सेमिनार का उद्देश्य भारत में साइबर सिक्योरिटी स्पेस में मांग और आपूर्ति के गैप का मूल्यांकन करना था
मुंबई। तमाम रिपोर्टों की माने तो भारत वर्ष 2022 में साइबर सिक्योरिटी पर लगभग 3 बिलियन डालर खर्च करने वाला है। सिर्फ वर्ष 2020 में ही भारत में प्रति डाटा के उल्लंघन को लेकर औसतन 2 मिलियन डालर खर्च किए गए। हाल ही में इस तरह की सबसे बड़ी घटना भारत में सेरम इंस्टीट्यूट आफ इंडिया ने दर्ज़ की जहां साइबर जालसाज़ों ने अपने को कंपनी के सीईओ अदार पूनावाला बताते हुए एसआईआई के निदेशक सतीश देशपांडे से पैसे की मांग की और 1 करोड़ रूपए की धोखाधड़ी कर डाली। इसी तरह साइबर क्राइम की दूसरी घटनाओं में एयर इंडिया के डाटा उल्लंघन की घटना शामिल है जिसमें 4.5 मिलियन पैसेंजर का विवरण लीक कर दिया गया, डामिनोज़ को 180 मिलियन आर्डर डिटेल्स से हाथ धोना पड़ा, मोबीक्विक को 110 मिलियन यूजर्स गंवाने पड़े और जस्पे ने 100 मिलियन यूजर्स के अकाउंट के उल्लंघन की बात देखी गई। सबसे ज्यादा उल्लंघन की संख्या हैकिंग (45%), गल्तियों से(22%), सोशल अटैक (22%), मालवेयर (17%), आधिकारिक यूजर्स द्वारा दुरूपयोग (18%) और फिज़िकल एक्शन से (4%) से हुईं। आंकड़ों की माने तो लगभग 3000 मामले साइबर क्राइम के दर्ज़ किए गए जिनमें धोखाधड़ी, अश्लील मेल/एसएमएस/एमएमएस के मामले, आनलाइन धोखाधड़ी के मामले, हैकिंग, फिशिंग/मैन-इन-मिडिल अटैक/स्पूफिंग मेल, डाटा की चोरी जैसे मामले शामिल हैं।
मुंबई पुलिस के जनवरी-जून 2022 के आंकड़े बताते हैं कि कुल 7,726 साइबर क्राइम के मामले दर्ज़ किए गए जिनमें ज्यादातर मामले आनलाइन धोखाधड़ी से संबंधित थे। मुंबई में जून में सबसे ज्यादा मामले 2,506 दर्ज़ किए गए जिनमें 1,093 मामले साइबरक्राइम के और 802 मामले आनलाइन फ्राड के थे। महाराष्ट्र सरकार ने कहा है कि वह साइबर इंटेलिजेंस यूनिट बनाएगी और प्राइवेट एजेंसियों की मदद लेगी जो देखेगी की किस टेकनीक से जालसाज नागरिकों को धोखा देते हैं। सीआईआर (साइबर क्राइम इंसिडेंट रिपोर्ट) सिस्टम की शुरूआत करना, वित्तीय धोखाधड़ी और गैरकानूनी आनलाइन पेमेंट पर अंकुश लगाने के लिए बहुत जरूरी है। इसी तरह की व्यवस्था दूसरे मेट्रो शहरों में की जा रही है।
गैर-लाभकारी संगठन इंफोसेक फाउंडेशन जो साइबर सिक्योरिटी और उससे संबंधित बातें को लेकर लोगों में जागरूकता स्थापित करने के लिए एक प्लेटफार्म है, अब साइबर सिक्योरिटी, इन्फारमेशन सिक्योरिटी, और डाटा सिक्योरिटी के लिए एक खाका तैयार करने में संलग्न है। इंफोसेक ने मुंबई में साइबर सिक्योरिटी कांग्रेस का आयोजन किया। साइबर सिक्योरिटी कांग्रेस में साइबर की दुनिया में चल रहे नए ट्रेंड को लेकर चर्चा हुई जिसमें सभी संस्थानों के लिए व्यावसायिक निरंतरता मेंटेन करने और प्रतिस्पर्धा के दौरान होने वाले शोषण की अनदेखी करने और इन्फार्मेशन सिक्यूरिटी को लेकर बातचीत का लंबा दौर चला। साइबर सिक्योरिटी कांग्रेस का उद्देश्य नए टेक्नोलाजी ट्रेंड को सामने लाना और नई चीज़ों को शामिल करना है जिसमें एक एजेंडे के तहत इन्फार्मेशन सिक्योरिटी को लेकर लोगों का ध्यान आकर्षित करना है और चर्चा करनी है। साथ ही, इसका लक्ष्य इस क्षेत्र के दिग्गजों के अनुभवों और जानकारियों को साझा करना और डाटा गवर्नेंस में खुलेपन की चर्चा की करना था।
