26.7 C
Madhya Pradesh
July 27, 2024
Bundeli Khabar
Home » बुन्देली दर्शन:जनम दैओ विधाता बुंदेलखंड में…
देश

बुन्देली दर्शन:जनम दैओ विधाता बुंदेलखंड में…

सौरभ शर्मा/ब्यूरो डेस्क
बुंदेलखंड मतलब भारत देश का दिल, ऐसा कहा जाता है कि बुंदेलखंड में जन्म लेने के लिए स्वर्ग के देवता भी लालायित रहते हैं तो आइए आपको बुंदेलखंड के ऐतिहासिक, धार्मिक, एवं साहित्यिक दर्शन कराने का प्रयास करते हैं।

बुंदेलखंड नाम कैसे पड़ा:
इस गरिमामयी पावन धरा को बुंदेलखंड इस लिए कहा जाता है क्योंकि बुंदेलखंड की चंदेल काल से लेकर आधुनिक काल तक बुंदेला राजाओं का शासन रहा है। इसका विस्तार उत्तर प्रदेश तथा मध्य प्रदेश में है, बुंदेली इस क्षेत्र की मुख्य बोली है, भौगोलिक और सांस्‍कृतिक विविधताओं के बावजूद बुंदेलखंड में जो एकता और समरसता है, उसके कारण यह क्षेत्र अपने आप में सबसे अनूठा बन पड़ता है।

अनेक विभूतियों की जन्म स्थली बुंदेलखंड:
बुंदेलखंड की अपनी अलग ऐतिहासिक, सामाजिक और सांस्‍कृतिक विरासत है, बुंदेली माटी में जन्‍मी अनेक विभूतियों ने न केवल अपना बल्कि इस अंचल का नाम खूब रोशन किया और इतिहास में अमर हो गए, महान चन्देल शासक बिधाधर चन्देल, आल्हा-ऊदल, वीरभद्र बुन्देला सोहनपाल बुन्देला, रुद्रप्रताप देव बुन्देलारानी कुंवर गनेशीबाई बुन्देला, वीरसिंह जूदेव बुन्देला, वीर हरदौल बुन्देला, रानीसारंधा बुन्देला, महाराजा छत्रसाल बुंदेला, मधुकर शाह बुन्देला, राजा भोज, कवि ईसुरी, राजा रक्तसिंह खंगार वंश के संस्थापक, कवि पद्माकर, झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई, मर्दनसिंह जू देव बुन्देला डॉ॰ हरिसिंह गौर, मैथिलीशरण गुप्त, मेजर ध्यान चन्द्र, गोस्वामी तुलसी दास, कविराज बिहारी, संत रसरंग एवं लोकगीत सम्राट देशराज पटेरिया आदि अनेक महान विभूतियाँ इसी क्षेत्र से संबद्ध रखती हैं, और वर्तमान में लोकगीतों इस परंपरा का निर्वहन जयप्रकाश पटैरिया, चंद्र भूषण पाठक आदि कलाकार कर रहे हैं, बुन्देलखण्ड में शहर पन्ना,छतरपुर, खजुराहो, झांसी और सागर विश्वप्रसिद्ध हैं।

धार्मिक मान्यताओं में बुंदेलखंड का स्थान:
यदि धार्मिक मान्यताओं की बात करें तो सारे तीर्थों का पुण्य आप मात्र बुंदेलखंड से अर्जित कर सकते हैं ऐसा माना जाता है कि भगवान वेद व्यास ने सारे पुराणों की रचना की थी उनका जन्म भी बुंदेलखंड के कालपी के समीप हुआ था और कालपी नदी के किनारे ही उन्होंने समस्त पुराणों की रचना की थी, यदि बात त्रेता युग की करें तो भगवान श्री राम ने अपने वनवास के 12 बर्ष बुंदेलखंड की पावन धरा चित्रकूट में व्यतीत किये थे, ऐसे ही प्रत्येक युग का कोई न कोई दृष्टांत बुंदेलखंड से जुड़ा हुआ है।
यदि हम तीर्थो की बात करें तो बुन्देली राजधानी ओरछा में भगवान श्री रामराजा सरकार साक्षात विराजते हैं एवं यहां उनका दिवस प्रवास रहता है, तो दूसरी और बुंदेलखंड के केदारनाथ माने जाने वाले भोलेनाथ जटाशंकर बिजावर में प्रत्यक्ष अपनी धूनी रमाये हुए हैं ऐसे ही दमोह जिले के बांदकपुर और टीकमगढ़ जिले के कुंडेश्वर धाम में भगवान जटाधारी के विशेष तीर्थ माने जाते है तो वहीं चित्रकूट के कामतानाथ, मैहर की माँ शारदा और पन्ना के जुगलकिशोर भक्तों पर अपनी कृपा बनाए हुए हैं।

Related posts

यूक्रेन से आने वाले भारतीयों ने गाया संगीतकार अनु मलिक का गीत ‘संदेशें आते हैं, हमें तड़पाते हैं’

Bundeli Khabar

सरकारी अमले में राष्ट्र विरोधी मानसिकता की घुसपैठ

Bundeli Khabar

भविष्य की आहट / डा. रवीन्द्र अरजरिया

Bundeli Khabar

Leave a Comment

error: Content is protected !!