गायत्री साहू,
मुम्बई। भारत में कश्मीर में रहने वाले कश्मीरी पंडितों को उनके ही घर से निर्दयता पूर्वक बहिष्कृत कर दिया गया था। उन्हें कश्मीर से भागने के लिए क्रूरता की हद पार कर दी गयी थी। इस अथाह दर्द को समेटे कश्मीरी हिंदु जी रहे हैं। ना सरकार ने ना ही किसी सामाजिक संस्था ने, ना ही मीडिया ने उनके दर्द को समझा और ना ही दूर करने की कोशिश की। जिसने इसके खिलाफ कहने की कोशिश की उनकी आवाज को दबा दिया गया। इस भयावह दुखद घटना की सच्चाई वर्षों तक छुपा कर रखी गयी थी। कश्मीर में अल्पसंख्यक हिंदुओं के साथ हुए इस अत्याचार को साहस और साक्ष्य के साथ द कश्मीर फाइल्स फ़िल्म में दिखाया गया। फिल्म को देख हिंदुओं के नेत्रों में छाई अंधियारी दूर हुई और वे अब एकत्रित हो रहे हैं। यह भारत के एक क्षेत्र में हुई क्रूरता की घटना है किंतु सम्पूर्ण भारत में लोगों के आंखों के सामने सनातनियों के बेटियों को एक विशेष वर्ग द्वारा भ्रमित कर धर्मांतरण किया जा रहा है। उनके मनोभावों से खेला जाता है और जब उनका मकसद पूर्ण हो जाता है तो उन बेटियों दर्दनाक सज़ा मिलती है या फिर उनका त्याग कर भटकने के लिए छोड़ दिया जाता है। हमेशा समाचार पत्र और मीडिया में ऐसी घटना का जिक्र होता है किंतु अपराधी के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं होती। उल्टे लड़कियों को दोषी करार दिया जाता है। आखिर वास्तव में कसूरवार कौन है? धर्मनिरपेक्ष इस देश में धर्म की आड़ में अनैतिक और आपराधिक कार्य एक सोची समझी साजिश के तहत हो रहा है। इस पर पहल करने वाला भी कोई नहीं। अपनी बेटियों को ऐसे ही षड्यंत्रकारी शैतानों से सजग करने के लिए, सनातनियों की आंखें खोलने के लिए विनोद तिवारी ने साहसिक कार्य किया है। उन्होंने अपने फ़िल्म के माध्यम से सनातनियों की चेतना जगाने का प्रयास किया है और सत्यता दिखाया है। आखिर इन धर्मांतरण का मकसद क्या है? कौन से वर्ग हैं जो आस्तीन में छुपे साँप बने है। निर्देशक विनोद तिवारी ने अपनी फिल्म ‘द कन्वर्जन’ के माध्यम से सच के पर्दे खोल दिये हैं। यह फ़िल्म उन सभी लड़कियों के लिए है जिनकी आंखों में प्रेम का पर्दा डाल गहरे कुँए में फेंक दिया जाता है। यह वह राह है जिस पर आगे बढ़ कर लौटना नामुमकिन होता है। यह कलश पादप (पिचर प्लांट) की तरह होता है दिखने में लुभावना और अंदर से मृत्यु दायक। हिन्दू लड़कियों को अपने मोहपाश में फंसा कर उनका धर्मांतरण करने की सत्य घटना पर आधारित फिल्म ‘द कन्वर्जन’ 22 अप्रैल की सिनेमाघरों में प्रदर्शित किया जाएगा। धर्मांतरण के मुद्दे पर बनी इस फ़िल्म का प्रीमियर 27 मार्च को न्यूयॉर्क में रखा गया था। जहाँ फ़िल्म देखने आए सभी दर्शकों को प्रेरित किया। सभी ने जय हिंद, भारत माता की जय और जय श्री राम के नारों से सिनेमा हॉल को गुंजायमान कर दिया। यह फ़िल्म वर्तमान समय की सच्चाई है जिसका जितना जल्दी ज्ञान हासिल कर सावधान होने की आवश्यकता है। उत्तर प्रदेश की सरकार ने लव जिहाद पर लगाम लगाने की कोशिश की कई कानून बनाये पर यह कारगर तभी होगा जब जनता जागृत हो और यही जागरण का कार्य विनोद तिवारी अपनी फिल्म के माध्यम से कर रहे हैं। समस्त भारतीयों को यह फ़िल्म देखनी जरूरी है, खासकर महिला वर्ग को ताकि कल उनके साथ, उनकी भावनाओं के साथ खिलवाड़ ना हो।