कोविड-19 की महामारी ने हमारी व्यवस्था को काफी झटका दिया और अचानक पुराने ढंग और प्रक्रियाओं पर दोबारा विचार करने के लिए बाध्य किया- इसमें काम करने के वातावरण, मेलजोल और रिमोट काम करने जैसी बुनियादी बातें शामिल थीं। बदलते हुए समय के साथ यह बात स्पष्ट हो गई है कि डिजिटल सिक्योरिटी की बात व्यावसायिक कार्यों में काफी महत्वपूर्ण हो गई है, चाहे वह काम कहीं से भी किया जा रहा हो। अब रीमोट काम करने का प्रचलन तेजी से बढ़ रहा है, लिहाज़ा डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर की सुरक्षा बहुत जरूरी हो गई है, चाहे काम दुनिया के किसी भी कोने से किया जा रहा हो और यह काम कंपनियों को आने वाले समय में भी करना ही पड़ेगा। अब जबकि नई व्यवस्था में सब चलने की कोशिश कर रहे हैं अतः यह जरूरी हो जाता है कि साइबर सिक्योरिटी पर नए सिरे से विचार किया जाए।
इस सेमिनार में तमाम प्रतिष्ठित व्यक्तियों जैसे, मधुकर पांडे (आईपीएस, एडीजी, महाराष्ट्र साइबर), शंकर जाधव (मैनेजिंग डाइरेक्टर-बीएसई इन्वेस्टमेंट लिमिटेड, हेड स्ट्रेटेजी-बीएसई), डॉ. नरेश कुमार हराले (वाइस प्रेसिडेंट एंड हेड साइबर सिक्योरिटी वर्टिकल, रीबिट), सुशोभन मुखर्जी (चेयरमैन इंफोसेक फाउंडेशन), सागी इच्चर (काउंसल फार ट्रेड एंड इकानामिक एफेयर), बृजेश सिंह (आईपीएस, इंस्पेक्टर जनरल आफ पुलिस ट्रेनिंग, महाराष्ट्र सरकार) और संजय दास (ज्वाइंट सेक्रेटरी, पश्चिम बंगाल सरकार) ने भाग लिया और कार्यक्रम की गरिमा बढ़ाई। साइबर सिक्योरिटी कांग्रेस में टेक्नोलोजी के ट्रेंड पर चर्चा हुई और उनका आधुनिक समय में कैसे उपयोग किया जाए इस पर विचार-विमर्श हुआ। हैकिंग और हैकिंग से सुरक्षा, एआई आधारित साइबर क्राइम और दूसरे तरह के साइबर अपराधों को लेकर भी इस सेमिनार में चर्चा सत्र चलाए गए।
इंफोसेक फाउंडेशन के चेयरमैन सुशोभन मुखर्जी ने कहा कि महाराष्ट्र पुलिस ने साइबर क्राइम के अपराधों की संख्या में बढ़ोतरी की बात कही है। हमारा उद्देश्य साइबर अटैक को लेकर ज्यादा से ज्यादा जागरूकता फैलाना है और ऐसी अत्याधुनिक तकनीकि का सहारा लेना है जिसकी मदद से साइबर क्राइम की शिकायतों के मामलों का निपटारा किया जाए। सरकार ने भी साइबर-इंटेलिजेंस यूनिट बनाने की बात कही है और साइबर धोखाधड़ी में उपयोग की जाने वाली तकनीक पर नज़र रखने के लिए प्राइवेट एजेंसियों का सहयोग भी लेने की मंशा जाहिर की है। मुझे इस बात की काफी खुशी है कि साइबर सिक्योरिटी के दिग्गज और जानकार इस सेमिनार में शामिल हुए। यह आज के दौर की सबसे बड़ी चुनौती है और साथ-साथ एक बड़ी जिम्मेदारी भी है।