उम्र का होना चाहिए। उनके पास आईवियर के लिए बेहतरीन प्रिसक्रिप्शन होना चाहिए। कॉर्निया की मोटाई पर्याप्त होनी चाहिए। इसके साथ ही मरीज को कॉर्निया संबंधी किसी भी बीमारी से पीड़ित नहीं होना चाहिए।
यह तकनीक मरीजों को ज्यादा स्पष्ट ढंग से देखने में सक्षम बनाती है। इसके साथ ही वह ज्यादा स्पष्टता से रंगों को देख सकते हैं और सूक्ष्म रंगों की पहचान कर सकते हैं। इस सिस्टम में प्रयोग होने वाली तकनीक में दृष्टि दोष में सुधार के लिए हर आंख के लिए 22,000 अनोखी तस्वीरों को कैप्चर करने की क्षमता है। इससे पहले इंडस्ट्री का मानक हर आंख के लिए 9000 तस्वीरों को कैप्चर करने का था। इसलिए आधुनिक तकनीक से किया जाने वाला कॉन्ट्यूरा ट्रीटमेंट आंखों की रोशनी को ज्यादा प्रभावशाली ढंग से दुरुस्त करता है।