25.2 C
Madhya Pradesh
October 5, 2024
Bundeli Khabar
Home » अज्ञानता, मनोविकार और दुर्गुणों से मुक्त होना ही सच्ची शिवरात्री मनाना है – भगवान भाई
महाराष्ट्र

अज्ञानता, मनोविकार और दुर्गुणों से मुक्त होना ही सच्ची शिवरात्री मनाना है – भगवान भाई

गुमला। शिवरात्रि हमारे लिए हीरे तुल्य है क्योंकि इस समय हम सभी आत्माएं परमपिता शिव परमात्मा भोलेनाथ के ज्ञान और योग द्वारा अपने अंदर दुख देने वाले काम क्रोध लोभ मोह अहंकार घृणा वेर विरोध मुक्त हो जाते हैं। जिससे हमारा अपना जीवन दैवी गुणों से युक्त मर्यादा पुरुषोत्तम, हीरे तुल्य बन जाता है। उक्त उदगार ब्रह्माकुमारीज मुख्यालय माउंट राजस्थान से आये हुए बी के भगवान भाई ने कहे। वे स्थानीय ब्रह्माकुमारीज सेवाकेंद्र पर 87 वी शिवरात्रि के उपलक्ष्य में आयोजित एक कार्यक्रम में पधारे हुए ईश्वर प्रेमी भाई बहनों को सम्बोधित करते हुए बोले।
भगवान भाई ने परमात्मा के गुणों का वर्णन करते हुए कहा कि शिव परमात्मा गुणों के सागर हैं, ज्ञान के सागर हैं, प्रेम के सागर हैं, आनंद के सागर हैं, शांति-सुख के सागर हैं। जो उस भोलेनाथ को स्वयं को आत्मा समझकर यथार्थ रूप से याद करता है वह अपनी आत्मा को जन्म जन्मान्तर के लिए पावन बना सकती है। अतः हमें परमात्मा शिव को यथार्थ विधि याद करना चाहिए इसी को राजयोग कहा जाता है।
उन्होंने कहा कि भारत में जितने भी पर्व मनाये जाते हैं, सब किसी न किसी के दिव्य कर्तव्य के यादगार होते हैं। महाशिवरात्रि पर्व इन पर्वो में अपना अलग और विशेष महत्व रखता है। महाशिवरात्रि मनाना ही आत्मा और परमात्मा के मिलन का पर्व, युग परिवर्तन की संधि बेला है। भोलेनाथ शिव ने इस दिन आकर सृष्टि को बदलने का महान कार्य किया था। इसलिए भारत तथा भारत से बाहर के देशों में इसे सर्वसम्मति से महाशिवरात्रि मनाई जाती है।
इस अवसर पर बी के भगवान भाई ने अपना उद्बोधन देते हुए कहा कि सभी मनुष्य आत्माएं जब अज्ञान अंधकार, आसुरी लक्षणों की पराकाष्ठा के अंतिम चरण में प्रवेश कर जाती है। जब भगवान शिव धरती पर आकर सभी को पवित्र बनाते हैं सुखी बनाते हैं। उन्होंने बताया कि हमें अपने अंदर कि बुराई रूपी अक को शिव पर चढ़ाना है तब शिव जी प्रसन्न होंगे।
बी के शांता बहन ने कहा कि इस दिन पूरे विश्व के शिवमंदिरों में आराधना, पूजा और साधना बड़ी तन्मयता से की जाती है। शिवलिंग-परमात्मा की प्रतिमा: भारत में जितने शिव के मंदिर हैं शायद ही और किसी भी देवी-देवता के हों। भारत में सुप्रसिद्ध मंदिरों में द्वादश ज्योतिर्लिंग प्रसिद्ध है। परमात्मा के अलग-अलग कार्यों के कारण उनको अनेक जगहों पर कर्तव्यवाचक नामों से पुकारा और याद किया जाता है। उत्तराखंड में केदारनाथ, उज्जैन में महाकाल व ओंकारेश्वर, गुजरात में सोमनाथ व नागेश्वर, वाराणसी यूपी में विश्वनाथ, कश्मीर में अमरनाथ, मुम्बई में बाबूलनाथ, नेपाल में पशुपतिनाथ, महाराष्ट्र में त्रयंबकेश्वर, भीमाशंकर व घृष्णेश्वर, झारखंड में बैद्यनाथ, आंध्रप्रदेश में मल्लिकार्जुन, तमिलनाडु में रामेश्वरम आदि-आदि ये सब परमात्मा के कर्तव्यवाचक नाम है। परन्तु इन मंदिरों में सभी जगह केवल शिवलिंग होता है।
जिला उपभोक्ता फ्रॉम जज ओमप्रकाश पान्डेय ने कहा कि शिव परमात्मा की शरण आने से ही हमारा उध्द्रार होगा परमात्मा की महिमा अनंत है। वह तो देवो में देव महादेव हैं। उन्होंने अपने जीवन में ध्यान साधना और भक्ति को जाग्रत करने की बात कही।
महेश्वरी समाज ट्रस्टी अजय मंत्री ने अपना उद्बोधन देते हुए कहा कि क्रोध मानव जीवन की सर्वोपरि पराजय है। विश्व की आधे से अधिक समस्याएं क्रोध के कारण बनती है। क्रोध के अंधकार को हजार दीपक दूर नहीं कर पाते। शिवरात्रि अर्थात क्रोध मुक्त बनना।
हिन्दुस्थान एजेन्सी के पवन अग्रवाल ने कहा कि वर्तमान में सकारात्मक बनने की आवश्यकता है।
कार्यक्रम में बी के शिव भाई ने मंच संचालन किया। बी के अंजिता बहन ने स्वागत किया। बी के विनय भाई ने कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद अर्पित किया।

– संतोष साहू

Related posts

मुरबाड येथील जांभूर्डे गावी पोषण माह अभियानाचा सोहळा उत्साहात संपन्न

Bundeli Khabar

अखिल भारतीय अग्निशखा मंच का ‘जश्न ए आज़ादी’ कार्यक्रम सम्पन्न

Bundeli Khabar

राज्यपाल के हाथों महाराष्ट्र गौरव पुरस्कार से सम्मानित हुई अभिनेत्री पाखी हेगड़े

Bundeli Khabar

Leave a Comment

error: Content is protected !!