29.3 C
Madhya Pradesh
May 14, 2024
Bundeli Khabar
Home » सुखद नहीं है धर्म के नाम पर कट्टरता परोसना
देश

सुखद नहीं है धर्म के नाम पर कट्टरता परोसना

भविष्य की आहट / डा. रवीन्द्र अरजरिया

वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे का काम एक बार फिर बाधित किया जाने लगा है। मुस्लिम पक्ष के अधिवक्ता ने सर्वे में सहयोग न करने की घोषणा कर दी है। प्रतिवादी अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी की ओर से कोर्ट कमिश्नर को बदलने हेतु सिविल जज सीनियर डिवीजन के न्यायालय में प्रार्थना पत्र पेश किया गया। इस पर सुनवाई हेतु 9 मई की तरीख निर्धारित की गई है। काशी विश्वनाथ धाम और ज्ञानवापी मस्जिद का पुराना विवाद एक बार फिर नये रूप में खडा हो गया है। कोर्ट कमिश्नर टीम व्दारा किये जा रहे श्रृंगार गौरी समेत अनेक विग्रहों के सर्वे का मुस्लिम पक्ष विरोध कर रहा है। फिलहाल सर्वे रोकने का कोई आदेश कोर्ट ने नहीं दिया है। यूं तो काशी विश्वनाथ मंदिर और उसी परिसर में स्थित ज्ञानवापी मस्जिद का विवादास्पद मामला सन 1991 से वाराणसी के स्थानीय अदालत में चला और बाद में उत्तर प्रदेश के उच्च न्यायालय के आदेश के बाद मामले की सुनवाई उच्च न्यायालय में होने लगी। परन्तु 18 मई 2021 को वाराणसी की पांच महिलाओं ने वादी बनकर स्थानीय सिविल जल सीनियर डिवीजन की आदालत में श्रृंगार गौरी मंदिर में रोजाना दर्शन, पूजन, अर्चन सहित अन्य मांगों के साथ एक वाद दर्ज कराया। इस वाद को न्यायालय ने स्वीकार करते हुए मौके की स्थिति जानने हेतु वकीलों का एक कमीशन गठित किया। इस कमीशन को तीन दिनों के अन्दर पैरवी का आदेश दिया तथा विपक्षियों को नोटिस जारी करने के साथ-साथ सुनवाई की अगली तारीख भी निर्धारित कर दी। लेकिन दो बार कोर्ट कमिश्नर के बैकफुट पर चले जाने के कारण विवादित स्थल का मौका मुआयना नहीं हो सका। सिविल जज ने अपने पुराने 18 अगस्त के ही आदेश की पुनरावृत्ति करते हुए विगत 8 अप्रैल को कार्ट कमिश्नर अजय मिश्रा को नियुक्त करते हुए वीडियोग्राफी की फिर से अनुमति दे दी। इस पर प्रतिवादियों ने आपत्ति दर्ज कराते हुए मस्जिद में मुस्लिमों तथा सुरक्षाकर्मियों के ही जाने की दलील दी। जिस पर कोर्ट ने अपनेे आदेश को यथावत रखते हुए ईद के बाद कमीशन और वीडियोग्राफी की कार्रवाही की आख्या जमा करने हेतु 10 मई निर्धारित कर दी। इस पूरे मामले में धर्म पर आधारित राजनीति करने में माहिर एआईएमआईएम के चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने कूद कर न्यायालय को ही ज्ञान देना शुरू कर दिया। ओवैसी ने कहा कि ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वे, कानून का उल्लंघन है। इसी तरह के बयान अन्य मुस्लिम नेताओं के व्दारा भी दिये जा रहे हैं। जबकि हिन्दू पक्षकारों के समर्थन में बयानों का नितांत अकाल दिखा। न्यायालय के व्दारा नियुक्त किये गये कमीशन के न्यायालयीन कार्य को मुस्लिम समाज के अघोषित आह्वान पर जनबल और बाहुबल के आधार पर अवरुध्द करने के बाद से संवैधानिक व्यवस्था पर ही अनेक प्रश्न चिन्ह अंकित होने लगे हैं। अल्पसंख्यक का तमगा लगाने वालों के दुस्साहस के आगे बहुसंख्यक सनातन मानवीय दृष्टिकोण अपना रहा है। अहिंसा, शांति और सदाचार का मार्ग अपनाने वाले देश में कदापि सुखद नहीं है धर्म के नाम पर कट्टरता परोसना। जन भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाले बयानों पर धर्म संसद के मंच पर मौजूद लोगों को सलाखों के पीछे पहुंचाने वाले लोगों को कानूनी कार्रवाही में अवरोध उत्पन्न करने वाले कृत्य नहीं दिखते, खुले आम चुनौती देने वाली घोषणायें नहीं दिखतीं और न ही दिखती है भारत के टुकडे करने वाले षडयंत्रकारियों की घातक योजनायें। कथित बुध्दिजीवियों की जमात अपने लाल सलाम के खामोश एजेन्डे पर जो राष्ट्र घाती प्रहार कर रहे हैं, उनको कानून की धाराओं की मनमानी व्याख्यायें करने वालों की फौज संरक्षण देते के लिए सदैव तत्पर रहती है। देश में अनगिनत मस्जिद और मंदिर खण्डहरों में तब्दील हो रहे हैं। उनकी सुध लेने के लिए न तो वफ्फ बोर्ड ही आगे आता है और न ही धर्मस्व विभाग। इन सब से हटकर कोई अन्य इंतजामिया कमेटियों और धार्मिक ट्रस्ट भी आगे नहीं आते। केवल और केवल विवादास्पद मुद्दों को ही घसीटने में लोगों को आनन्द आता है। अतीत की दुहाई पर वर्तमान बिगाडने के प्रयासों को चन्द खुराफाती लोगों के शुरू करवाया जाता है और फिर उस पर कट्टरता का लिबास पहना दिया जाता है। किसी भी धर्म में दूसरों की लाशों पर अपनी संख्या बढाने का आदेश नहीं दिया गया है। सभी ने मानवता को प्रमुखता देते हुए सदाचार और भाई चारे को बढावा दिया है। सहयोग और सहकार का नारा बुलंद किया है परन्तु स्वाधीनता के बाद से दूरगामी नीतियों के तहत ही जहां संविधान की रचना की गई वहीं आपसी भाईचारे को समाप्त करते हुए तुष्टीकरण को बढावा देने वाले कार्यो को पर्दे के पीछे से संचालित किये जाते रहे। धीरे-धीरे पर्दे के पीछे की स्थिति खुलने लगी। तुष्टीकरण का जहर हावी होने लगा। जनबल और बाहुबल के आधार पर संविधान को हाशिये पर पहुंचाने वाले सरेआम आतंक फैलाने लगे। ऐसी स्थिति में राष्ट्रवाद को मजबूत करते हुए सभी को एकजुट होकर धर्म के नाम पर षडयंत्र करने वालों को सबक सिखाना होता तभी देश खुशहाल रह सकेगा। इस बार बस इतना ही। अगले सप्ताह एक नये मुद्दे के साथ फिर मुलाकात होगी।

Related posts

पीएम करेंगे आज एशिया के सबसे बड़े सी.एन.जी. प्लांट का लोकार्पण

Bundeli Khabar

भविष्य की आहट / डा. रवीन्द्र अरजरिया

Bundeli Khabar

आचार्य श्री विद्यासागर जी की बायोपिक ‘अन्तर्यात्री महापुरुष – द वॉकिंग गॉड’ का ट्रेलर व म्यूजिक लॉन्च

Bundeli Khabar

Leave a Comment

error: Content is protected !!