पाटन/संवाददाता
पाटन तहसील चूँकि कृषि प्रधान तहसील है यहाँ के लोगों का जो मुख्य व्यवसाय है वो है खेती किसानी, इसलिए आये दिन किसानों को तहसील कार्यालय में कार्य पड़ता रहता है, किंतु यहाँ कर्मचारियों द्वारा शासन की योजनाओं को ठेंगा दिखाते हुए किसानों के छोटे से काम को भी लंबे समय लटकाया जाता है जिसका मुख्य कारण है सुविधा शुल्क की माँग।
गैरतलब है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा किसानों के हित में लगातार योजनाएं बनाई जा रही हैं किंतु उनका क्रियान्वयन कर्मचारियों द्वारा नही किया जा रहा है और न ही कर्मचारियों के दिल में लेस मात्र भी डर रहता है जिससे शासन-प्रशासन की योजनाएं मात्र कागजों पर रेंगती नजर आती हैं शासन प्रशासन द्वारा योजना बनाई गई है कि आप अपने कार्य की जानकारी फोन के माध्यम से भी ले सकते हैं किंतु दूसरी ओर कर्मचारी किसी का फोन उठाते ही नही या फिर बंद किये रहते हैं।
ज्ञात हो कि माननीय मुख्यमंत्री महोदय द्वारा हाल ही में कुछ दिनों पूर्व घोषणा की गई थी कि खसरा, नक्शा की नकल, फौती नामांतरण आदि कार्य तीस दिनों के अंदर हो जाएंगे किंतु मुख्यमंत्री की घोषणा कर्मचारियों के कारण मात्र घोषणा बन कर रह गई, हालांकि अधिकारियों तक लोगों की पहुंच नही हो पाती है इसलिए अधिकारियों तक शायद यह व्यवस्था उजागर नही हो पाती है कि उनके कार्यक्षेत्र का आम आदमी कर्मचारियों से कितना त्रस्त है शायद कर्मचारियों के दिल से या तो शासन का डर खत्म हो गया है या शायद अधिकारियों का बढ़ावा है हालांकि हम आये दिन लोकायुक्त की कार्यवाहियों को सुनते है किंतु इतने के बाबजूद भी कर्मचारियों के कानों पर जूं भी नही रेंगता और काम करने के एबज में सीधे पैसों की माँग करते हैं।
कलेक्टर के आदेश को भी ठेंगा:
कलेक्टर जबलपुर द्वारा अभी हाल ही आदेश पारित किया गया था प्रत्येक शनिवार को शिविर के माध्यम से लंबित मामलों का निपटारा किया जाए किंतु उसका परिपालन भी ठीक ढंग से नही किया गया, जिससे पाटन तहसील जिले में फिसड्डी साबित हुई, हालांकि तहसील में पदस्थ बरिष्ठ अधिकारी एसडीएम, एवं तहसीलदार प्रमोद चतुर्वेदी तो अपना कर्तव्य अच्छे से वहन कर रहे हैं किंतु उनके अधीनस्थ रोड़ा बन रहे हैं साथ ही लिपिकगण अपना निवास जबलपुर में बनाये हुए हैं जो 12 बजे के पहले कार्यालय पहुंच ही नही पाते है चूंकि अधिकारी सुबह से फील्ड पर निकल जाते हैं और अपनी ड्यूटी बखूबी निभा रहे हैं लेकिन जनता को भी शिकायत केवल ग्रामीण क्षेत्र का चार्ज लिए अधिकारियों एवं कर्मचारियों से हो रही है, लोगों का कहना है कि अधिकारी कर्मचारियों पर अंकुश नही लगा पा रहे हैं। लोगों के अनुसार जिससे इनकी दिनचर्या का खामियाजा क्षेत्र की जनता को भुगतना पड़ता है।