विश्व में त्रेता युग का ऐतिहासिक पंचमुखी हनुमान मंदिर कराची: पाकिस्तान में 17 लाख वर्ष प्राचीन हनुमान प्रतिमा की हिंदुओं की तरह मुस्लिम भी किया करते धर्म की इबादत
पंकज पाराशर छतरपुर
भारत पाकिस्तान को सरहद ने भले ही दो मुल्कों में बाट दिया हो, पर दोनों मुल्कों का साझा इतिहास रहा है l इसका जीवंत उदाहरण कराची का पंचमुखी हनुमान जी मंदिर है l पाकिस्तान के शहर कराची में है यह मंदिर जिसका इतिहास काफी पुराना है l करीब 17 लाख वर्ष पुरानी इस ऐतिहासिक मंदिर में हनुमान जी के दर्शन के लिए सुबह से शाम तक भक्तों की भीड़ लगी रहती है l हिंदुओं की तरह मुस्लिम भी धर्म की इबारत करते l इस ऐतिहासिक पंचमुखी मंदिर का पुर्ननिर्माण निर्माण 1882 में हुआ था l
कराची शहर पाकिस्तान का सबसे बड़ा नगर है और इसे सिन्ध प्रान्त की राजधानी भी कहा जाता है l यह अरब सागर के तट पर बसा है और पाकिस्तान का सबसे बड़ा बन्दरगाह भी है l कराची स्थित पंचमुखी मंदिर में हनुमान जी के दर्शन के लिए विश्व के अनेक देशों के साथ ही भारत से भी काफी संख्या में भक्त जाते हैं l
शास्त्रों के अनुसार इस मंदिर में भगवान श्रीराम आ चुके हैं l मंदिर में उपस्थित पंचमुखी हनुमान जी की मूर्ति कोई साधारण मूर्ति नहीं है क्योंकि इस मूर्ति का इतिहास 17 लाख साल पुरानी त्रेता युग से है l मन्यता है कि पंचमुखी मूर्ति जमीन के अंदर से प्रकट हुई थी l जिस स्थान पर यह मंदिर स्थित है उस जगह से ठीक 11 मुट्ठी मिट्टी हटाई गई थी और हनुमान जी मूर्ति प्रकट हुई l पुजारी के अनुसार मंदिर में सिर्फ 11 या 21 परिक्रमा लगाने से सारी मनोकामना पूरी हो जाती है l यहाँ आकर लाखों लोग अपने दुखों से निजात पा चुके हैं l

कराची का पंचमुखी हनुमान मंदिर का ऐतिहासिक महत्व हैं l कराची के उस मंदिर में हिंदू परंपरा के तमाम देवताओं की मूर्तियां स्थापित है l मंदिर की महिमा सुनकर हर समुदाय के लोग यहाँ जाते रहते हैं l