गायत्री साहू,
मुम्बई। पुराण में भी कहा गया है मानव जीवन के चार आश्रम में सबसे अच्छा गृहस्थ आश्रम है। पति-पत्नी अपना सम्पूर्ण दाम्पत्य जीवन एक दूसरे का साथ निभाते हैं पूरी विश्वास और श्रद्धा के साथ। लेकिन कहा जाता है कि जहाँ चार बर्तन हो वहाँ खनक तो होगी। वैसे ही दो सोच के लोगों के बीच मतभेद तो होता ही है लेकिन यदि इसे समझदारी के साथ निभाया जाए तो हर समस्या का हल मिल जाता है। गृहस्थ जीवन में पति-पत्नी को सामंजस्य बना कर चलना पड़ता है। अपने और अपनों के भविष्य के लिए लेकिन मानव को छोटी छोटी समस्याओं को भूलकर आगे बढ़ना पड़ता है। हर परिवार में पति पत्नी के बीच आपसी मतभेद और झगड़े होते रहते हैं जो कभी कभी इतना बढ़ जाता है कि यह उनके संबंध विच्छेद की वजह बन जाती है। आम भाषा में कहें तो इनका झगड़ा तलाक की बड़ी वजह बन जाती है। पति को काम का टेंशन और पत्नी को घर परिवार की जिम्मेदारी जिससे दोनों अपने मन का गुबार निकालने के लिए कटाक्ष तो कह देते है लेकिन अपना प्यार व्यक्त नहीं कर पाते जो उनके तलाक की वजह बन जाती है। ऐसे तो पति पत्नी के इस विषय में ढेरों फिल्म बन चुके हैं और रुपहले पर्दे पर धमाल भी मचा चुके हैं, क्योंकि यह विषय लगभग हर घर की घटना है। लेकिन निर्देशक संजय सिंह नेगी ने पति पत्नी के मध्य के तनाव को अपनी शॉर्ट फिल्म ‘दिल तो दिल है’ के माध्यम से एक अलग रूप में दिखाने की कोशिश की है जिसमें वे कामयाब भी हुए हैं। फिल्म की कहानी वास्तविक जीवन के किरदारों से जुड़ा है। इसमें कैसे पति पत्नी अपने स्वयं के बनाये चक्र से बाहर निकलकर, तलाक रूपी विषकन्या के दंश से बाहर निकलते हैं यही कहानी है। इस शॉर्ट फिल्म में पति पत्नी की मनोदशा को अच्छी तरह से दिखाया है।
फिल्मांकन और निर्देशन तो अच्छा है ही कलाकारों का काम भी सराहनीय है। कुछ समयांतराल में जीवन की विकट समस्या को संजोकर दर्शकों तक लाने का कार्य निर्देशक ने बखूबी किया है। फिल्म में निर्देशक संजय लीला भंसाली की तरह भव्यता, रोहित शेट्टी की तरह एक्शन, डेविड धवन की तरह कॉमेडी, सुभाष घई की तरह ड्रामा नहीं है। अमोल पालेकर और ऋषिकेश मुखर्जी की फिल्मों की तरह शालीनता से संजय सिंह नेगी इस फिल्म की कथा और भाव को दर्शाने की कोशिश की है। नव युवा और प्रत्येक दंपति को अपना परिवार संजोए रखने के लिए एक बार यह शॉर्ट फिल्म अवश्य देखना चाहिए।
जेपी स्टार पिक्चर्स की प्रस्तुति ‘दिल तो दिल है’ के लेखक-निर्देशक संजय सिंह नेगी, निर्माता उमाशंकर प्रसाद, डीओपी इमरान एफ खान हैं। इसमें आकाश मुखर्जी, ऐश्वर्या राज, गौरीशंकर, नम्रता कपूर और संजय वर्मा की मुख्य भूमिका है।