लखीमपुर खीरी। क्षणिक क्रोध या आवेश मनुष्य को कभी न सुधरने वाली भूल कर बैठता है। क्रोध से मानसिक तनाव बढ़ता है। क्रोध से मनुष्य का विवेक नष्ट होता है। क्रोध मुर्खता से शुरू होता और कई वर्षो के बाद के पश्चाताप से समाप्त होता है। क्रोध के कारण मनोबल और आत्मबल कमजोर हो जाता है। क्रोध ही अपराधों के मूल कारण बन जाते है। उक्त उद्गार प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय माउंट आबू राजस्थान से पहुंचे बी के भगवान भाई ने कहे। वे अति हिमाकृत बिर्य उत्पादन केंद्र (DFS) मंझारा फार्म के अधिकारी वर्ग और एकत्रित ईश्वर प्रेमी भाई बहनों को क्रोध मुक्त जीवन हेतु सकारात्मक चिंतन विषय पर बोल रहे थे।
भगवान भाई ने कहा कि मन में चलने वाले नकारात्मक विचार, शंका, कुशंका, ईर्ष्या, घृणा, नफरत अभिमान के कारण ही की उत्पति होती है। क्रोध से दिमाग गरम हो जाता है जिससे दिमाग में विभिन्न प्रकार के रासायनिक पदार्थ उतरते हैं और इससे ही मानसिक बीमारियां, शरीर की अनेक बिमारियां हो जाती है जिससे जीवन में रूखापन आता है। क्रोध से ही आपसी सम्बधों में कड़वाहट आती है, मन मुटाव बढ़ जाता है।
उन्होंने कहा कि क्रोध से घर का वातावरण ख़राब हो जाता है और पानी के मटके भी सुख जाते हैं। जहां क्रोध है वहाँ समृद्धि नही हो सकती है। इसलिए वर्तमान में क्रोध मुक्त बनाना जरुरी है। क्रोध करने से ही अनिद्रा, अशांति जीवन में आती है तनाव बढ़ता है जिससे व्यक्ति नशा व अन्य व्यसनों के अधिन हो जाता है।
उन्होंने क्रोध मुक्ति बनने के उपाय बताते हुए कहा कि सकारात्मक चिंतन से ही हम सहनशील बन क्रोध मुक्त बन सकते हैं। सकारात्मक चिन्तन से हमारा मनोबल मजबूत बन सकता है। सकारात्मक चिन्तन द्वारा ही हम क्रोध मुक्त और तनाव मुक्त जीवन जी सकते हैं। सकारात्मक चिंतन से सहनशीलता आती है जिससे कई समस्याओं का समाधान हो जाता है।
भगवान भाई ने आध्यात्मिक ज्ञान को सकारात्मक विचारों का स्रोत बताते हुए कहा कि वर्तमान में हमे आध्यात्मिकता को जानने की आवश्यकता है। आध्यात्मिकता की परिभाषा बताते हुए उन्होंने कहा स्वयं को जानना, पिता परमात्मा को जानना, अपने जीवन का असली उद्देश्य को और कर्तव्य को जानना ही आध्यात्मिकता है। आध्यात्मिक ज्ञान द्वारा सकारात्मक विचार मिलते हैं जिससे हम अपने आत्मबल से अपना मनोबल बढ़ा सकते हैं।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ सोनदेव सिंह चौहान ने कहा कि मानव मन में चलने वाले विचारों का प्रभाव वातावरण पेड़-पौधों तथा दूसरों व स्वयं पर पड़ता है। उन्होंने ब्रह्माकुमारी द्वारा बताई हुए बातो को आचरण में लाकर जीवन का खुशनुमा और स्वस्थ बनाने की कामना की।
संयुक्त निदेशक डॉ जगदीश सिंह ने कहा कि यदि हमारे विचार सकारात्मक है तो उसका सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। उन्होंने बताया कि जीवन को रोगमुक्त, दीर्घायु, शांत व सफल बनाने के लिए हमें सबसे पहले विचारों को सकारात्मक बनाना चाहिए।
स्थानीय ब्रह्माकुमारी सेवाकेंद्र की संचालिका बी के नीलम बहन ने राजयोग की विधि बताते हुआ कहा कि स्वयं को आत्म निश्चय कर चंद्रमा, सूर्य, तारांगण से पार रहने वाले परमशक्ति परमात्मा को याद करना, मन-बुद्धि द्वारा उसे देखना, उनके गुणों का गुणगान करना ही राजयोग है। राजयोग के द्वारा हम परमात्मा के मिलन का अनुभव कर सकते हैं। उन्होनें कहा कि राजयोग के अभ्यास द्वारा ही हम काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार, ईर्ष्या, घृणा, नफरत आदि मनोविकारों पर जीत प्राप्त कर जीवन को अनेक सद्गुणों से ओतपोत व भरपूर कर सकते हैं।
बी के सरिता ने कहा कि अब भक्त की पुकार सुनकर निराकार शिव धरती पर अवतरित हो चुके हैं। उनको सिर्फ भक्ति भाव से याद करने की आवश्यकता है।
कार्यक्रम में बच्चो ने डांस, भजन और विभिन्न कलाएं प्रस्तुत किया। अंत में माउंट आबू के भगवान भाई ने मोमेंटो द्वारा सभी बच्चो का सन्मान किया।
वीना सिंह ने अंत में धन्यवाद ज्ञापित किया। साथ ही कार्यक्रम के अंत में मेडिटेशन किया गया।
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