संतोष साहू,
समावेशी शिक्षा पर एक वर्चुअल साइड-इवेंट का आयोजन किया
मुंबई। दिव्यांगों के लिए काम करने वाले प्रमुख गैर-लाभकारी संस्थान, नेशनल सेंटर फॉर प्रमोशन ऑफ एम्प्लॉयमेंट फॉर डिसेबल्ड पीपुल (एनसीपीईडीपी) ने नई दिल्ली में यूनेस्को के सहयोग से वैश्विक दिव्यांगता शिखर सम्मेलन (ग्लोबल डिसैबिलिटी समिट/जीडीएस) की मुख्य थीम में से एक समावेशी शिक्षा पर वर्चुअल साइड-इवेंट का आयोजन किया।
वर्चुअल रूप से ऑनलाइन आयोजित इस कार्यक्रम का लक्ष्य दक्षिण एशियाई परिपेक्ष्य में दिव्यांग बच्चों को समग्र रूप से शिक्षा प्रदान करने पर कोरोना के प्रभाव को समझना था। इसका उद्देश्य दिव्यांगों समेत सभी को समावेशी शिक्षा देने के क्षेत्र में आने वाली तमाम परेशानियों और चुनौतियों की पहचानना था। इस संक्षिप्त सम्मेलन में दिव्यांगों को ऑनलाइन शिक्षा देने के लिए तकनीक तक पहुंच के समान अवसर सुनिश्चित करने पर मुख्य रूप से ध्यान केंद्रित किया गया। इस कार्यक्रम में दिव्यांगों को शिक्षा देने के मामले में क्षेत्रीय तंत्र बनाने और दक्षिण एशिया में एसडीजी 4 के लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में आगे बढ़ने के सुझाव और सिफारिश की गई।
यूनेस्को, नई दिल्ली में शिक्षा विभाग के प्रमुख जॉयस पोआन ने बताया, “स्कूलों के लगातार बंद रहने से पढ़ाई के नुकसान को देखते हुए दिव्यांग बच्चों की शिक्षा पर काफी बुरा असर पड़ा है। अगर हमें एसडीजी 4 के लक्ष्यों की ओर से बढ़ना है और शिक्षा को वास्तविक अर्थों में सभी के लिए सुलभ बनाना है तो हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि यह समावेशी हो और शिक्षा तक पहुंच के लिए सभी को समान अवसर उपलब्ध कराए जाएं।
एनसीपीईडीपी के कार्यकारी निदेशक अरमान अली ने कहा, “महामारी ने हमें दशकों पीछे धकेल दिया है। इस नाजुक मौके पर हमें समावेशी या समग्र शिक्षा प्रणाली के बारे में फिर सोचना होगा, जिसमें सभी को शिक्षा प्राप्त करने के समान अवसर मिले और सभी की समान रूप से भागीदारी हो। जीडीएस 2022 ने हमें साथ आने और एसडीजी 4 के लक्ष्यों की ओर बढ़ने के लिए दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय तंत्र बनाने का अवसर दिया है।