ग्वालियर/ब्यूरो
ग्वालियर के एक संविदा शिक्षक प्रशांत सिंह परमार की. प्रशांत ने साल 2006 में संविदा शिक्षक की नौकरी ज्वाइन की थी. उस समय इनका वेतन 3500 रुपए महीना था. अब मात्र 15 साल में प्रशांत 27 कॉलेजों का मालिक बन गए हैं. शनिवार को प्रशांत के एक दर्जन से ज्यादा ठिकानों पर छापेमारी करने के बाद EOW के सामने जो सच्चाई आई उसने सभी को चौंका दिया।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार राजस्थान के बाड़ी का रहने वाले प्रशांत का नेटवर्क झारखंड तक फैला हुआ है. प्रशांत के ठिकानों पर छापेमारी करने के दौरान EOW को कई सरकारी दफ्तरों और अधिकारियों की स्टैम्प सील मिली है. सम्भवना जताई जा रही है कि आरोपी सहायक शिक्षक प्रशांत परमार इन फर्जी स्टाम्प सील के जरिये अपने काला बाजारी का जाल और बड़ा कर रहा था।
EOW की कार्यवाही अभी भी जारी है. अधिकारियों की मानें तो पूरी जांच के बाद 10 करोड़ से अधिक की सम्पत्ति का खुलासा हो सकता है. जांच के दौरान यह जानकारी सामने आई है कि प्रशांत राजनीतिक गलियारे में प्रवेश करने की तैयारी में था. वह अगले साल राजस्थान में होने वाले विधानसभा चुनाव लड़ने का मन बना रहा था।