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May 19, 2024
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अखिल भारतीय अग्निशिखा मंच का कवि सम्मेलन व मासिक लेखन सम्मान सम्पन्न

संतोष साहू/महाराष्ट्र,

मुम्बई। रविवार के दिन अखिल भारतीय अग्निशिखा मंच का कवि सम्मेलन और मासिक लेखन सम्मान समारोह सम्पन्न हुआ।
मंच की अध्यक्ष अलका पाण्डेय ने बताया कि 2021 साल बीत गया, कुछ ख़ुशी, ग़म की यादों के संग बहुत लोगों के लिये यह वर्ष सिसकियों से भरा रहा तो कुछ के लिए किल्लत भरा रहा। इसलिये इस बीते वर्ष की यादों के लिये यह कवि सम्मेलन रखा गया जिसका विषय रखा गया ‘बीत गया साल’।

कार्यक्रम का मंच संचालन किया अलका पाण्डेय, शोभारानी तिवारी और सुरेन्द्र हरड़ें ने किया। समारोह अध्यक्ष राम रॉय, मुख्य अतिथि पी एल शर्मा, विशेष अतिथि आशा जाकड, संतोष साहू, जनार्दन सिंह, शिवपूजन पांडेय, कुँवर वीर सिंह मार्तण्ड थे। सभी कवियों का स्वागत वैष्णो खत्री ने किया और सभी कवियों ने शानदार कविताओं की प्रस्तुति दी।

