◆ मंत्रिमंडल की मंजूरी नहीं
◆ प्रधानमंत्री की सस्तुति नहीं
◆ स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय का स्वयं का निर्णय
प्रमोद कुमार
मुम्बई :- कोरोना वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट पर प्रकाशित पीएम का फोटो व्यापक जनहित में होने का दावा करते हुए स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को भेजे हुए जबाब में यह तर्क दिया हैं कि यह निर्णय उनके कार्यकारी क्षेत्र में आते हैं।
आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने भारत सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय को भेजे हुए आरटीआई आवेदन में यह जानने की कोशिश की थी कि कोरोना वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट पर प्रधानमंत्री की फोटो प्रकाशित करने के लिए मंत्रिमंडल में लिए निर्णय की जानकारी दे। इसे प्रकाशित करने के लिए प्रधानमंत्री ने अपनी सस्तुति दी होगी तो उसकी जानकारी देते हुए इसके उद्देश्य पर प्रकाश डाले।
भारत सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने अनिल गलगली को दिये हुए जबाब में कहा कि यह सुनिश्चित करना सरकार की नैतिक जिम्मेदारी हैं कि इसतरह के महत्वपूर्ण संदेशों को लोगों तक सबसे प्रभावी तरीके से प्रकाशित किया जाए। सरकारी अधिकारियों द्वारा जारी किए गए किसी भी प्रमाणपत्र पर इसतरह के उपयुक्त संदेश को शामिल करने के संबंध में कार्यकारी क्षेत्र में आते हैं। टीकाकरण प्रमाणपत्र के लिए तदनुसार डब्ल्यूएचओ के मानदंडों के अनुरुप टीकाकरण प्रमाणपत्र को प्रारुप , जिसमें टीकाकरण के बाद भी कोविड उपयुक्त व्यवहार का पालन करने के महत्व के बारे में संदेश और प्रस्तुति शामिल हैं। इन सभी को ध्यान में रखते हुए और केवल व्यापक जनहित में तय किया गया हैं।
हाल ही में प्रधानमंत्री की कोरोना वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट पर प्रकाशित फोटो को लेकर विपक्ष ने आपत्ति जताई थी और कुछ लोगों ने इस मामले को कोर्ट तक पहुंचा गया। ऐसी स्थिति में भारत सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय का आरटीआई में जारी व्यापक जनहित वाला जबाब से फिर एक बात चर्चा छिड़ सकती है।