एडिटर डेस्क- कोरोना वायरस चीन के वुहान प्रयोगशाला का नतीजा है वैज्ञानिको ने एक बार फिर यह बात कह कर लोगों को चोंका दिया है। वैज्ञानिकों का दावा है कि इस वायरस को चीन के वुहान प्रयोगशाला में ही बनाया गया गया था इसके बाद रिवर्स इंजीनियरिंग वर्जन से छिपाने की कोशिश की गई ताकि यह लगे कि यह वायरस प्राकृतिक रूप से चमदागढ़ से फैला है। ब्रिटेन के प्रोफेसर डलगिस और नॉर्वे के साइंटिस्ट सोरेनसन के अध्ययन ने एक बार फिर इस मामले के शक के सारी सुइयाँ चीन पर टिका दी है। इस अध्ययन में पाया गया कि इसका कोई प्रमाण संकलित नही हो पाया है कि यह वायरस सोर्स-कोव-2 प्राकृतिक तौर पर जन्मा है। गैर तलब है कि चीन अपने वुहान प्रयोगशाला में अक्सर ऐसे प्रयोग करता रहता है। चूंकि एक बार और अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा यहां संचालित होने वाले प्रयोगों को ग़ैरक़ानूनी करार दे चुके है। कई लोगों का ऐसा मानना भी है कि चीन के वुहान लैब में गेन ऑफ फंगशन प्रोजेक्ट पर जो काम चल रहा है शायद ये कोरोना वायरस भी उसी की देन है।क्योकि इस प्रोजेक्ट में प्राकृतिक वायरस में बदलाव कर संक्रामक कैसे बनाते हैं उसी पर काम चल रहा है। चूंकि लंदन के डेली मेल अखवार ने दावा किया है कि दोनों शोधकर्ताओं ने बताया है की पिछले एक साल से कोरोना वायरस के शोध में कोविड 19 के एक वायरस में यूनिक फिंगरप्रिंट मिला है और यह तभी संभव है जब उस वायरस के साथ छेड़छाड़ की गई हो। और चीन ने अपना गुनाह छिपाने के लिए सारे सबूत मिटा दिए हैं।
