प्रमोद कुमार
सुल्तानपुर (उत्तर प्रदेश) :- यूं तो हर धाम और मंदिर लोगों की आस्था का केंद्र है। लोग अक्सर अपनी मनोकामना पूरी करवाने मंदिर जाते हैं। कई सिद्ध मंदिर हैं जहां जाने मात्र से बिगड़े काम बन जाते हैं। ऐसा ही एक मंदिर राम की नगरी अयोध्या से सटे जिले में मौजूद है। मंदिर का नाम है विजेथुवा महावीरन धाम, जो बड़ी आस्था का केंद्र है। बताया जाता है कि यहां हनुमान जी की मूर्ति का एक पैर जमीन में धंसा है। यही नहीं यहां पर एक ऐसा तालाब है, जहां हनुमान जी ने कालनेमि के वध से पहले स्नान किया था। यह सूरापुर-सुलतानपुर में एक बहुत प्रसिद्ध प्राचीन मंदिर है। मंगलवार और शनिवार को यहाँ पर बहुत से लोग पूजा अर्चना के लिए आते हैं । रामायण में इस स्थान की अपनी कथा है। इस जगह भगवान हनुमान जब लक्ष्मण के लिए संजीवनी लाने जा रहे थे तो उन्होंने दैत्य कालनेमि को मारा और विश्राम किया था । भगवान हनुमान ने मकर कुंड में स्नान भी किया जो बिजेथुआ मंदिर के किनारे पर स्थित है। रावण ने भगवान राम के कार्य में बाधा डालने के लिए कालनेमि नाम के दैत्य को नियुक्त किया था | कुंड में स्नान करते समय एक मकरी ने हनुमान जी से कहा की कालनेमि संत नहीं अपितु दैत्य है । भक्त जन अपनी मनोकामना की सिद्धि के लिए यहाँ पर घंटियां चढाते है | बिजेथुआ महावीरन जिला मुख्यालय से लगभग 50 किमी दूर कादीपुर तहसील में स्थित है और सड़क मार्ग बस और निजी टैक्सी द्वारा यहाँ पहुंचा जा सकता है।
कादीपुर तहसील में बना है विजेथुवा महावीरन धाम
सुल्तानपुर जिले के कादीपुर तहसील में बने विजेथुवा महावीरन धाम का जिक्र पुराणों में है। वो इस तरह कि इस स्थान पर हनुमान जी ने कालनेमि राक्षस का वध किया था। आज भी यहां पर हनुमान जी की मूर्ति स्थापित है जिसका एक पैर जमीन में धंसा हुआ है, जिसकी वजह से मूर्ति थोड़ी तिरछी है। यहां के निवासीयो की माने तो पुजारियों ने मूर्ति को सीधा करने के लिए खुदाई तक किया था लेकिन 100 फिट से अधिक खुदाई कराने के बाद भी मूर्ति के पैर का दूसरा सिरा नही मिल सका था।
मकरी कुंड तालाब जहां नहाने से दूर होते हैं पाप
इस प्राचीन धाम में आज भी वो तालाब मौजूद है जिसमें हनुमान जी ने स्नान किया था। रहवासियों ने बताया कि आज इस तालाब का नाम मकरी कुंड है, और लोग मंदिर में दर्शन करने के पूर्व इस कुंड में स्नान करते हैं। ये भी कहा जाता है कि इस कुंड में स्नान करने से लोगों के पाप कट जाते हैं।
ऐसा है यहां का इतिहास
रामायण में इस स्थान का जिक्र है कि जब श्रीराम और रावण के बीच चल रहे युद्ध में लक्ष्मण जी को बाण लगा और वो मूर्छित हो गए तो वैद्यराज सुषेण के कहने पर हनुमान जी संजीवनी बूटी लाने के लिए हिमालय की तरफ चले। हनुमान जी संजीवनी बूटी लाने में असफल हो जाएं इसके लिए रावण ने अपने एक मायावी राक्षस कालनेमि को भेजा, ताकि वो रास्ते में ही हनुमान जी का वध कर दे। कालनेमि मायावी था और उसने एक साधु का वेश धारण कर रास्ते में राम-राम का जाप करना शुरू कर दिया। थके-हारे हनुमान जी राम-राम धुन सुन कर वहीं रुक गए। रामायण के अनुसार साधू के वेश में कालनेमि ने हनुमान जी से उनके आश्रम में रुक कर आराम करने का आग्रह किया। हनुमान जी उसकी बात में आ गए और उसके आश्रम में चले गए। उसने हनुमान जी से आग्रह किया कि वह पहले स्नान कर लें उसके बाद भोजन की व्यवस्था की जाए। हनुमान जी स्नान के लिए तालाब में गए जहां कालनेमि ने मगरमच्छ बनकर हनुमान जी पर हमला किया था।