बिजावर / शमीम खान
बिजावर वृत्त के आसपास के जंगल धीरे-धीरे खेतों में तब्दील होते चले जा रहे हैं दबंग वन भूमि पर रोजाना आगे बढ़ कर अपना झंडा गाड़ते जा रहे हैं और वन विभाग केवल तमाशबीन बना बैठा रहता है ज्ञात सूत्रों के अनुसार बिजवार से बाजना, बिजवार से जटाशंकर, बिजावर से नयाताल आदि किसी भी तरफ जा कर देखें केवल और केवल दबंगों का ही वन भूमि पर कब्जा मिलेगा, जिसको प्रशासन शायद खाली कराने में सक्षम नही है या फिर शासन की शाह पर यह सब होता है क्योंकि गरीबों के आशियाने तो वन मंडल मिनटों में उखाड़ फेंक देता है जैसा कि अभी शाहगढ़ के जंगल मे किया था और अपनी पीठ स्वयं थपथपाई ली थी। आज बिजावर वन मंडल के अंतर्गत कई एकड़ जमीन दबंगों के अधिकार क्षेत्र में है जिनके सामने वन मंडल बौना साबित होता नजर आता है। और प्रशासन के नुमाईंदों के कानों पर जूं भी नही रेंगता है।
ज्ञात सूत्रों के अनुसार बिजवार से बाजना, बिजवार से जटाशंकर, बिजावर से नयाताल आदि किसी भी तरफ जा कर देखें केवल और केवल दबंगों का ही वन भूमि पर कब्जा मिलेगा, जिसको प्रशासन शायद खाली कराने में सक्षम नही है या फिर शासन की शाह पर यह सब होता है क्योंकि गरीबों के आशियाने तो वन मंडल मिनटों में उखाड़ फेंक देता है जैसा कि अभी शाहगढ़ के जंगल मे किया था और अपनी पीठ स्वयं थपथपाई ली थी। आज बिजावर वन मंडल के अंतर्गत कई एकड़ जमीन दबंगों के अधिकार क्षेत्र में है जिनके सामने वन मंडल बौना साबित होता नजर आता है। और प्रशासन के नुमाईंदों के कानों पर जूं भी नही रेंगता है।वहीं प्रशासन को कार्यवाही की खानापूर्ति करने के लिए केवल गरीब लोग ही मिल पाते हैं क्योंकि दबंगों पर तो शायद प्रशासन का बस नही चल पाता है क्योंकि दबंगों को या तो राजनैतिक संरक्षण प्राप्त है या शासन का ही । तभी तो केवल कार्यवाही के गरीब लोग ही शासन प्रशासन की नज़रों में किरकिरी बनते हैं बाकी दबंगों के खिलाफ तो प्रशासन अपनी आंखों में नींबू का रस निचोड़ कर बैठ जाता है।