23.4 C
Madhya Pradesh
July 9, 2025
Bundeli Khabar
Home » जानिए कौन-कौन सी होती हैं 84 लाख योनियाँ
धर्म

जानिए कौन-कौन सी होती हैं 84 लाख योनियाँ

सौरभ शर्मा
सनातन धर्म में कुल चौरासी लाख योनियाँ बताई गई हैं। उदाहरण के लिए मनुष्य योनि, कुत्ते की योनि, बिल्ली की योनि आदि। इस प्रकार कुल चौरासी लाख योनियाँ हैं । जिसमें जीव को जन्म लेना पड़ता है। जल, थल और नभ में कुल मिलाकर चार तरह के जीव होते हैं। इन्हें स्वेदज, अण्डज, उद्भिज्ज और जरायुज कहा जाता है ।

84 लाख योनियों को 4 वर्गों में बांटा जा सकता है :
1. जरायुज : माता के गर्भ से जन्म लेने वाले मनुष्य, पशु जरायुज कहलाते हैं।
2. अंडज : अंडों से उत्पन्न होने वाले प्राणी अंडज कहलाते हैं।
3. स्वदेज : मल-मूत्र, पसीने आदि से उत्पन्न क्षुद्र जंतु स्वेदज कहलाते हैं।
4. उदि्भज : पृथ्वी से उत्पन्न प्राणी उदि्भज कहलाते हैं। जो स्वम उत्पन्न होते है जैसे सुरसती, बरसात मे छोटे-छोटे मंडक आदि।

पदम् पुराण के एक श्लोकानुसार:
जलज नव लक्षाणी, स्थावर लक्ष विम्शति, कृमयो रूद्र संख्यक:।
पक्षिणाम दश लक्षणं, त्रिन्शल लक्षानी पशव:, चतुर लक्षाणी मानव:।। -(78:5 पद्मपुराण)

अर्थात जलचर 9 लाख, स्थावर अर्थात पेड़-पौधे 20 लाख, सरीसृप, कृमि अर्थात कीड़े-मकौड़े 11 लाख, नभचर 10 लाख, थलचर 30 लाख और शेष 4 लाख मानवीय नस्ल के। कुल 84 लाख। आप इसे इस तरह समझें
* पानी के जीव-जंतु- 9 लाख
* पेड़-पौधे- 20 लाख
* कीड़े-मकौड़े- 11 लाख
* पक्षी- 10 लाख
* पशु- 30 लाख
* देवता-मनुष्य आदि- 4 लाख । कुल योनियां- 84 लाख।
सबसे श्रेष्ठ योनि मानव योनि को बताया गया है । मानव जन्म में विकास की बहुत सम्भावनाएं होती हैं । इस जन्म में जीव भगवान को प्राप्त कर सकता है। अपना मोक्ष कर सकता है।

सामन्यतया प्रत्येक मनुष्य अपने हाथ से साढ़े तीन हाथ का होता है माप लेने के लिए हाथ की कोहनी से मध्यमा अगुंली तक की माप लेना चाहिए। और एक हाथ की माप में चौबीस अंगुल होते हैं हाथ की चारों अंगुलियों को एक साथ रखकर ली गई माप चार अंगुल की होती है । इस माप में अंगूठा शामिल नहीं होता है।

इस प्रकार प्रत्येक मनुष्य का शरीर चौरासी अंगुल का होता है, जो इस बात का संकेत है कि चौरासी लाख योनियों में भटकने वाला जीव ईश्वर की कृपा से चौरासी अंगुल के मनुष्य का शरीर धारण करता है।और यदि सही-सत्य कर्म करता है और सतनामी होकर रहता है तो इसकी चौरासी छूट जाती है।

इस प्रकार चौरासी अंगुल का शरीर होने का मतलब यह है कि इससे मनुष्य को चौरासी लाख योनियों का स्मरण होता रहे जिससे वह चौरासी से छूटने के लिए सत्य आचरण करे। अपने गुरूदेव का नाम लिया जाप करे। सुमिरण करें

Related posts

धर्म:झाड़ू में धन की देवी महालक्ष्मी का वास

Bundeli Khabar

17 लाख बर्ष प्राचीन हनुमान मंदिर जहाँ आये थे स्वयं भगवान राम

Bundeli Khabar

महाशिवरात्रि बिशेष: ऐसे करें शिव का अर्चन, होगी हर मनोकामना पूरी

Bundeli Khabar

Leave a Comment

error: Content is protected !!