जबलपुर (सौरभ शर्मा) – जबलपुर और दमोह जिलों के लोगों के लिए विशेष आस्था का केंद्र है पंडा बाबा। जबलपुर जिले के सीमावर्ती जिले दमोह में पाटन तहसील से मात्र 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं पंडा बाबा। प्राचीन मान्यताओं के आधार पर यह स्थान पंडा बाबा संत की तपोभूमि हैं। जबलपुर दमोह मार्ग पर स्थित यह स्थान प्रकृति की गोद मे बसा हुआ है। यहां प्राचीन काल मे ऋषि महात्मा अपने तपस्या में लीन रहते थे।
सदाबहार जल स्रोत झिरिया
इस स्थान पर मंदिर के पीछे चट्टानों की खोह से निरंतर पानी निकलता रहता है जिसको लोग झिरिया के नाम से जानते हैं। लोगों के मुताबिक जो अकाल की स्थिति में भी नही सूखता है। और आसपास के लोग गर्मी के मौसम इसी झिरिया के पानी का उपयोग करते हैं जो कभी नही सूखता। यदि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखें तो डॉ संदीप सिंघई जी के अनुसार झिरिया के पानी का TDS मान मात्र 50 है। जो उत्कृष्ट शुद्धता की श्रेणी में आता है। चूंकि यह पानी पेड़ों की जड़ों से होते हुए पहुचता है जिससे मनुष्य की शारीरिक दुर्बलता भी दूर होती है। और इस जल से कई रोगों का निदान होता है।
मनोकामनाये होती है पूर्ण
पाटन नगर के लोगों के अनुसार दोनो जिलों के लोगो का ऐसा मानना है कि पंडा बाबा के मंदिर से लोगों की हर मनोकामना पूर्ण होती है। और भारी संख्या में लोग यहां अपनी अपनी मन्नत ले कर आते हैं और जो आस्था के अनुरूप पूर्ण भी होती हैं जिसके चलते यहां अक्सर लंगर और भंडारे चलते रहते हैं। जबलपुर दमोह मुख्य मार्ग से मात्र 1 किलोमीटर की दूरी पर प्रकृति की गोद बसा यह स्थान अपनी एक अलग ही छटा बिखेरता है। साल में एक बार मकर संक्रांति के समय यहां एक सप्ताह के मेले आयोजन किया जाता है जिसमे दूर दूर से लोग आते हैं। यहां से पास में ही बगदरी वाटर फॉल भी है जो बगदरी घाटी के पहाड़ों के मध्य है। और नीचे हिरण नदी का कल कल करता हुआ जल प्रवाहित होता है। जिसे देख लोगों को एक मानसिक तनाव से मुक्ति मिलती है।