अलका पाण्डेय, हेमा जैन, रानी अग्रवाल, डॉमीना कुमारी परिहार, नीरजा ठाकुर, वीना अचतानी, वैष्णो खत्री, चंदा जांगी, ओम प्रकाश पांडेय, सुषमा शुक्ल, शोभा रानी तिवारी, अनिता झा, पुष्पा गुप्ता, वीणा आडवानी तन्वी, रविशंकर कोलते, बृज किशोरी त्रिपाठी, रागिनी मित्तल, विजेन्द्र मोहन, सरोज लोडाया, सुरेन्द्र हरड़ें, चंदा डागी, कुमकुम वेद, डॉ अंजुल कंसल, वीना अचतानी, वंदना शर्मा, आशा नायडू, मीना त्रिपाठी, रामेश्वर प्रसाद गुप्ता, पद्माक्षी शुक्ल सरोज दुगड, निहारिका झा, अंजली तिवारी, सुनीता अग्रवाल, रानी नारंग, ऊषा पांडेय, डॉ महताब अहमद आज़ाद, जनार्दन शर्मा आदि सभी कवियों को सम्मान पत्र देकर स्वागत किया गया।
प्रस्तुत है कुछ कवियों की चंद लाइनें –
ये साल भी बीत गया
साल गया बीत
मगर हालात नहीं सुधरी
टूट कर बिखर गये थे
उनकी हालत नहीं सुधरी
नौकरियाँ चली गई
घर की हालत बिगड़ी
मगर जज़्बात वही हैं,
किसको दोष दे हम
सब की हालत वही हैं
कौन अपना कौन पराया
चेहरे पहचाने नहीं जाते
ये साल भी बीत गया !
किसी की माता चली गई
किसी के सर बाप का साया गया
कोई विरहा गीत गा रहा हैं।
ये साल बीत गया ।।
जिसको चाहा वो मिला नहीं,
मन का दर्द भी बढ़ता रहा
ये मन का फूल भी खिला नहीं,
न ख़ुशी की कोई खबर मिली
बस ग़म का पहाड़ टूटता रहा
एक पत्ता ख़ुशी का हिला नहीं,
मुझे छोड मेरा मनमीत गया,
ये साल भी ग़मों में बीत गया
न मेरा कोई काम हुआ,
न जग में कोई नाम हुआ,
न पैसा मिला, न मौज की
जीवन यूँ ही संघर्षो से घिर रहा
अपनो की ख़ैरियत की दुआ करता रहा
ये साल धीरे धीरे बीत गया
ईश्वर हम लोगों पर दया करो,
इस साल को आखिर कामयाब करो
चंद दिनों का जीवन है मुश्किलें कुछ आसान करो।
कुछ हम सब के जीवन में
ख़ुशियों का रंग नया भरो,
जीवन में आये रौनक़ें नई
हर मानव का चेहरा खिला रहे
घर घर आये ख़ुशियों की बारात
दुखों के बादल छट जाये अब न अपनों से कोई जुदा हो
ये साल धीरे धीरे बीत गया- अलका पाण्डेय, मुम्बई
बीते वर्ष की करें बिदाई
नववर्ष तुम्हें तो आना होगा
कोरोना को दूर भगाकर
गीत खुशी के गाना होगा- श्रीमती शोभा रानी तिवारी, इन्दौर
आने वाला साल आशाओं से भरा हो सबके चेहरे पर हो प्यारी मुस्कान
नई उमंगों नई तरंगों के साथ सब अपने ज़ज़्बातों को दे इक नई उड़ान- रानी नारंग
कोरोना महामारी फैली थी पूरी दुनिया में
पूरे देश में भय से कांप रहा था हर कोई
घर से बाहर मास्क पहनना पड़ता
घुसते ही घर में हाथ पांव धोना पड़ता
एक भय का माहौल फिजाओं में था।- ओमप्रकाश पांडेय
नवांकुर,
नवसृजन वक्त आएगा, नव अंकुर फूटेंगे
प्रकृति के रंग खिल जाएंगे, मानव मुस्कुराएगा।- सुषमा शुक्ला, इंदौर
हर एक चेहरा मुस्कुराता हो।
हर कोई प्यार के गीत गुनगुनाता हो।।
दिल कर जाए नया साल नया जीवन।
कहता है यह मेरे दिल का दर्पण।।- डॉ महताब अहमद आज़ाद, यूपी
हर वर्ष की भाँति, बीत गया साल।
हमें यह सिखा गया, खुश रहना हर हाल।
बीते दिनों को, याद करने बैठी जब।
चलचित्र की भाँति,
आँखों के आगे घूमने लगा सब।- डाॅ उषा पाण्डेय, कोलकाता
बीत गया साल
श्रम के पुजारी अथक परिश्रम करने वाले
अभावों में जन्म लेते अभावों में पलते
समय की गति में दिन सप्ताह महीने
यों ही गुज़र जाते और फिर कैसे
बीत जाता है साल समझ नहीँ पाते।
वीना अचतानी, जोधपुर
बीत गया साल ये भी
कुछ हंसाते कुछ रुलाते
कोरोना के मार से था जग अधमरा
थोड़ा सा ज़िदा थोड़ा मरा- नीरजा ठाकुर नीर पलावा डोंबिवली
यादों के झरोखों में ख़ूबसूरत लम्हे
बीते हुये ख़ूब सूरत पल
हर पल जीवन को सँवारती
ज़िंदगी उत्साह जगा जाती हैं
बीते हुए कल की क्या बातें करे एक नया रूप एक नया रंग लायेंगे
गुजरे दिनो की अच्छी बातें ले कर आगे बढ़ जायेंगे
हम तो हर हाल में अपनो को अपना कर जायेंगे
नये वर्ष नयेदिन का स्वागत कर ख़ुशियों से भरा अन्दाज़ लेकर आये हैं। – अनिता शरद झा, रायपूर
है नूतन वर्ष है अभिनन्दन
हम करते हैं तेरा वंदन।
बीते वर्षों कि टीस बहुत हुई,
अब ना हो कोई कृंदन – जनार्दन शर्मा (आशुकवि लेख़क हास्य व्यंग्य)
अब की नव वर्ष का
अंदाज निराला देखा
कहे बिंदु ‌कि यह वर्ष
जैसा बीता ना आए
दोबारा कोई बर्ष ऐसा- वंदना शर्मा बिंदु, देवास
नव वर्ष का करें अभिनंदन
खुशहाली बसे जन-जन
नव उमंग, नव उल्लास, नव उत्साह
नव स्वप्न, नव आशा, नव भाव
नव सृजन का बुनें ताना-बाना
नई मंजिल छूने की अभिलाषा
नववर्ष का करें अभिनंदन वंदन- डॉक्टर अंजुल कंसल “कनुप्रिया”

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