बिजावर/संवाददाता
जहाँ एक ओर शासन प्रशासन मजदूरों के उत्थान की बात करता है, 100 दिन की मजदूरी की बात करता है तो दूसरी ओर प्रशासन की नाक नीचे ही सारे नियमों की धज्जियाँ उड़ाई जा रही है मनरेगा के अंतर्गत होने वाले कार्यों को मशीनों द्वारा कराया जा रहा है लोगों का कहना है कि बिना प्रशासन की सहमति के ऐसा संभव ही नही है इसमें प्रशानिक अधिकारियों की कहीं न कहीं मूक सहमति होती है वरना सरपंच सचिव इतना बड़ा कदम खुले आम अकेले नही उठा सकते हैं, मशीनों के द्वारा होने वाले कार्यों से गरीब मजदूरों के पेट पर लात मारी जा रही है जिसकी बजह से मजदूरों को बाहर बड़े शहरों की काम की तलाश में पलायन करना पड़ता है क्योंकि घर परिवार चलाने के लिए काम करना भी जरूरी है दूसरी ओर देखें तो अगर शासन के नियमो के मुताबिक अगर पंचायत में ही काम मिलने लगे तो लोगों का पलायन काफी हद तक कम हो जाएगा। किन्तु बिजावर जनपद पंचायत के अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायतों में मनरेगा के कार्य मजदूरों से नही बल्कि मशीनों से करवाया जा रहा है किन्तु शासन प्रशासन अपनी आंखों में नींबू का रस निचोड़ कर अपनी कुम्हकर्णी नींद में लिप्त है जिसका खामियाजा गरीब मज़दूरों को भुगतना पड़ रहा है,अधिकतर ग्राम पंचायतों में मेड़ बंधान तालाबों का कार्य जेसीवी मशीनो से करवाया जा रहा है और प्रशासन को झनक भी नही है ऐसा होना कैसे संभब है।
Home » बिजावर जनपद के अंतर्गत मनरेगा का काम कर रहीं जेसीवी मशीन
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